जब से व्हाट्सएप की सुविधा है आई। सबने अपने अपने प्यारे प्यारे चैट रूम
यह जिंदगी है ऊपर वाले ईश्वर की दी हूई।
जाने कब उसका बुलावा आ जाए।
समय का पहिया चलता जाए यही है उसका काम रे।
जो इस निरंतरता पकड़ ले
कभी जब मैं सोचती हूं
अकेले बैठे विचार में पड़ती हूं
दीन दुनिया
।।एक बारिश मुझमें भी है।। जो सबके जेहन
जी हां मैंने चुड़ैल और चुड़ैल की टोपी तो मैंने नहीं देखी है।☺️
मग
क्यों यह गलियां सोई पड़ी हैं।
क्यों यह वीरान सुनसान पड़ी है। लगता
मैं हूं एक आम आदमी की डायरी जो हमेशा लोगों से छिपा कर लिखी जाती है।
मेरे लिए पर्याप्त है ( लघु ) पूरा रास्ता,नहीं मालूम;वांछनीय गंतव्य, जहां जाना है, नहीं मालूम; एक बार में,