आज याद आ रहा है वो गुजरा ज़माना ,
जब जिंदगी का सफर था कितना सुहाना .
वो थोड़ी सी डांटे वो बचपन की बातें,
पर ज्यादातर "ताऊ" से प्यार ही पाते .
वो ताऊ की कहानी हमारी जुबानी ,
जब लड़कपन में करते थे उनसे मनमानी.
समाजसेवा में लगाया करने जीवन में उजियारा ,
वो उनका इशारा था जीतो जग सारा .
वो बुध्धिविकास के लिए हमें बेवकूफ बनाना ,
वो खिलौना समझकर हमें दिनभर खिलाना .
आज एक रिश्ता हमेशा के लिए अमर हो गया ,
वो आशीर्वाद का महान स्रोत प्रभु को प्यारा हो गया.
जाते जाते भी समाज को एक मिसाल दे गए ,
"देहदान" कर नश्वर काया की उपयोगिता साबित कर गए .
हमें गर्व है ऐसे महान व्यक्ति थे हमारे "ताऊ" ,
अब रिश्ता ये अमर हो गया अब ताऊ किसे बुलाऊँ .
आज याद आता है वो गुजरा ज़माना ,
वो "ताऊ" का प्यार वो आशीर्वचन का खजाना .
जिनकी सेवा , समर्पण की चर्चा गली गली ,
वैसे हमारे स्वर्गस्थ "ताऊ" को हमारी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि .
--- नरेंद्र जानी (भिलाई नगर) .तारीख २१.७.२०१५
" हमारे पूजनीय "ताऊ" स्वर्गीय जगदीश भाई जानी
के श्रीचरणों में एक श्रद्धा सुमन... ओम शान्ति ओम ..