दिल पर पत्थर रखकर
उस प्यारी सी तस्वीर को
डीलिट किया हमने,
सारे जमाने का बोझ लगा
फिर भी ये अनचाहा काम
कम्पलीट किया हमने.
वो मासूम लग रहे थे
इस कदर उस तस्वीर में ,
मानो जमाने के किसी गम ने
ना दस्तक दी हो तकदीर में.
गुज़ारिश है मेरी उस
परवरदिगार से,
जैसी तस्वीर दिखाई दी
वैसी ही बनाए रखे उसे प्यार से.
अब हमसे ना पूछिएगा कि
क्यों हमने वो तस्वीर मिटाई,
उस मासूम चेहरे को
किसी की नज़र ना लगे
इसलिए दूसरों की नजरों से बचाई.
क्यों ठीक किया ना भाई???
. . नरेंद्र जानी (भिलाई नगर)
दिनांक - 15.2.2016 सोमवार.