कुछ अधूरी दास्तानों के साथ
जिंदगी यूं ही गुजर जायेगी ,
एक्सपायरी देट की दवा भरी
बोतल कब तक संभाली जायेगी .
महबूबा बन प्यार जताते जब
मौत मेरी बाहों मे इठलायेगी ,
सब दास्तानों पर पर्दा गिरा के
साथ अपने ले जायेगी .
उस दिन उससे ईर्ष्या ना करना
बोतल की कीमत बताएगी ,
दो आंसू गिरेंगे तुम्हारे
मेरी यादें तुम्हे सताएगी .
चाहे जितना भूलना चाहो
सब कुछ याद तुम्हे दिलाएगी ,
जिस दास्तान को अधूरा छोड़ा
वो अधूरी ही रह जायेगी .
अधूरी ही रह जायेगी ...
... नरेन्द्र जानी (भिलाई नगर)
.. 6.7.2015 सोमवार ..