ईश्वर की है यह अद्भुत लीला
कहीं चमकती धूप है तो कहीं छाया ही छाया।
जिनको मिलती नहीं धूप वे तरसते हैं धूप को।
जिनको मिलती खाली धूप तरसते छाया को।
भर गर्मी धूप में छाया ढूंढते।
मारे मारे इधर-उधर भटकते।
कहीं एक पेड़ नजर आए
इसकी छाया भी शीतलता दे जाती।
कुछ देर बैठ वही सुस्ताते।
और मन को खुश कर जाते।
यही हाल है छाया का जहां बहुत कम निकले धूप ।
उन देशों में जाकर देखो यहां दिनभर रहती छाया मन हर समय रहता अलसाया।
कभी कभी थोड़ी धूप को जो उनको नसीब होती।
वही उनको ताकत दे जाती।
इसीलिए मेरे दोस्तों जिंदगी में धूप और छांव दोनों ही जरूरी है।
दोनों का अपना-अपना महत्व है।
स्वरचित पंक्तियां 24 नवंबर 21