प्यार इश्क मोहब्बत की परिभाषा
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तुम्हारी आँखों से बहती चाहत में नहा लूँतुम्हारी आवाज़ की धनक में नग्में सुनूँ सज़ल नैनरथ में बरसों से ये ख़्वाब पले काया ओढूँ तेरी तन पर मेरे प्रीत का शृंगार करूँ, उर पर बैठा नुक्ता गुद
"तू बस तू"सांझ की बेला में मिलते है दो दिल जबरथ रति का मेरी साँस साँस चलता हैकामदेव सी ललक जगाएंतू बस तू इस तन की जरूरत होता है।बाती सी चाहत में प्रीत का तेल कौन सिंचे तुम बिन....नज़र से नज़र के
"तुझे बेतहाशा चाहूँ"बंदीशों के दायरे में रहकर क्यूँ तुमको चाहूँ, चंचल नदी सी हूँ अपने समुन्दर की प्यासी क्यूँ सारे बंधन तोड़ कर बयार सी बह ना जाऊँ.! आगोश फैला मेरे अनुरोध पर मैं लहरों सी लहराती आ
रति से मेरे स्निग्ध स्पंदन को सहज कर रखा है तुमने सीपी में मोती के जैसेआगोश में भरकर कामदेव से तुमबरसते रहते होघूँट-घूँट पीते मेरी चाहत की अंजूरी जब-जब मेरे इश्क की सुराही से टपकी
1 अपनी रूह को तबाह मत करो यूँ अपनी रूह को तबाह मत करो, कसकर पकड़ो मेरी चाहत को औरहल्का सा दबाव दे दो हमारे रिश्ते की गिरह को ये वक्र सा वादा मुझे अखरता है..'मैं हाँ मैं' तुम्हारी दुनिया रचना
1 "कभी भूला तो न दोगे मुझे"फ़िरोज़ी मेरे सपने बुनते है एक वितान अपने अरमानों के धागों संग तुम्हारी किस्मत की तुरपाई करते, तुम्हारी आगोश में टूटे मेरे तन की कश्मकश कहती है कहो कभी भूला तो न दोगे
1'खुद को मेरे नाम कर गई'तितलियों के शहर से छलके हो सुनहरी सारे रंग जैसे दुनिया ही मेरी रंगीन हो गई, मिली नज़र महबूब से ऐसे घायल दिल के तार कर गई।उफ्फ़ ये आलम मदहोशी का बयाँ क्या करूँ लफ़्ज़ों में इसे,
ए हीरे की कनी सुनों,मेरी ज़ुबाँ पर ठहरे सवाल का सुमधुर स्वाद थोड़ा चख लो, सुनों क्या इज़ाज़त है पहलू में बैठूँ ज़रा,तुम्हारी बिल्लौरी सी चमकती आँखों का रंग देखना चाहता हूँ।धड़कन की धुन पर बजती तान
1 रसीले होंठअनार रस टपकाते तुम्हारे रसीले नाजुक लब पर ठहर जाऊँ भँवरे की गूँज बनकरलिपटी दो कलियाँ गुलाब की हो आपस में जैसे लुभा रही है मेरी अदाओं को।देखो ना भँवरे के चुम्बन के प्यासेकुँवारे स