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किसान आत्महत्या ..

1 जुलाई 2015

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सन्दर्भ कुछ पुराना है जब दिल्ली में हजारों लोगों के सामने पुलिस और मिडिया के सामने एक किसान ने आत्महत्या की थी . उस वक्त मेरे दिल ने कुछ इस तरह अपनी भावनाओं को कलमबद्ध किया ...... पुलिस हैरान किसान परेशान, तमाशों से बढ रही है राजनीति की शान . ये देश कभी कृषि प्रधान होता था , आज की राजनीति मे किसान आत्महत्या प्रधान हो गया . जाने इस देश के नेताओं को क्या हो गया , कृषि प्रधान देश मे कृषक ही कहीं खो गया . अब आमने सामने प्रशाशन और सरकार है , मीडिया का मजा है टी आर पी की बहार है. हर मुद्दे पर टी वी मे बहस बैठा दी जाती है , कुछ बुद्धिजीवीयो को बैठा कर महफिल सजाई जाती है. इनमे कुछ अनुभवी पत्रकार और कुछ प्रवक्ता होते है, हमने काफी बहस देखी सुनी और जाना की प्रवक्ता कैसे कैसे होते है . प्रवक्ताओं के प्रकार कैसे कैसे होते है, कुछ भौकते , कुछ खिसियाते , कुछ मजे लेते होते है. मीडिया भी तब तक मचलता है , जब तक किसी नये मुद्दे का पता नही चलता है . बस यही देश, मीडिया और हम जनता का हाल है, कर्मयोगी ईमानदार तो हर हाल मे बदहाल है .. किसान आत्महत्या करता है और समाचारों मे रहता है, मजदूर बेचारा तो व्यवस्था की मार चुपचाप सहता है. चुपचाप सहता है... मेरा भारत महान कहाँ खो गई इसकी सुनहरी पहचान... ........ नरेन्द्र जानी (भिलाई नगर) ..
मंजीत सिंह

मंजीत सिंह

जी हा, इस लेख मे सच कहा गया है ... लेकिन क्या कर सकते है जब तक सरकार कोई ठोस कदम नहीं लेती ...

3 जुलाई 2015

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हमने बदलते भारत की तस्वीर देखी है , हमने मोदी की हंसी और ओबामा की ख़ुशी देखी है .

28 जनवरी 2015
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भारत की प्रभुसत्ता में मिल का पत्थर अमेरिका के राष्ट्रपति का गणतंत्र दिवस में शामिल होना है.. कल यदि हमें पूरे एशिया का नेतृत्व भी करना पड़े तो हम पूरी तरह तैयार और विश्वस्त हैं.

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प्रेरणा

28 जनवरी 2015
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एक लघु कथा जो मेरे मन को छू गयी ...

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प्यार

28 जनवरी 2015
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मैंने कब तुमसे कहा था की मुझे प्यार करो .. पर ये तुम्हारी दरियादिली थी जो तुमने मुझसे नाता जोड़ लिया. मेरे जीवन में हरदम एक नई ऊर्जा का संचार कर मुझे अपने प्यार में डुबो दिया .. मेरी प्यारी शायद मुझे लोग गलत ढंग से देखने लगे , इसलिए तुम्हारा परिचय सारी दुनिया को दे दूँ ... तुम विश्व की सबस

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मुहब्बत

29 जनवरी 2015
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बहुत दिन हो गए मुहब्बत शब्द सुने हुए , कल बेवफा शब्द सुना और तुम याद आ गयी . छोटी सी जिंदगी में जख्म बड़े बड़े खाए है , कल जब जख्म से टीस उठी तो तुम याद आ गयी . अब तुम्हे अपना दिल का हाल क्या बताऊँ , दिल में एक हुक उठी और तुम याद आ गयी . इस भरी दुनिया में अकेले रहना कितना मुश्किल है , कल तन्हा

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अर्ज किया है ..

29 जनवरी 2015
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वो अलफ़ाज़ ही क्या जो समजाने पड़े , हमने तो मोहब्बत की है कोई वकालत नहीं . बरसों बाद नज़रें मिली और नज़रें झुकी उनकी , बस तसल्ली हो गयी की उनमे कुछ तो हया बाकी है . शौक से तोड़ो दिल मेरा जिस तरह चाहो , मैं क्यों परवाह करूँ घर तुम्हारा है चाहे जिस तरह सवारों . ना like माँगा है ना comment मांगेंगे ,

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मुश्किलें

29 जनवरी 2015
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लेख के साथ फोटो का प्रकाशन नहीं हो पा रहा है . क्या इस पर ध्यान देना आवश्यक नहीं???

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आदर्श पति ??

30 जनवरी 2015
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पति मार्केट जा रहा था .. पत्नी ने कुछ रूपये देते हुए कहा, कुछ ऐसा ले आना जिससे मैं सुन्दर दिखूं .. .. .. पति व्हिस्की की दो बोतल ले आया ..

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facebook

10 मई 2015
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रिक्वेस्ट उसे ना भेजिए, जिनसे हो अनजान। फेकियों का दौर है, रहिए जरा सावधान।। . म्यूचल फ्रेंड ना कोई भैय्या, सब दुश्मन ही होए। जिसको ताड़न हम चले, तो पीछे सब कोई होए।। . क्लोज़ फ्रेंड ना बनाइए, वरना पड़े पछताए। नोटिफिकेशन एक पर एक, रहे धड़ल्ले से आए।। . चिट चैटिया सब करें, एक दूजन के साथ। मैया दईया ए

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ममता की मजबूरियां

10 मई 2015
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कल के मंच पर मोदी जी जिस ओजपूर्ण ढंग से अपनी योजनाओं का खुलासा कर रहे थे , ममता जी का खिसियाया चेहरा देखते ही बनता था.. इनके बीच दूरियाँ मिट नही सकती .. मोदी जी जनता की भलाई के लिये नयी योजनाओं पर केन्द्रित थे और ममता बंगाल मे अपनी खिसकती जमीन पर केन्द्रित थी ...

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कवि के घर सेल्समेन ..

12 मई 2015
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एक दिन (इतवार को) मैं देख रहा था टीवी। सभी थे व्यस्त अपने कार्यों में ही।। तभी एक सज्जन ने गेट खटखटाया। मैं बाहर आया तो उसने हाथ मिलाया।। पता चला जनाब हैं सेल्समैन। करने आए हैं जेब का सीटी स्कैन।। मैंने पूछा और यार बताओ। उसने कहा यह क्रीम तुम अपनाओ।। अरे! यह ऐसी है क्रीम। कि सुंदर हो जाओगे

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लहू तो एक रंग है .

12 मई 2015
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आपस में एक-दूसरे से, हो रही क्यों जंग है? लहू तो एक रंग है, लहू तो एक रंग है। हर तरफ तो शोर है, किस पर किसका जोर है? ढल रही है चांदनी, आने वाली भोर है। रक्त का ही खेल है, रक्त का ही मेल है, क्यों इतना अभिमान है, रक्त तो समान है। रक्त न जाने है धर्म, रक्त न जाने है जाति, रक्त भी अनमोल है, मत

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तुम मेरे लिए ख़ास हो ..

12 मई 2015
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तुम मेरी मधु वीणा के तार हो मेरे मृदु हाथों का स्पर्श तुम जो भी हो दुनिया की नज़र में मेरे लिए खास, बस खास हो एक आम इंसान नहीं हो मेरे लिए खास हो... मेरी नज़र में जो तुम हो तुम सीप में समाए मोती हो तुम शांत लहरों की शरारत हो तुम ठंडी धूप की हरारत हो मधुर यामिनी की आदत हो मेरे लिए खास हो... तुम गमों

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तुम..एक सुहाना मौसम हो ..

12 मई 2015
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इन्द्रधनुषी रंगों की बारिश होने लगती है जब पुकारते हो तुम मुझे मेरे बिगड़े हुए नाम से, और नारंगी हो उठती है अधपके सूरज की किरणें जब तुम्हारी आँखों की चमक में अटक जाता है मेरा चेहरा, उलझ जाती है हवा मेरे कत्थई बालों से जब फिसलती है तुम्हारी अँगुलियाँ सावन की साँवली घटाओं से। तुम एक सुहाना मौसम हो

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भूकम्प ..

12 मई 2015
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धरती की हल्की सी अंगड़ाई ने कितने घरों को जमींदोज कर दिया है कितने बेगुनाहों को जिंदा दफन कर दिया है पर क्या सिर्फ घर टूटे हैं यहां? क्या सिर्फ शरीर दफन हुए हैं यहां? नहीं ... टूटे हैं सपने उस पिता के जिन्हें संजोया था उसने अपने बच्चों के भविष्य संवारने के लिए टूटे हैं सपने उस

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भूकम्प ..

13 मई 2015
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भूकंप भूकंप भूकंप ये हमारे इर्द गिर्द बार बार भूकंप के झटके क्यों आते हैं , ये कौन से पापों की सजा है जिसे हम किश्तों मे चुकाते है . नेपाल , पाकिस्तान , इंडोनेशिया , जापान , याने एसियन सारे ही हो रहे है हलाकान . हम सबके पड़ोसी इसलिये हम परेशान , दिल दिमाग से सोचना होगा और करनी होगी कारणों की पहचान.

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खून का रंग ..

19 जुलाई 2015
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अब ये खून खौलता नहीं अच्छे बुरे को तौलता नहीं. अपने मतलब पर चलता है , अवसरों मे ढल कर रंग बदलता है. हम भी चुपचाप देखते हैं, कुछ समझते हैं कुछ उलझते हैं. धमनियों मे बहने वाला लाल लाल रक्त , लगता है भूल गया अपना बीता हुआ वक्त . जब न्याय के लिये मचलता था , जब अन्याय पर उबलता था . अपने पराये मे अंतर नह

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अकल बड़ी या भैस ..

16 मई 2015
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Aaj faisla ho hi jaaye!!! अक्ल बङी या भैंस 🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃 महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस फसा हुआ है मामला/ / , … अक्ल बङी या भैंस 🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃 अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई 🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃🐃 मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी भैंस मेरी

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इन दिनों ...

13 जुलाई 2015
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उनके गले में हाथ हमारा है इन दिनों , ख्वाब भी कितना सुहांना है इन दिनों . इस शहर की रवायत तो देखिये , दुश्मन भी कितना प्यारा है इन दिनों. रौशनी से नाउम्मीदी का है दामन, बुझते दीयों का साथ गंवारा है इन दिनों. आखिर डूब ही गए पर मलाल रह गया, देखा तो सामने ही किनारा था इन दिनों. अक्सर कुरेदता ह

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टूटा मन ..

26 जून 2015
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लगता है अब जीवन का अंत निकट है , कुछ समस्याएं हैं जो बहुत विकट है . समस्याओं की डोर रिश्तों से बुनी हुई है , कुछ भगवान की देन कुछ हमारी चुनी हुई है . क्यों भगवान से भरोसा उठ रहा है ? क्यों मुझसे मेरा अपना रूठ रहा है ? आज शरीर कमजोर और मन आहत है , अब कोई मोह नहीं बस मुक्ति की चाहत है . जिस मन

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इंतज़ार ....

27 जून 2015
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इक धुंध सी छाई है जिंदगी पर इन दिनों, रफ़्तार से दौड़ती थी ,ठहर सी गयी है जिंदगी इन दिनों. कर्मठता और सबलता से जीतते रहे हमेशा , लेकिन बुरे वक्त से हार रहे हैं इन दिनों. मगर हम भी कुछ कम परेशान है इस बुरे वक्त में , क्योंकि कुछ अनजाने मित्र हौसला बढ़ा रहे है इन दिनों. बुरे वक्त का तका

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आधुनिक दोहे ..

12 जुलाई 2015
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नरेंद्र भाई के दोहे .. नेटवर्क इतना दीजिये ओन लाइन रह पाय फेसबुक ,वॉटसअप पर कोई पोस्ट न छूटने पाय . ------------------------ महँगो एंड्रॉइड फोन लियो पर काम ना आयो कोय जिसके लिए मोबाइल लियो वो ओन लाइन कभी ना होय . ------------------------- फेसबुक फ्रेंड बनाय के नॉलेज लियो बढ़ाय घर बैठे य

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किसान आत्महत्या ..

1 जुलाई 2015
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सन्दर्भ कुछ पुराना है जब दिल्ली में हजारों लोगों के सामने पुलिस और मिडिया के सामने एक किसान ने आत्महत्या की थी . उस वक्त मेरे दिल ने कुछ इस तरह अपनी भावनाओं को कलमबद्ध किया ...... पुलिस हैरान किसान परेशान, तमाशों से बढ रही है राजनीति की शान . ये देश कभी कृषि प्रधान होता था , आज की राजनीति मे कि

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मैं क्या लिखूं ...

2 जुलाई 2015
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मैं श्रृंगार लिखूं और प्यार लिखूं, और कोई मान मनुहार लिखूं। और बरखा भरे इक बादल का, मैं वसुन्धरा से प्यार लिखूं॥ मैं बरखा को तरसते खेत लिखूं, और कृषक की बढती आस लिखूं। और खारे समद के दिल में बसी, नदिया से मिलन की प्यास लिखूं॥ मैं कृष्ण-राधा का प्रेम लिखूं, और मधुवन की रसीली रास लिखूं। और

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मेरा प्यारा भिलाई ...

6 जुलाई 2015
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बहुत दिखा चुके महानगर कभी मेरा भी शहर दिखाओ , अरे नकारात्मक मिडिया वालों कभी "भिलाई नगर" भी आओ . हरा भरा शहर है मेरा कभी मूड फ्रेश कर जाओ , धर्म समभाव की उत्तम मिसाल ये दुनिया को दिखलाओ . ना वर्षा में जलभराव ना १२ महीने का मनमुटाव , भाईचारे की उत्तम मिसाल कुछ सीख यहां से जाओ . लोहे

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अधूरी दास्तान..

6 जुलाई 2015
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कुछ अधूरी दास्तानों के साथ जिंदगी यूं ही गुजर जायेगी , एक्सपायरी देट की दवा भरी बोतल कब तक संभाली जायेगी . महबूबा बन प्यार जताते जब मौत मेरी बाहों मे इठलायेगी , सब दास्तानों पर पर्दा गिरा के साथ अपने ले जायेगी . उस दिन उससे ईर्ष्या ना करना बोतल की कीमत बताएगी , दो आंसू गिरेंगे तुम्हारे मेरी यादें तु

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अधूरी दास्तान....

6 जुलाई 2015
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कुछ अधूरी दास्तानों के साथ जिंदगी यूं ही गुजर जायेगी , एक्सपायरी देट की दवा भरी बोतल कब तक संभाली जायेगी . महबूबा बन प्यार जताते जब मौत मेरी बाहों मे इठलायेगी , सब दास्तानों पर पर्दा गिरा के साथ अपने ले जायेगी . उस दिन उससे ईर्ष्या ना करना बोतल की कीमत बताएगी , दो आंसू गिरेंगे तुम्हारे मेरी यादें तु

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आप दिल्ली और "आप" ..

6 जुलाई 2015
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एक और कलाकर ... नाम है विश्वाश कुमार .. अमेठी मे 4 महीने धूल खाई .. फिर भी फिर भी उतनी औकात ना पायी.. अगर अरविन्द अपनी कोशिश करते .. तो क्या कुमार जमानत गवाते .. योगेन्द्र हरियाणा का भावी मुख्यमंत्री , जब चुनाव ही नही लड़ाये तो कहाँ से बन पाते.. दिल्ली की कुर्सी पर नजरे गड़ाये बैठे है .. सब लोग बुद

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प्रेरणा .. (लघु कथा)-आशा जानी

13 जुलाई 2015
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लघु कथा - "प्रेरणा" दोनों हाथों मे हथकडी डाले लगभग खींचते हुए सिपाही मुजे राजा के दरबार की ओर ले जा रहे थे ! कुछ ही देर मे हम राजमहल के द्वार तक पहुंच गये ! दरबान ने दरवाज़ा खोला और हमने भीतर प्रवेश किया ! "महाराज की जय हो" के साथ हम राजदरबार मे हाजिर हुए ! गंभीर और थोड़ी रोबीली आवाज मे राजा ने पूछ

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बचपन ..

14 जुलाई 2015
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आज फिर तेरी कहानी याद आ गयी , अपनी वो गुजरी हुई 'यादें ' याद आ गई . अरे मेरे बचपन तू कहाँ खो गया , कैसे इतनी जल्दी मैं बड़ा हो गया . वो शारीरिक चपलता कहाँ खो गयी ? वो मासूम चंचलता कहाँ खो गई?? आज चारों तरफ बुद्धिजीवियों का मेला है , फिर भी अभिलाषी मन कितना अकेला है . यूँ ही कभ

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मेघ... (प्राकृतिक प्रणय)

19 जुलाई 2015
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धीरे धीरे एक दूसरे में समाते गए , मेघ वो बारिश के थे जो आसमान में छाते गए . इन मेघों की प्रणयलीला ने सूरज को निस्तेज किया , फटी धरती से चिंताग्रस्त किसान के सपनों को सहेज दिया . कुछ देर आलिंगन करके मेघों ने जल बरसाया , भावातुर हो हर किसान अब खुशियों से मुस्काया . धरती की सुखी

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श्रद्धांजलि ...

24 जुलाई 2015
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आज याद आ रहा है वो गुजरा ज़माना , जब जिंदगी का सफर था कितना सुहाना . वो थोड़ी सी डांटे वो बचपन की बातें, पर ज्यादातर "ताऊ" से प्यार ही पाते . वो ताऊ की कहानी हमारी जुबानी , जब लड़कपन में करते थे उनसे मनमानी. समाजसेवा में लगाया करने जीवन में उजियारा , वो उनका इशारा था जीतो जग सारा . वो बुध्धिविक

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बेटी ...

26 जुलाई 2015
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माता की मित्र है बेटी पिता का प्रेम है बेटी दादा की लाड़ली है बेटी दादी का सहारा है बेटी संबंधों की सरिता है बेटी प्रेम का प्रवाह है बेटी खानदान की गरिमा है बेटी वात्सल्य का झरना है बेटी मर्यादा की मूरत है बेटी संस्कारों की सूरत है बेटी बलिदान की पराकाष्ठा है बेटी पुण्य का प्रतिभाव है बेट

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भारतीय पत्रकारिता

7 सितम्बर 2015
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कितना दुखद है कि शोशल मिडिया के द्वारा किसी आपत्तीजनक संदेशों को फैलाने से रोकने के लिये हमारी पुलिस कमर कस के तैयार बैठी है, किन्तु कतिपय लोगों द्वारा धर्म, सम्प्रदाय, जाति, आदि पर १०००-५००० लोगों के बीच दिये गये आपत्तिजनक बयानों को हमारा मीडिया पत्रकारिता कहकर पूरे सवा सौ करोड लोगों को बांटता है ़

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मेघ... (प्राकृतिक प्रणय)

19 जुलाई 2015
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धीरे धीरे एक दूसरे में समाते गए , मेघ वो बारिश के थे जो आसमान में छाते गए . इन मेघों की प्रणयलीला ने सूरज को निस्तेज किया , फटी धरती से चिंताग्रस्त किसान के सपनों को सहेज दिया . कुछ देर आलिंगन करके मेघों ने जल बरसाया , भावातुर हो हर किसान अब खुशियों से मुस्काया . धरती की सुखी

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सेकयूलर एक शब्द या …

8 सितम्बर 2015
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शुभकामनायें

17 सितम्बर 2015
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शब्दनगरी संगठन से जुड़े सभी साथियों को गणेश पर्व की हार्दिक शुभकामनायें. प्रथम देव गणेश, जगतजननी माता पार्वती एवं देवाधिदेव महादेव आपके एवं आपके परिवार में सुख, शांती एवं समृद्धी का संचार करे. इन्ही शुभकामनाअों के साथ... जय श्री गणेश..

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भारतीय पत्रकारिता

7 सितम्बर 2015
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कितना दुखद है कि शोशल मिडिया के द्वारा किसी आपत्तीजनक संदेशों को फैलाने से रोकने के लिये हमारी पुलिस कमर कस के तैयार बैठी है, किन्तु कतिपय लोगों द्वारा धर्म, सम्प्रदाय, जाति, आदि पर १०००-५००० लोगों के बीच दिये गये आपत्तिजनक बयानों को हमारा मीडिया पत्रकारिता कहकर पूरे सवा सौ करोड लोगों को बांटता है ़

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बचपन ..

14 जुलाई 2015
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आज फिर तेरी कहानी याद आ गयी , अपनी वो गुजरी हुई 'यादें ' याद आ गई . अरे मेरे बचपन तू कहाँ खो गया , कैसे इतनी जल्दी मैं बड़ा हो गया . वो शारीरिक चपलता कहाँ खो गयी ? वो मासूम चंचलता कहाँ खो गई?? आज चारों तरफ बुद्धिजीवियों का मेला है , फिर भी अभिलाषी मन कितना अकेला है . यूँ ही कभ

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मुद्दा या मजाक..

4 नवम्बर 2015
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जो लोग किसी विवाद को खत्म करने के बजाय तूल देने के लिए मैं भी ये करूंगा वाली बात करते हैं, जो लोग एक दूसरे से विवादित मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं उनका आचरण गुलामी का और मानसिकता गुलाम होती है. अपनी कमजोरियों को छुपाने अक्सर ऐसे विवादित मुद्दे ढूंढते रहते हैं. और अब तो विपक्ष दयनियता भी इनके साथ

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असहुष्णिता . वास्तविकता या प्रलाप??

7 नवम्बर 2015
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एक नए किस्म का विवाद देश में तेज़ी से जोर पकड रहा है. जो भारत जैसे विकास शील देश को झूठी गिरफ्त में जकड़ रहा है.. बिहार के चुनाव ने इसे खूब परवान चढाया है. कोई चोर कोई शैतान तो कोई धोखेबाज़ कहलाया है. वो सब नेता हैं उन्हें यह सब बातें पचती है. मैं एक आम ईन्सान, मुझे कोई असहिष्णु कहे ये बात मुझे नहीं

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असहुष्णिता . वास्तविकता या प्रलाप??

7 नवम्बर 2015
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एक नए किस्म का विवाद देश में तेज़ी से जोर पकड रहा है. जो भारत जैसे विकास शील देश को झूठी गिरफ्त में जकड़ रहा है.. बिहार के चुनाव ने इसे खूब परवान चढाया है. कोई चोर कोई शैतान तो कोई धोखेबाज़ कहलाया है. वो सब नेता हैं उन्हें यह सब बातें पचती है. मैं एक आम ईन्सान, मुझे कोई असहिष्णु कहे ये बात मुझे नहीं

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असहुष्णिता . वास्तविकता या प्रलाप??

7 नवम्बर 2015
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एक नए किस्म का विवाद देश में तेज़ी से जोर पकड रहा है. जो भारत जैसे विकास शील देश को झूठी गिरफ्त में जकड़ रहा है.. बिहार के चुनाव ने इसे खूब परवान चढाया है. कोई चोर कोई शैतान तो कोई धोखेबाज़ कहलाया है. वो सब नेता हैं उन्हें यह सब बातें पचती है. मैं एक आम ईन्सान, मुझे कोई असहिष्णु कहे ये बात मुझे नहीं

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शुभकामनाएं

11 नवम्बर 2015
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शब्दनगरी के सभी प्रबुद्ध साथियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..

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आतंकवाद..

15 नवम्बर 2015
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आतंकवाद का दंश आज हर कोई झेल रहा है, हलाक होते बेकसूरों के बीच कूटनीतिक खेल हो रहा है. फिल्म शक्ति का एक डायलौग याद आता है - पुलिस अगर अपनी पर उतर आये तो कोई अपराधी बच नहीं सकता. आज ऐसी ही आवश्यकता है अगर सारे देश एकजुट हो जाए तो आतंकवाद पनप नहीं सकता. आज चित्कारती मानवता का एक ही ज्वलंत सवाल है, कब

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तस्वीर..

15 फरवरी 2016
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दिल पर पत्थर रखकर उस प्यारी सी तस्वीर को डीलिट किया हमने, सारे जमाने का बोझ लगा फिर भी ये अनचाहा काम कम्पलीट किया हमने. वो मासूम लग रहे थे इस कदर उस तस्वीर में ,मानो जमाने के किसी गम ने ना दस्तक दी हो तकदीर में. गुज़ारिश है मेरी उस परवरदिगार से, जैसी तस्वीर दिखाई दी वैसी ही बनाए रखे उसे प्यार से. अब

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तस्वीर..

15 फरवरी 2016
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दिल पर पत्थर रखकर उस प्यारी सी तस्वीर को डीलिट किया हमने, सारे जमाने का बोझ लगा फिर भी ये अनचाहा काम कम्पलीट किया हमने. वो मासूम लग रहे थे इस कदर उस तस्वीर में ,मानो जमाने के किसी गम ने ना दस्तक दी हो तकदीर में. गुज़ारिश है मेरी उस परवरदिगार से, जैसी तस्वीर दिखाई दी वैसी ही बनाए रखे उसे प्यार से. अब

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होली की शुभकामनाएं.

23 मार्च 2016
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* हैप्पी होली #😜हमने सपने में कईयों को रंगा लेकिन सुबह "वो".. कोरे थे. गाल उनके मखमल से मुलायम और शुद्ध दूध से गोरे थे. सुबह जब हम होली के नशे में चूर थे, वो खुद को कोरा रखकर घमंड से मगरूर थे. हमने होली के दिन गरीब उनके गोरे गालों को निहारा, "मुझे कोई रंग ना सका "ये प्रतिक्रिया -समझ कर हमारा ईशारा.

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क्या जरूरत है...

2 अप्रैल 2016
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💖क्या जरूरत है💖क्या जरूरत हैहै मुझे ईतर लगाने के लिए तेरा ख्याल ही काफी है.मुझे महकाने के लिये..क्या जरूरत है मुझेसंगीत सिखाने के लियेतेरा जिक्र ही काफी हैदिल में सितार बजाने के लिये.क्या जरूरत है मुझेमहफिलें सजाने के लिये,एक तेरी तस्वीर ही काफी है मेरी तन्हाई दूर भगाने के लिये.क्या जरूरत है मुझे

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अभिलाषा

15 अप्रैल 2016
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🌹 जय श्री राम 🌹काश श्री राम मुझे वाट्सआप ग्रुप पर मिल जाए, कुछ चरित्र निर्माण की चर्चा से आधुनिक रावण की मति हिल जाए. ग्रुप में राम राज की झलक मिलने लगे, और कोई एक हनुमान निकल जाये. ग्रुप में धर्म अध्यात्म की बातें हो, गंदी राजनीति से ना कोई नाते हो. ना कोई किसी को सताते हो, बस भाईचारे के मजबूत न

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नयी पीढ़ी.

19 अप्रैल 2016
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💥🙏🔔🇮🇳😜 नई पीढ़ी 👌बच्चे बेचारे पैकेज के मारे, पापा की मौज त्योहारों के सहारे. एक को फुर्सत नहीं दूजे को फुर्सत ही फुर्सत है 😀सरकारी नौकरी मस्त फिर भी पैकेज की चाहत है 👍नई जैनरेशन का नया है फन्डा 👌👌त्यौहार आप मनाओ हम जमकर मेहनत कर जायेंगे, हर हफ्ते में 2 दिन की छुट्टी अपनी तरह मनायेंगे �

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दीदार..

20 अप्रैल 2016
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शब्द नगरी के सभी सम्मानित मित्रगण एवं सभी प्रियजनों के लिए दो शब्द और एक प्रार्थना भगवन से...

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जान लीजिए..

27 अप्रैल 2016
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💕 जान लीजिए 💕जीवन अनमोल है पर ये सत्य भी जान लीजिए, बुढ़ापे में मित्र ही काम आयेंगे ये बात मेरी मान लीजिए. बहुत परवान चढाया बच्चों को जो अपने आप में रम जायेंगे, बुढ़ापे में अशक्त होकर आप अकेले पड़ जायेंगे. रिश्ते नाते सभी रहेंगे कुनबा फैलाकर अमीर कहलायेंगे, लेकिन मन की बात सुनाने सबको गैरहाजिर पा

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जान लीजिए..

27 अप्रैल 2016
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💕 जान लीजिए 💕जीवन अनमोल है पर ये सत्य भी जान लीजिए, बुढ़ापे में मित्र ही काम आयेंगे ये बात मेरी मान लीजिए. बहुत परवान चढाया बच्चों को जो अपने आप में रम जायेंगे, बुढ़ापे में अशक्त होकर आप अकेले पड़ जायेंगे. रिश्ते नाते सभी रहेंगे कुनबा फैलाकर अमीर कहलायेंगे, लेकिन मन की बात सुनाने सबको गैरहाजिर पा

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जान लीजिए....

27 अप्रैल 2016
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💕 जान लीजिए 💕जीवन अनमोल है पर ये सत्य भी जान लीजिए, बुढ़ापे में मित्र ही काम आयेंगे ये बात मेरी मान लीजिए. बहुत परवान चढाया बच्चों को जो अपने आप में रम जायेंगे, बुढ़ापे में अशक्त होकर आप अकेले पड़ जायेंगे. रिश्ते नाते सभी रहेंगे कुनबा फैलाकर अमीर कहलायेंगे, लेकिन मन की बात सुनाने सबको गैरहाजिर पा

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मान लीजिए..

28 अप्रैल 2016
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💕 जान लीजिए 💕जीवन अनमोल है पर ये सत्य भी जान लीजिए, बुढ़ापे में मित्र ही काम आयेंगे ये बात मेरी मान लीजिए. बहुत परवान चढाया बच्चों को जो अपने आप में रम जायेंगे, बुढ़ापे में अशक्त होकर आप अकेले पड़ जायेंगे. रिश्ते नाते सभी रहेंगे कुनबा फैलाकर अमीर कहलायेंगे, लेकिन मन की बात सुनाने सबको गैरहाजिर पा

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मन

3 मई 2016
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😏.मन 😏आज मन उदास है ना जाने किसके पास है. कोई तो खास है जिनसे मिलने की आस है. क्यों शून्य पर टिके है नैन क्यों मन हो रहा है बेचैन. ये दिल की अस्थायी हलचल है या पिछले जन्म का कोई लेनदेन. जाने क्यों जवाब मिल नहीं रहा तन्हा है दिल जो हिल नहीं रहा. जाने वो कौन है, और है कहाँ जिसकी यादों में मन बेचैन ह

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मन

3 मई 2016
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डिग्री विवाद..

10 मई 2016
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डर या खुशी..

27 मई 2016
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रिश्ते

8 जून 2016
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🙏 रिश्ते 🙏कहते हैं रिश्ते मधुर होते हैं, गुलाबों का उपवन और जन्नत की हूर होते हैं. रिश्तों के दूध में खटाई की एक बूंद भी पड़ जाए, तो यही मधुर रिश्ते बड़े क्रूर होते हैं. तब हम कितने मजबूर होते हैं, जब अपनापन खो जाता है और अपने अपनों से दूर होते हैं. कुछ रिश्ते प्रेरणादायी एवं जीवन से भरपूर होते है

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ढलता हुआ सूरज.

11 जून 2016
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😢     हां जी हां ..😢ढलता हुआ सूरज हूँ मैं यूं तो वक्त था मेरे ढलने में अभी काफी देर उजाला फैला सकता था ज़माने में, लेकिन कुछ मेरे ताप से बेचैन और कुछ की आशिकी मेरे ढलते हुए सौंदर्य में. सो मैं ढलने को मजबूर अपनी चमक से दूर एक मनोहारी सौंदर्य से भरपूर ढलने की तैयारी कर रहा हूँ, मेरे चाहने वालों अरे

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ढलता हुआ सूरज..

11 जून 2016
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😢     हां जी हां ..😢ढलता हुआ सूरज हूँ मैं यूं तो वक्त था मेरे ढलने में अभी काफी देर उजाला फैला सकता था ज़माने में, लेकिन कुछ मेरे ताप से बेचैन और कुछ की आशिकी मेरे ढलते हुए सौंदर्य में. सो मैं ढलने को मजबूर अपनी चमक से दूर एक मनोहारी सौंदर्य से भरपूर ढलने की तैयारी कर रहा हूँ, मेरे चाहने वालों अरे

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