मुक्तक-संसार के अटूट पथ पर कुर्सी कंचन कामिनी"मुक्तक संग्रह" एक अदना से कंकण के समान पथ समृद्धि में अपना योगदान दे और समस्त मानव इसके आनन्द-सागर से कुछ संग्रहित कर सके इस हेतु एक छोटा सा प्रयास आपकी सेवा में। आपका गिरिजा शंकर तिवारी "शाण्डिल्य"
क्या आप ने किसी को देखा हैं की किसी पर हाथ रखें और उस इंसान का दर्द ठीक हो जाएं ! यह अगर आप ने देखा हैं तो दिमाग मान कर भी नहीं मानने देता होगा क्यूंकि उसे कुछ तर्क चाहिए ! तो में आप को इसमें बताऊँगी की ऐसा क्यों होता हैं ! यह मेरी रेकी प्रथम
"मेरे बचपन का काफी समय मध्य प्रदेश के दूरदराज कस्बों गांवों में बीता क्योंकि तब मेरे पापा पुलिस विभाग में थानेदार थे। वे उनमें से थे जिनका ज़मीर सदा भरपूर जीवित रहा। इमानदारी व सच्चाई उनके खून में बहती थीं। इसलिए मेरे पास बचपन की याद के तौर पर रहस्य
इस पुस्तक में रेकी करने वालों के लिए सारी तकनीकी बताई गई हैं। आपके घर में अलग-अलग कमरे में । आपके परिवार के लिए आपके जीवन के अलग-अलग पहलुओं में किस तरह से रेकी की जाए। इस पुस्तक को पढ़कर। आप अपनी रेकी करने की प्रतिभा को निखार सकते हैं। अभ्यास करने के
लिखना मेरा पैशन है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए लिखती हूं। लिखना मेरी पहचान है। मेरे दैनिक लेख मैं इस किताब में संग्रहित करूंगी।
इस अफ़साने को लिखने की एक वजह यह भी रही कि मुझे स्माइलियों की भाषा बहुत रोचक जान पड़ी थी। मेरी एक चिंता यह भी थी कि इसके साथ हमारे शब्द, उनमें छुपे एहसास, एहसासों को ज़ाहिर करने के इंसानी तौर-तरीक़े, इंसान का अपना शब्दकोश, ये सब मर तो नहीं रहे हैं। म
I want to say something about my love and for those boys who belong to middle class family nd from small town nd theylove to any girl but couldn't express their feelings this is the story of that type of boys to get their love because who are bond w
माँ की लाड़ली, पिता के ह्रदय की कली , बैठाई गई पलकों पर सदा, सँवरी,निखरी,नाजों से जो पली ,पर स्त्री हूँ ना तो कभी होना पडा़ शोहदों की फब्तियों का शिकार, कभी सहनी पडी़ एक तरफा प्यार के तेजाब की धार , कभी ससुराल में तानों और उलाहनाओं का हार पहनाया गया,
इस पुस्तक में दी गईं सभी कहानियां सत्य घटनाओं पर आधारित है। यह कहानियां पाठक के हृदय पर एक अमिट छाप अवश्य चिन्हित करेंगी। छोटा जादूगर, टुलु की प्रेमकथा, रेवती की खुद्दारी, संवाद, पतंग सिर्फ खेल नहीं आदि कहानियां प्रेरणाप्रद हैं। मुझे आशा ही नहीं पूर्
आत्म-विकास के साथ-साथ लोक-कल्याण अर्थात मानव-कल्याण ही जयोतिष विद्या के विकास के मूल में विद्यमान माना गया है। इसमें माना गया है कि ग्रह वास्तव में किसी जातक को फल-कुफल देने के निर्धारक नहीं हैं बल्कि वे इसके सूचक अवश्य कहे जा सकते हैं। यानि ग्रह किस
दैनिक जीवन में तकनीक ने क्रांति ला दी है। क्या हम इसका उपयोग अपने को विकसित करने पृथ्वी को बचाने व जागरुकता लाने में कर सकते है। हमारे पास नये नये खोजो से चलने वाले यन्त्र है जो आज तीव्र गति से पैर पसार चुके है जिसके हम आदि है और हमारी धरती जो हरी भर
शब्दार्थ:- मेरे मन के .... मेरी किताब प्रेरक लेखों का संग्रह है।मेरा विश्वास है कि प्रिय पाठक इन लेखों को पढ़ने के बाद अपने पूरे मन से कहेंगे कि..... जिंदगी चेतना को वापस पाने का नाम है। धन्यवाद्
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है।
हाइवे पर एक फार्चून गाड़ी फुल स्पीड में चल रहा था उसमे बैठे पति पत्नी बहुत एक्साइटेड थे क्योंकि आज उनकी फस्ट एनिवर्सरी जो था। सोहन और गीता अपने एनिवर्सरी मनाने के लिए गीता के मायके जा रहे थे, गीता के परिवार के बहुत आग्रह करने पर सोहन ना नहीं कर सका,
ऐसे समय में, जब देश के अधिसंख्य लेखक राजनीतिक विचारों के आधार पर बुरी तरह विभाजित हैं, जब लेखन और भाषण भी अपने-अपने राजनीतिक खेमों की सुविधा को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं, "द्वंद्व गीत" के शुरुआती मुक्तकों से आप दिनकर की विशिष्ट लेखकीय प्रतिबद्ध
कहानी हर घर की, माँ तो माँ होती है
रामधारी सिंह दिनकर स्वभाव से सौम्य और मृदुभाषी थे, लेकिन जब बात देश के हित-अहित की आती थी तो वह बेबाक टिप्पणी करने से कतराते नहीं थे। रामधारी सिंह दिनकर ने ये तीन पंक्तियां पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ संसद में सुनाई थी, जिससे देश में भूचाल मच गया थ
योग आसन के बारे में जानकारी योग आसन विधि और लाभ कब करना चाहिए और कब नहीं योग अपनाएं और अपने जीवन को स्वस्थ और सुंदर बनाइए योग करेगा सबका उपचार : जानिए किस बीमारी में कौन सा आसन करे