साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी, हिंदी साहित्य के श्रेष्ठतम रचनाकारों में से एक हैं । आपका जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में बाबई नामक स्थान पर हुआ था । आप भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। वे एक ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार ही नहीं बल्कि एक सच्चे देशप्रेमी भी थे. आपकी कविताओं में देशप्रेम के साथ साथ प्रकृति और प्रेम का भी सुंदर चित्रण देखने को मिलता है। ऐसे श्रेष्ठ साहित्यकारों के प्रति श्रद्धावनत हैं ‘पुष्प की अभिलाषा’ के ये सुन्दर सुमन...
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँधा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ;
चाह नहीं सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के शिर पर,
चढ़ूँ, भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक ।
-माखनलाल चतुर्वेदी
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D