खबर हैं, आज आसमान में धरा पर कोई प्यासा बैठा पुकार रहा हैं। जमघट लगा हुआ हैं, बादलों का अपनी गर्जना, तड़ित प्रकाशितस्वर से अपनी भूमिका दिखा रहा हैं।दिन पूरा कर दिया कलाधूल भरी हवाओ
पागलों-सा एहसास इस अकेलेपन की बरसात रागिनी में तेरी मौजूदगी का ख्वाब हिलते डुलते सूखे पतों की बात सुलगते अंगारों में मय की बोछार ये सभी चीजें कहाँ हमें जीने देगी। हर लेखक के लेख में तेरा
ईश्वर की है यह अद्भुत लीला
कहीं चमकती धूप है तो कहीं छाया ही छाया
थे वे नादान परिंदे
समझ नहीं थी जिनको खतरे और सुरक्षा की ।
बना
तेरे माथे की सुंदर सी बिंदिया।
तुझे बहुत गौरवशाली बना देतीहै।
कल की परछाई आज पर पड़ती है। अगर हम अच्छी तरह रहते हैं तो अच्छी पड़ती
मेरा यह संदेश खाली अपने देश के लिए ही नहीं ,समस्त संसार के उन लोगों क
जब हम छोटे बच्चे थे।
रोज स्कूल जाते थे।
बहुत शरारत करते थे।
ढूंढती हूं मन का चैन।
ढूंढती हूंमन का सुकून।
ढूंढती हूं मन का
सैनिक तो सैनिक है ।
युद्ध हो या ना हो ।
सैनिक तो सैनिक है ।
दूर जंगल में एक झोपड़ी नजर आई। जंगल इतना घना था पास जाने की हिम्मत ना
नन्हे नन्हे बच्चे
होती उनकी उम्मीदें नन्हीं।
छोटी-छोटी उम्मीद