26 जून 2015
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मेकानिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत . खेल कूद , साहित्य , संगीत से विशेष प्रेम . पर्यटन , समाज सेवा , में रूचि . D
नरेंद्र जानी भाई, बहुत धन्यवाद आपने मित्रों की मंगलकामनाओं पर पूरा भरोसा किया...आपका सर्वमंगल होगा यह हमारा दृढ विश्वास है....आपकी अग्रिम खुशरंग रचना की प्रतीक्षा में...
27 जून 2015
पुष्पा जी एवं विजय कुमार शर्मा जी, आपकी प्रेरणादायक टिप्पड़ियों हेतु अनेक धन्यवाद !
27 जून 2015
जानी जी टूटे हुए मन की एक उत्कृष्ट रचना। इंतजार है आपकी जुड़े हुए मन की उत्कृष्ट रचना का
26 जून 2015
शब्द नगरी संगठन आपका ये प्रयास बहुत सराहनीय है की लोगो की रचनाओं द्वारा और टिप्पणियों द्वारा अच्छी अच्छी प्रेरणादायक बातें कहीं जाय ताकि जीवन की परेशानियों से परेशान इंसान को कोई राह नजर आये .. बहुत बहुत धन्यवाद शब्द नगरी संगठन ... नरेंद्र जानी जी आपके पड़ोस रायपुर की बेटी हूँ तो आपकी कविता की गंभीरता समझ में कैसे न आएगी? एक लेखक समाज के लिए बहुत कुछ कर सकता है जो आप कर ही रहे हो इतनी अच्छी रचनाएँ लिखकर ... और नरेंद्र भाई एक बात हमेशा याद रखियेगा जब यदि सुख के दिन हमारे पास नहीं रहे हैं अभी तो दुःख के दिनों को भी जाना ही है जरुरत है तो बस हौसला बनाये रखने की और हिम्मत से आगे बढ़ने की ... ये आपकी इस बहन का आदेश नहीं बस एक प्रार्थना है की खुद को संभालिये मुश्किल समय में .. हम सबको आपकी अगली रचना का इंतज़ार रहेगा भाई .. धन्यवाद ...
26 जून 2015
आदरणीय पुष्पा जी, शर्मा जी एवं शब्दनगरी संगठन ,मेरे कठिन समय में मेरी हिम्मत और विश्वाश बढ़ाने के लिए की गयी आपकी मंगलकामना जल्द ही मेरा वक्त बदल देंगी .. ये कोई कविता नहीं थी , बस कराहते हुए दिल और टूटते मन से कुछ शब्द निकलते गए और इसने एक रचना का रूप ले लिया . आपने इसे गंभीरता पूर्वक पढ़ा इसका असली मर्म समझा और मुझे बहुत बड़ा सहारा दिया.. मुझे मित्रों की मंगलकामनाओं पर पूरा भरोसा है .. आशा है जल्द ही कोई नयी रचना लिख पाउँगा .. पुनश्च धन्यवाद ..
26 जून 2015
जानी भाई, कितनी जानदार रचनाएँ पढ़ी हैं आपकी...आपका नाम सामने आते ही एक शानदार व्यक्तित्व सामने आ जाता है। ठीक है, उतार-चढ़ाव जीवन के दो पहलू हैं लेकिन गिर कर उठने की रीत भी तो हम ही निभाते आए हैं। रात ढली है तो सुबह भी होगी, और ज़रूर होगी। हम सब मित्रों की ताकत ऐसी भी कम नहीं है। आप जल्दी से जल्दी अपनी समस्या से निजात पाएँ, हम सब की हार्दिक कामना है !
26 जून 2015
पुष्पा जी, इस टिप्पड़ी के लिए आपको अनेक धन्यवाद ! हम अपने अन्य शब्दनगरी मित्रों से भी ऐसी ही प्रेरणादायी टिप्पड़ियों की आशा करते हैं। हमारे शब्द यदि किसी टूटे मन को जोड़ सकें तो वह रचना सबसे सुंदर होगी !
26 जून 2015
जीवन से हारे इंसान के जज़्बातों को बहुत ही अच्छे शब्दों में ढाला है आपने किन्तु जीवन का दूसरा नाम जंग है यहाँ हर पल हमें किसी न किसी तकलीफों से गुजरना पड़ता है पर सच्चा इंसान वो है जो हिम्मत हारने की बजाय समस्या का हल निकाले न की जीवन से दूर हो जाय या खुद का अंत करे
26 जून 2015
नरेंद्र जानी जी, भोर होने से ठीक पहले घना अँधेरा ही होता है, ऐसा लगता ही नहीं कि दूर-दूर तक कहीं उजास की कोई किरण भी है, लेकिन देखते-देखते रात भी गुज़र जाती है और उजाला भी होता है। ऐसा ही कोई सूरज आपकी प्रतीक्षा में हैं। पूरा विश्वास है कि हमारा विश्वास जीतेगा और आपके आस-पास पसरा तिमिर देखता रह जाएगा, और आपकी अगली पोस्ट में सिर्फ उजालों की बात होगी। ...खुशियों-मुस्कानों से परिपूर्ण आपकी अग्रिम रचना की प्रतीक्षा में...
26 जून 2015