वो अलफ़ाज़ ही क्या जो समजाने पड़े ,
हमने तो मोहब्बत की है कोई वकालत नहीं .
बरसों बाद नज़रें मिली और नज़रें झुकी उनकी ,
बस तसल्ली हो गयी की उनमे कुछ तो हया बाकी है .
शौक से तोड़ो दिल मेरा जिस तरह चाहो ,
मैं क्यों परवाह करूँ घर तुम्हारा है चाहे जिस तरह सवारों .
ना like माँगा है ना comment मांगेंगे ,
बस तुम्हे अपना फोटो और स्टेटस दिखा कर याद दिलाएंगे .
ये मोहब्बत की छोटी सी दास्ताँ है कोर्ट की कोई जिरह नहीं ,
ना इसमे खुद उलझेंगे ना तुम्हे उलझाएंगे ..