एक नए किस्म का विवाद देश में तेज़ी से जोर पकड रहा है.
जो भारत जैसे विकास शील देश को झूठी गिरफ्त में जकड़ रहा है..
बिहार के चुनाव ने इसे खूब परवान चढाया है.
कोई चोर कोई शैतान तो कोई धोखेबाज़ कहलाया है.
वो सब नेता हैं उन्हें यह सब बातें पचती है.
मैं एक आम ईन्सान, मुझे कोई असहिष्णु कहे ये बात मुझे नहीं जंचती है.
मुझे शिकायत है उन चुनाव समीक्षको से जो वोटों का वर्गीकरण बताते हैं
जिससे प्रेरित हो सारे नेता वोटों का ध्रुवीकरण कराते हैं.
चुनाव पश्चात जो जीत गया वो जीत का जश्न मनाता है,
वर्गीकरण की राजनीति में वर्ग विशेष का कहलाता है.
क्या यही धर्म राजनेताओं का, राजनीति का यही नाता है?
जहाँ इस पूरे कुचक्र में आम आदमी असहिष्णु कहलाता है..
मैं एक आम ईन्सान मानवता मेरी प्रथा है.
लेकिन मुझ जैसे कईयों को असहिष्णु कहा जा रहा है, इस बात की घोर व्यथा है.
।..इस बात की घोर व्यथा है.
नरेंद्र जानी (भिलाई नगर) 7.11.2015