shabd-logo

पुस्तक लेखन प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Pustak lekhan pratiyogita


दिल की कलियां, कुम्हलाने लगी ।       आंखों में नीर,समाने लगी ।वादे की घड़ियां,मिटने लगी ।        दिल में भी हलचल ,मचने लगी ।इन्तजार की घड़ियां, शरमाने लगी ।&nbs

क्यूं , मुस्कुराने की वजह ढूंढते हो ?              बेवजह, मुस्कुराने में, हर्ज ही क्या है ?वैसे तो इस जमाने में,कोई इंसा नहीं है ।         

हिम्मत हार जाओगे,               तो कहकहे, लगा देगा जमाना ।संघर्ष में हार जाओगे,                 तो हंस लेगा जमाना ।

आज अपनी वफ़ा पर ,हमको ही,                 खुद हंसना आ गया ।जिन्हें सीने से लगाया था,                उनके हाथ में खं

बदलते हुए मौसम की तरह,          इंसान बदल रहा है ।सचमुच हर इक का,            ईमान बदल रहा है ।ईष्र्या-द्वेष का देवता देखो,      &n

बदलते हुए मौसम की तरह,          इंसान बदल रहा है ।सचमुच हर इक का,            ईमान बदल रहा है ।ईष्र्या-द्वेष का देवता देखो,      &n

वफ़ा का चिराग, दिल में जलाकर,           बेवफाई का अंधेरा, मिटाने चला हूं ।जमाने की धरती पर,राहें कठिन है,            फिर भी खुद को, आजमाने च

होलिका को वरदान प्राप्त था,       किसी को भी, अग्नि से जलाने का ।भक्त प्रहलाद को, विश्वास अटल था,         प्रभु द्वारा, लाज बचाने को ।हिरण्यकश्यप, अभिमानी

आज ज़िन्दगी मुझे क्यूं, आजमाने लगी है ?          अपनों से दामन क्यूं, छुड़ाने लगी है ?इम्तहानों की मंजिल, गुजरती नहीं है ।            ये हमदर्दी

कुछ तुम कहो,          कुछ हम कहें ।चलो मिलकर ,           इक नया किस्सा लिखें ।नया किस्सा ही नहीं,        नया रिश्ता ही नहीं,इ

मैं वो कमजोर फूल नहीं,           जो हवा के झोंके से, टूट जाऊं ।मैं वो नन्हीं बूंद नहीं,             जो हवा के झोंके में, उड़ जाऊं ।मैं

मैं वो कमजोर फूल नहीं,           जो हवा के झोंके से, टूट जाऊं ।मैं वो नन्हीं बूंद नहीं,             जो हवा के झोंके में, उड़ जाऊं ।मैं

दिल की धड़कन, गुपचुप कुछ कहती हैं ।          ये सांसें किसी के लिए, ही चलती है ।वे भूल चुके, उन मधुर पलों को,          जिसमें था, संगीत बसा ।उन संगीत

संयुक्त परिवारों की,        परिपाटी टूट गयी ।आज घरों की लाठी टूट गयी ।         अब बड़ों का, मान कहां होता है ?अब तो छोटों का,        &n

दौलत की चादर बिछाकर, सोने वालों,         इक दिन तुमको भी,इस ज़मीं पर सोना होगा ।न चादर होगी,       न बिछौना होगा ।सिर्फ शरीर पर,       

संवरकर चलने का मतलब नहीं,            कि मैं, बेहद खुशहाल हूं ।संवरकर चलने का मतलब है ,             कि मैं इन्सान हूं ।जिन्दगी जीने का म

शिव सत्य है,शिव सुन्दर है ।        शिव ही, जीवन का आधार ।शिव बिना इस जगत में,         सब कुछ है,नि:सार ।शिव कृपा, जिस पर हो जाये ।      &nbs

featured image

दीपक का एक सहपाठी नन्दू गांव से आठवीं पास करके अपने एक रिश्तेदार के साथ मुम्बई चला गया था। दो वर्ष के बाद जब वह गांव वापस आया तो उसे देखकर दीपक अचंभित रह गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा कि क्या सचमु

आपने अभी तक पढ़ा था की सिया रघु को ढूंढ रही है। तभी अमन आता है,और सिया से पूछता है तूने रघु को देखा ह

आपने पिछले भाग में पढ़ा था की सब सिया के यंहाँ से

खाना खा कर जाते हैं। रघु मुड़ मुड़ कर देख रहा है,

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए