जो लोग किसी विवाद को खत्म करने के बजाय तूल देने के लिए मैं भी ये करूंगा वाली बात करते हैं, जो लोग एक दूसरे से विवादित मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं उनका आचरण गुलामी का और मानसिकता गुलाम होती है.
अपनी कमजोरियों को छुपाने अक्सर ऐसे विवादित मुद्दे ढूंढते रहते हैं. और अब तो विपक्ष दयनियता भी इनके साथ है.
भ्रष्टाचार की कमाई खाना रुक गया तो विवादित चीजें खाने को मन कर रहा है. अपनी गुलाम और घटिया मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. और इन सब पर प्रतिक्रिया देने वाले मूर्ख अपने को ना जाने क्या समझ रहे हैं.
सकारात्मक मुद्दे पर ना कोई स्पर्धा करता है ना मीडिया उन्हें उजागर करता है. पर नकारात्मक मुद्दे लपकने को सब तैयार बैठे हैं.
यही समाज का आईना है और बुद्धिजीवियों की आज की पहचान.. शर्म आती है ऐसे घटिया लोगों को उच्च पदों पर देखकर..