कभी कभी हम बहुत कुछ प्लान करते रहते हैं, और वह नही कर पाते। और कभी-कभी ऐसा होता है कि अचानक से कुछ सोचते हैं और वह हो जाता है।
मेरी कुछ कुलीग मुम्बई से आईं हैं और कल आफिस में बात करते हुए उन्होंने मुझसे पूछा कि उन्हें कहाँ घूमने जाना चाहिए, कुछ लोग आगरा और ताजमहल की सलाह दे रहे हैं?
मैने कहा कि मथुरा वृंदावन जाकर बांके बिहारी और राधारानी के दर्शन करते हैं तो महानगरीय सभ्यता के दवाब से परे आध्यात्मिक और आत्मिक शांति मिलेगी। तो एक कलीग ने हंसते हुए कहा कि लगे हाथ गंगा भी नहा लो। तो बस प्रोग्राम बन गया कि शनिवार को हरिद्वार में गंगा स्नान और रविवार को बांके बिहारी के साथ यमुना दर्शन। तो इस सप्ताह की छुटियाँ गंगा-यमुना के नाम रहीं।
आज सुबह 5 बजे घर से निकल कर हम लोग सुबह 8:30 बजे हर की पैड़ी पर थे। स्नान और पूजा के बाद केबल कार से मनसा देवी के दर्शन भी करने गए। बहुत ही अच्छा लगा। मनसा देवी से कुछ याचना भी की है, कहते हैं मनसा देवी सुनती हैं।
कल बांके बिहारी के दर्शन करते हैं। भगवान सबकी मनोकामना पूर्ण करें।
साहित्य के वृहत सागर में एक ओस की बूंद, जिसके सपने बहुत बड़े हैं और पंख छोटे। छोटे पंखों के साथ अपना आसमान खोज रही हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें:
- अभिव्यक्ति या अंतर्द्वंद
- 'राम वही जो सिया मन भाये' D