धीरे धीरे एक दूसरे में समाते गए ,
मेघ वो बारिश के थे
जो आसमान में छाते गए .
इन मेघों की प्रणयलीला ने
सूरज को निस्तेज किया ,
फटी धरती से चिंताग्रस्त किसान के
सपनों को सहेज दिया .
कुछ देर आलिंगन करके
मेघों ने जल बरसाया ,
भावातुर हो हर किसान अब
खुशियों से मुस्काया .
धरती की सुखी गोद
अब जल्दी ही भर जायेगी ,
हरी भरी धरा होगी और
फसलें लह लहाएंगी .
वर्षा से जीवन है और
आती वर्षा से खुशहाली ,
चारो तरफ पक्षियों का कलरव
कोयल कूके डाली डाली .
वर्षा ऋतु है खेल मेघों के
प्रणय मिलन का ,
आसमान से इस धरा तक
संचार है नवजीवन का .
ग्रीष्म की तेज तपन के बाद
शीतल बारिश की बूंदें
बरसाते गए ,
एक दुसरे के आगोश में समाये
मेघ ये बारिश के थे
जो आसमान में छाते गए
अमृत बरसाते गए .
अमृत बरसाते गए ....
- नरेंद्र जानी ( भिलाई नगर)
तारीख ... १९.७.२०१५ रविवार