एपीसोड 22 - जीवन और आएशा का प्यार
पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की आएशा और आकाश जीवन के साथ मिलकर खान चाचा के घर पर जाते है , वहा का नजारा देख कर वो हैरान हो जाते है सारा सामन इधर उधर बिखडा पडा था, क्योंकि दादाजी ने जीवन को बताया था की खान ही वो कैसे संभाल रहे तो घर में ही कुछ ना कुछ मिलेगा, और जैसा कि उन्हें लगा था उन्हें कुछ मिल भी जाता है वहा पर जिसके वजह से आएशा और जीवन से जुड़े लोगों की जिंदगी बदलने वाली थी।
वैसे अरुण भी तो आकर आएशा की कहानी बदलने वाला था जाने अंजाने वो भी तो विलेन की भूमिका बजानेवाला था, कारण कोई भी ही क्या आयशा अपने मन के खिलाफ जाकर निर्णय ले पाएगा।
आज देखते है छानबीन करते करते क्या सच में आएशा और जीवन करीब आते है, जो वो ऐक दूसरे के लिए महसूस कर रहे थे क्या जान पाएंगे उस एहसास को
और जब आएशा के पापा ने अरुण को चुना था क्या अपने पापा के खिलाफ जाकर वो जीवन को चुनेगी, कैसे पता चलेगा दोनो को अपनी मोहबत का जिसे अब तक वो दोस्ती ही समझ रहे थे।
अरुण उनमें सा था जो अपने पापा को बहुत प्यार करता था पर जैसे वो अपनी मॉम को अपना प्यार दिखाता था वैसे अपने पापा से बचपन से ही नही जता पाया था, जब आएशा थी तो दिनों के बीच पूल का काम करती थी, पर अब आएशा ही नही थी, कभी कभी अरुण को भी बुरा लगता था पर फिर उसे आलोक ने जो उसके दोस्त के साथ किया वही याद आता था और वो सब भूल जाता था।
अरुण के पापा इन दिनों अरुण के बर्ताव के वजह से बेहत दुखी थे, अच्छे से खाना नही खा रहे थे, में ही मन में वो खाए जा रहे थे, आयशा से उन्हे बेहत लगाव था हालाकि एक वक्त था जब वही मोहन चाहते थे की अरुण की शादी उनके ही दोस्त के बेटी से हो, पर अरुण के साथ रहते रहते और आएशा का अरुण के साथ रिश्ता, जैसी वो उनकी फिक्र कर रही थी, उन्हे पहली बार अपने बेटे की पसंद पर उन्हें नाज था और इस बात जी खुशी थी की उन्होंने उसे तब नही रोका था, पर जब उन्हे पता चला था की वो तो कभी आएशा के साथ शादी नही करेगा, तो वो फिर बहुत गुस्सा होते है।
इसी बात का उन्हे बेहत टेंशन थी, डॉक्टर ने उनका चेक अप करके उनका अच्छे से खयाल रखने के लिए बोला गया था, पहले ही उनको जब आयशा थी तब उन्हें हार्ट अटैक आ गया था, तभी से अरुण हर पल उनका खयाल रख रहा था।
जाने कैसे पर मोहन को अरुण का प्लान ध्यान में आया था, उन्होंने कुछ अरुण के कमरे में ढूंढते ढूंढते उन्हे आलोक की पावर ऑफ अटॉर्नी दिख जाती है और उन्हें ये भी पता चलता है की अरुण ने आएशा का सब कुछ अपने नाम कर दिया है और उन्हें इस बात की खबर भी नहीं है।
यहां कैसे मैंने बताया था की आएशा जीवन के साथ लगी रहती है अपने तलाश में, फोटो लेकर आकाश , जीवन और आएशा उस घर से बाहर निकल आते है, देखते है एक लिफाफे में खान की डायरी और फोटोग्राफ वो निकाल के लाते है।
जैसे मैने कहा था वो हैरान हो जाते है, डायरी में हर एक पन्ने पर कुछ ना कुछ लिखा होता है, साल उसपर 1954 लिखा होता है, महीने जैसा मैने कहा त्योहारों का महीना चल रहा होता है, नवंबर का महीना जब हम सब धूम धाम से दिवाली मना रहे होते है तब हमारी मुंबई चिंगारी में दहक रही थी।
आकाश को किसी का कॉल आता है, तो आकाश तो चला जाता है, अब उसको जीवन पर पूरा यकीन हो गया है की जीवन एक अच्छा इंसान है तो उसको अब आएशा की फिक्र नहीं होती जब वो जीवन के साथ होती है,दोनो की प्रायरिटी यही कैसे है।
उस डायरी में अलग अलग दिन का कच्चा चिट्ठा होता है, जिसे एक एक करके दोनो मिलकर पड़े जा रहे थे। एक पन्ने पर आकर वो रुकते है जहा उन्हे एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक नन्ही बच्ची गोदी में बैठी दिखाई देती है, और आएशा दंग रह जाती है।
क्यू आएशा ऐसे दंग रह गई क्योंकि वो फोटो तो उसी का बचपन का फोटो जैसा है, भले ही पहनावा अलग है पर वो बचपन में हुबहू वैसे ही दिख रही थी, और डायरी में जानकारी से पता चलता है की वो इंसान उसके पिताजी थे, जो की बेहत ही रईस थे, बेसिकली मनाली से थे और उनकी पोस्टिंग मुंबई में हुवी थी। वहा पर दो नाम लिखे थे
पुलिस इंस्पेक्टर अनिरुद्ध दुबे और उनकी लाडली बेटी सानवी यानी की हमारी आयशा पिछड़े जन्म में सानवी थी।
अनिरुद्ध जी की हत्या हो गई थी उनके घर को जलाया था किसी ने, कहा जा रह था की उनके दुश्मनों ने उनका घर जलाया था, क्योंकि उस वक्त अहमद हवालदार सानवी को लेकर बाहर गए थे, अहमद हमेशा से ही उसी पुलिस इंस्पेक्टर के साथ काम करता था, जब वो लौटकर आए तब घर जल रहा था, और उसमें उनकी जलकर मौत हो गई होती है।
जब कोई देखता है सानवी को, तो उसे मारने के लिए लोग भागते है, फिर अहमद के साथ उस दिन उनकी बेटी भी होती है, जैसा ही वो हत्यारों को देखता है तो वो सानवी और अपने बेटी को लेकर भाग जाता है, पर कोई ऑप्शन ना दिखता है तो अपनी बेटी का लॉकेट उतरकर सानवी को पहनता है, ताकि बाहर जो दंगे हो रहे थे अहमद के साथ के कोई आए तो अपने बेटी के साथ वो सानवी को ले जाए।
जैसा कि आयशा ख्वाब में देखती है वैसे ही सब कुछ लिखा होता है, अहमद को गोली लगाके उसकी मौत हो जाती है, फिर इन दो बेटियों का क्या हुआ कोई नही जानते।
ऐसे बहुत से पन्ने पढ़के आगे बढ़ते बढ़ते कितनी परत खुल रही थी, एक और तस्वीर दिख रही होती है, एक पेपर में कुछ 16-17 साल का लड़का गोली चला रहा है, और वो फोटो होता है जीवन का जिसकी तलाश उस वक्त पुलिस कर रही होती है, पर हैरान की बात ये है की उस फोटो में दो लड़के होते है जो बिल्कुल हमशक्ल होते है।
डायरी में खान ने उनका नाम सागर और सौरव लिखा होता है, सागर और सौरव सेन था उनका नाम पर क्या दुश्मनी थी की उनके हाथों में बंदूके थी। पर क्यू क्या दुश्मनी थी उनकी सानवी के पापा और सानवी से। कौन सा बुरा किया था,पुलिस ने उनका, और क्यू ही वो गली जल रही थी साथ में शहर भी जल रहा था।
अब आकाश घड़ी देख लेता है तब करीब उसके काम पर जाने का टाइम होनेवाला होता है, तो जीवन आएशा को बाय कहके वहा से निकल जाता है, पर ऐसा होता है की वो जा ही नहीं पाता है। जैसी ही आएशा जानेवाली होती है उसे किसका कॉल आता है, और परेशान होकर चलने लगती है,जैसे ही वो रास्ते पर होती है, जीवन उसको आवाज दे रही होती है पर वो ध्यान नही देती सामने से आती तेज गाड़ी उसको कुचलकर चली जाती है।
जीवन को कुछ समझ ही नही आता है की वो क्या करे, जैसे ही वो उसके पास चला जाता है, उसकी हालत बहुत बुरी होती है, जैसा मैने कहा था उसको अचानक एहसास हो गया की वो आएशा को खो नही सकता था, वो उसको अपने गोद में उठाकर जैसे ही टैक्सी रुकवाकर ले जाता है हॉस्पिटल, आएशा की आंखे जब तक खुली है वो ये सब देख रही होती है और वो ये भी सुनती है की जीवन उससे कितना प्यार करता है ।
हॉस्पिटल ले जाकर वो आयशा को एडमिट कर देता है, आएशा की कंडीशन बेहत बुरी होती है, उसका खून भी बहुत बहा होता है, जल्दी जल्दी में वो आकाश को भी नही कॉल करता है, जीवन उसको अपना खून देता है।
फिर भी डॉक्टर कहते है की अगले कुछ घंटे उसके लिए खतरे से खाली नही है, तब तो वो बेहत दर जाता है, अब आएशा के मोबाइल पर आकाश का फोन आया है, दो तीन बात रिंग होने के बाद जीवन उठाता है और आकाश के आएशा के एक्सीडेंट के बारे में बता देता है की उसका एक्सीडेंट होकर वो हॉस्पिटल में भर्ती हो गई है।
आकाश उसको बस खयाल रखने की बोलता है और वो जल्दी आने की कोशिश करूंगा कहता है वैसे वो थोड़ा बाहर होता है शहर से दो या तीन किलोमीटर दूर होता है, बाकी किसी का नंबर तो नही होता उसके पास, तो वो हॉस्पिटल में ही आएशा के होश में आने का इंतजार करता है।
क्या आएशा को जल्दी से होश आएगा, क्या आयशा भी अपने मन की फीलिंग समझके जीवन के प्यार को स्वीकार कर लेगी या फिर अरुण के पास चली जायेगी क्योंकि अरुण उसका मंगेतर होता है।
और आखिर उसको किसका फोन आया था जिसके कारण वो भागी भागी चली जा रही थी जानते है कल ।
" दो चेहरे प्यार या धोखा।"