19 जुलाई 2015
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मेकानिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत . खेल कूद , साहित्य , संगीत से विशेष प्रेम . पर्यटन , समाज सेवा , में रूचि . D
हां नरेंद्र जी , भगवान ने हम सब को एक सामान बनाया .. ज़रूरत पड़ने पे खून किसका है ये कोई नहीं पूछता .... बाद में सब याद आता है
20 जुलाई 2015
इसीलिये आज भी उम्मीदें मरी नही , खून के बदलते रंग से डरी नही...नरेंद्र भाई इस रचना पर आपने बहुत मेहनत की है, काफी बड़ी रचना है...अति सुन्दर !
16 मई 2015
प्रिय मित्र , आपकी इस उत्क्रष्ट रचना को शब्दनगरी के फ़ेसबुक , ट्विट्टर एवं गूगल प्लस पेज पर भी प्रकाशित किया गया है । नीचे दिये लिंक्स मे आप अपने पोस्ट देख सकते है - https://plus.google.com/+ShabdanagariIn/posts https://www.facebook.com/shabdanagari https://twitter.com/shabdanagari - प्रियंका शब्दनगरी संगठन
15 मई 2015