shabd-logo

जन्नत और जेल

22 फरवरी 2022

33 बार देखा गया 33
भाग 2 

जैसे ही अहमदाबाद की एक अदालत ने 38 आतंकवादियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई जन्नत में मातम पसर गया । मगर जेल में बहार आ गई । पूरी जेल में उत्सव का माहौल था । सब आतंकवादियों के चेहरों पर नूर बरसने लगा । आखिर आज वह समय आ ही गया जिसकी तमन्ना बरसों से थी । 
इस पल के लिए क्या क्या नहीं किया इन्होंने ? आतंकवादी संगठनों से मेल मुलाकात की । आतंक के मसीहाओं ने ही तो उन्हें जन्नत में स्थित 72 हूरों का सपना दिखाया था । कहा था कि वहां पर कैसी कैसी हूरें हैं ? अकल्पनीय, अवर्णनीय, अविश्वसनीय । उनके सामने तो विश्व सुंदरी भी पानी भरती हैं । उनकी दासियाँ ही विश्व सुंदरियों से भी ज्यादा सुंदर होती हैं । ऐसी सुंदर सुंदर 72 हूरें एक साथ एक आतंकवादी को मिलेगी । अगर ऐसा है तो आतंकवादी बनने में फायदा ही फायदा है , नुकसान क्या है ? एक हूर के लिए ही अगर सौ बार कुरबानी देनी पड़ जाये तो कम है । फिर वहां तो 72 हूरें मिलेंगी । इसके लिए अगर बच्चों , औरतों का भी नरसंहार करना पड़े तो भी क्या बात है ? और आखिर ये बच्चे भी तो काफिरों के ही हैं न ? अब सांप को मारो या संपोले को ? काम तो मजहब का ही कर रहे हैं न ? यही बात तो उस आतंकी मसीहा ने सिखाई थी । उसी ने तो आतंकवादी बनने के लिए यह कहकर प्रेरित किया था ।

आज वो दिन आ गया है । आज एक साथ 38 आतंकवादी  दूल्हा बनेंगे । ऐसी बारात कभी देखी है क्या जिसमें एक साथ इतने आतंकी दूल्हे बने हों ? जिन्होंने निर्दोषों के खून से रंगा हुआ सेहरा बांधा हुआ हो ? हाथों में छड़ी के बजाय बम, रिवाल्वर और ऐ के 47 राइफल हो ? चारों ओर उन्मादी नारे लग रहे हों ? बारात में एक से बढकर एक आतंकवादी हों ? कैसी अद्भुत बारात होगी वह ? हर एक के लिए 72 हूरें दुल्हन बनी पलक पांवडे बिछाकर इंतजार कर रही हों ? भई , आपने देखी होगी ऐसी बारात । हमने तो नहीं देखी ।

मगर एक समस्या है ।  72 हूरों के हिसाब से 38 दूल्हों के लिये 2736 हूरें चाहिए । क्या जन्नत में इतनी हूरें हैं ? आतंक के मसीहा ने ये नहीं बताया था कि जन्नत में आखिर हूरें हैं कितनी ? पहले जितने भी आतंकवादी मारे गए थे और अब भी रोजाना मुठभेड़ में दो चार आतंकवादी मारे जा रहे हैं , तो सबके लिए पर्याप्त मात्रा में हूरें हैं भी या नहीं ? कहीँ जन्नत में "परिवार नियोजन" की कोई सरकारी योजना तो लागू नहीं कर दी गई है ? क्या पता वहाँ पर भी कोख में बेटियों को मारने का रिवाज है या नहीं ? अगर ऐसा है तो फिर वहां पर हूरों की किल्लत हो जायेगी ? क्या सबको 72 हूरें मिल पायेंगी ? क्या वहां पर जनगणना होती है ? अगर होती है तो वह आखिरी बार कब हुई ? उस जनगणना के डाटा सार्वजनिक क्यों नहीं किये गये ? वहां पर क्या कोई "सर जी" नहीं है जो सरेआम पूछे "और कब तक इन आंकड़ों को छुपाओगे , यमराज जी ? हूरों की संख्या को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है ? यह यमराज तानाशाह है । लोकतंत्र विरोधी है । इसने लोकतंत्र की हत्या कर दी है । संविधान खतरे में आ गया है । हूरों की संख्या के अभाव में हमारे लड़ाके आतंकवादी नहीं बन पा रहे हैं । अब मैं सिलाई की मशीन देने किस आतंकवादी के घर जाऊं ? यमराज जी , आपने तमाशा बनाकर रख दिया है" । और विज्ञापन पर पलने वाला दलाल मीडिया "सर जी" की बात पर भांगडा करने लग जाता है । 

उधर , जेल को दुलहन की तरह सजाया जाने लगा । सभी 38 के 38 लड़ाकों में अपनी अपनी 72 हूरों से मिलने का जोश सिर चढकर बोलने लगा । इन आतंकवादियों का साक्षात्कार लेने के लिए विश्व प्रसिद्ध "खाजदीप सरखुजाई" पत्तलकार जेल में आ गया । इस पत्तलकार का रिकॉर्ड ही आतंकवादियों का साक्षात्कार लेने में बना है । इस पत्तलकार के लिए न कोई कानून है और न ही कोई व्यवस्था । बस, यह जो बोले वही कानून है और यह जो करे वही व्यवस्था है । वही सब कुछ, इसके अलावा कुछ नहीं । इसलिए जेलर उसे सलाम बजाता हुआ उसकी सेवा में हाजिर हो गया और उसे इन 38 दूल्हों के विशाल कक्ष में ले गया । 

अहमदाबाद बम ब्लास्ट के मास्टरमाइंड जो इन "दूल्हों का सरदार" बना हुआ था से इस पत्तलकार ने जब पूछा कि "तुम जैसे मासूम बच्चों को फांसी की सजा देने पर तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है" ? इस पर वह आतंकी सरदार जोर से हंसा और बोला 

"बहुत अच्छा लग रहा है । मुझे उस दिन भी बड़ा सुकून मिला था जब हमने निर्दोष लोगों को बम से उड़ाया था । मुझे उन काफिरों के खून की खुशबू बहुत प्यारी लगती है । इस खून की खुशबू के कारण ही तो जन्नत की हूरें हमारी तरफ और ज्यादा आकर्षित होती हैं । अब तो उन हूरों से मिलने की तमन्ना जोर मार रही है" । 

"हूरों से मिलकर क्या करोगे ? मतलब प्लान क्या है" ? 

इस प्रश्न पर वह मास्टर माइंड बहुत हंसा और हंसते हंसते कहा "अबे गधे ! तुझे पत्तलकार किसने बना दिया ? हूरों से मिलकर कोई क्या करता है" ?

खाजदीप सरखुजाई को काटो तो खून नहीं । किसी की इतनी मजाल नहीं थी जो इस पत्तलकार की इस तरह सरेआम बेइज्जती करे । यद्यपि इसकी बेइज्जती इतनी बार हो चुकी है कि बेइज्जती ने भी अब गिनना छोड़ दिया है कि उसकी बेइज्जती कितनी बार हो चुकी है । इतनी तो शायद बकैत पांडे की भी बेइज्जती नहीं हुई होगी । मगर इस जैसे पत्तलकार को क्या फर्क पड़ता है ? इसका मानना है कि बेइज्जती तो उसकी होती है जिसकी कोई इज्ज़त हो । और आप सब जानते ही हैं कि खैरात पर पलने वालों की कोई इज्जत कभी नहीं होती है । 

मास्टरमाइंड की बात पर खाजदीप अपनी बत्तीसी दिखाते हुए बोला " नाराज क्यों होते हो, मास्टरमाइंड जी" । जी लगाना जरूरी था । इस देश में इन जैसे पत्तलकार और दरबारी नेताओं ने आतंकवादियों के नाम के आगे जी और प्रधानमंत्री को लेकर ऊलजलूल बातें करने की परंपरा डाल दी है । "मेरे पूछने का मतलब था कि हनीमून कहाँ का प्लान कर रहे हैं, जी" ? 

मास्टरमाइंड में इतना दिमाग होता तो वह आतंकवादी ही क्यों बनता ? सिर खुजाते हुए बोला "ये तो साला सोचा ही नहीं । अब जन्नत से बढ़कर और कौन सी जगह है जहां हनीमून मनायें । फिर 72 हूरें भी तो हैं । अगर कहीं प्लान बन गया तो पूरा प्लेन बुक करवाना पड़ेगा । और फिर 72 हूरें हैं न ? महा ऋषि वात्स्यायन ने भी तो अपने महाग्रन्थ "कामसूत्र" में 72 आसन बताए हैं । हूर भी 72 और आसन भी 72 । बस, हर हूर पर एक आसन आजमाऐगे " । 

मास्टरमाइंड की प्लानिंग बड़ी गजब की थी । सुनकर खाजदीप भी चकरा गया और वहीं पर गश खाकर गिर पड़ा । 

इतनी देर में जेल के एक कोने से जोर जोर से चिल्लाने कि आवाजें आने लगीं । वहां जाकर देखा तो पता चला कि वे 11 आतंकवादी जिन्हें उम्र कैद की सजा हुई थी , जोर जोर से चीख रहे हैं । न्यायाधीश को गालियाँ बक रहे हैं । जब उनसे पूछा कि उन्हें समस्या क्या है तब उनमें से एक आतंकी बोला 

"हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है । जब हम सब आतंकवादियों ने सामूहिक रूप से साइकिल में बम फिट कर उड़ाये थे तो उन 38 को तो फांसी की सजा दे दी और हम 11 को जानबूझकर फांसी नहीं दी । अब वे 38 लड़के तो जन्नत में जाकर 72 - 72 हूरों के साथ विभिन्न प्रकार के "आसन" कर के रंगरेलियां करेंगे और हम इधर जेल में सड़ सड़कर ऐडियां रगड़ते रहेंगे । यह इंसाफ भी कोई इंसाफ है क्या "? यह कहकर वे 11 उन्मादी फफक फफक कर रो पड़े । 

जेल का माहौल बड़ा संवेदनशील हो गया था । कितने मासूम लोग थे ये । ऐसा लग रहा था जैसे इनसे ज्यादा मासूम तो कोई हो ही नहीं सकता है । जो आदमी निर्दोष व्यक्तियों को बम फोड़कर मार सकता है । अस्पताल में बम इसलिए फिट करता है कि लोग जब घायलों को अस्पताल लेकर जायें और कोई वी आई पी विजिट हो तो बम फोड़कर अस्पताल में भी घायलों , उनके परिजनों को, अति विशिष्ट व्यक्तियों को भी मारा जा सके । ऐसा नेक और पुण्य काम तो मासूम आदमी ही कर पाएंगे  न । तो इससे यह भी सिद्ध हो गया था कि ये लोग बेचारे गरीब, मासूम , अव्यस्क लोग थे जिन्हें निर्दयी न्याय व्यवस्था ने फांसी पर लटकाने का आदेश दे दिया । और इन 11 के साथ तो इमोशनल अत्याचार भी हो गया । ये तो जन्नत में जाना चाहते थे । वहां पर 72 हूरों से मिलना चाहते थे । मगर जज साहब ने सारा गुड़ गोबर कर दिया । 72 हूरों के लिए ही तो इतना खून बहाना पड़ा । फिर भी जन्नत नसीब नहीं हुई । फिर आतंकवादी बने ही क्यो" । 

और उन्होंने वहीं जेल में ही उम्रकैद की सजा को फांसी की सजा में बदलने के लिए आमरण अनशन करना शुरू कर दिया । 

समाप्त । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
22.2.22 

18
रचनाएँ
मजेदार कहानियां
0.0
दिल को गुदगुदाने वाली कहानियां हैं इस किताब में
1

प्यार झुकता नहीं और रुकता भी नहीं

8 जनवरी 2022
0
0
0

प्यार झुकता भी नहीं और रुकता भी नहीं यह कहानी तब की है जब देश में कोरोना के कारण पहली बार लॉकडाउन लगा था । जिंदगी जैसे थम सी गई थी । अस्पताल में आज बहुत अफरातफरी मची हुई थी। हर कोई अपने अपने

2

अंतर्वस्त्र

10 जनवरी 2022
0
0
0

प्रथम का अभी अभी स्थानांतरण हैदराबाद से बैंगलोर हुआ था । वह एक एम एन सी में काम करता था और अच्छी पगार पाता था । उसकी पत्नी प्रज्ञा भी उसी कंपनी में जॉब करती थी । प्रज्ञा को भी बैंगलोर ऑफिस में भेज दिय

3

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 1 सन 1993 की बात है । दिल्ली जयपुर के बीच मिडवे पर एक शहर है जिसका नाम है बहरोड़ । राजस्थान के अलवर जिले में आता है । मेरा स्थानान्तरण वहां के राजकीय कॉलेज में हो गया था । तब मैं राजकीय कॉलेज

4

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

5

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 3 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

6

जीना इसी का नाम है

18 जनवरी 2022
2
0
0

जीना इसी का नाम है आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने पनीर सैंडविच बनाई नाश्ते में । बहुत ही स्वादिष्ट थीं बस थोड़ी मिर्च तेज थीं । कह भी नहीं सकते कि मिर्च तेज है वरना हमें पुरुषवादी सोच और नारी उत्पीड़

7

जन्नत और जेल

22 फरवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जैसे ही अहमदाबाद की एक अदालत ने 38 आतंकवादियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई जन्नत में मातम पसर गया । मगर जेल में बहार आ गई । पूरी जेल में उत्सव का माहौल था । सब आतंकवादियों के चे

8

आखिरी खत

26 फरवरी 2022
0
0
0

रवि बस में खिड़की वाली सीट पर बैठ गया । उसके आगे वाली सीट खाली थी । उसकी पुश्त पर सिर टिका कर वह आराम करने लगा । पता नहीं कब उसे नींद आ गई । कंडक्टर ने जब टिकिट मांगा तब उसकी आंख खुली । उसने देखा कि उस

9

गंगाजल की कसम

5 मार्च 2022
0
0
0

प्रिया बड़ी बेचैनी से छत पर चहलकदमी कर रही थी । उसके चेहरे से झुंझलाहट साफ झलक रही थी । वह बार बार घड़ी को देखती । फिर मोबाइल को देखती । घड़ी तेज तेज दौड़ी जा रही थी मगर मोबाइल वैसे ही खामोश पड़ा था

10

अनदेखे अनजाने से प्यार

24 मार्च 2022
0
0
0

प्रेमा प्रतिलिपि पर अभी नयी नयी आई थी । बहुत सारे लेखक थे यहां । एक से बढकर एक । लेखिकाएं भी थीं , सब की सब नायाब । प्रेमा को बड़ा अच्छा लगा था यहां आकर । बड़े मनोयोग से वह सब रचनाएं पढ़ती थी । एक द

11

आखिरी बार

27 मार्च 2022
2
1
0

"हैलो" "हां दीदी" "क्या कर रहा है तू ? अगर कोई एग्जाम नहीं हो तो आ जा । मेरी ननद हिना की शादी है । कुछ मदद भी करवा देना और थोड़े दिन हम दोनों भाई बहन साथ भी रह लेंगे" । प्रवीण ने कुछ सोचते

12

समुद्र तट की सैर

29 मार्च 2022
1
0
0

"सुनो, आठ बज गये हैं । अब तो खड़े हो जाओ । आज ऑफिस नहीं जाना है क्या" ? श्रीमती जी की मिसरी सी मीठी आवाज सुनकर हम हड़बड़ा कर उठे । सामने देखा तो श्रीमती जी चाय के दो प्याले हाथ में लिये खड़ी थीं और

13

अप्रैल फूल

31 मार्च 2022
2
1
0

1 अप्रैल जब भी आता है , न जाने कितनों को अप्रैल फूल बना जाता है । कोई कोई ही ऐसा होगा जो इसकी मार से बच पाता है । उसे पता ही नहीं लगता है कि वह अप्रैल फूल बन रहा है । लोग कहते रह जाते हैं कि कोई उसे अ

14

एक मुठ्ठी आसमां

14 अप्रैल 2022
0
0
0

रिया दुल्हन बनी हुई अपने कमरे में साहिल का इंतजार कर रही थी । बड़े करीने से सजाया था उसका कमरा । साहिल की पसंद की मन ही मन दाद दे रही थी वह । शादी की हर रस्म कितनी खूबसूरती के साथ पूरी की गई थी । हर ईव

15

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब

17 अप्रैल 2022
0
0
0

( राजस्थान में भीलवाड़ा जिले की सत्य घटना पर आधारित कहानी ) राजस्थान उच्च न्यायालय में आज एक अजीब सा केस लिस्टेड था । हत्या के अपराध में सजा काट रहे अपराधी की पैरौल का मामला राजस्थान उच्च न्यायालय

16

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब (भाग 2)

17 अप्रैल 2022
0
0
0

(पहला भाग पढ़कर कुछ पाठकों की प्रतिक्रिया आई कि न्यायालय अक्सर अपराधियों और आतंकवादियों के मानवाधिकार ही देखते हैं और उसी के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं । न्यायालयों को आज तक पीड़ित पक्षकारों के मानवाध

17

अज्ञात व्यक्ति

26 अप्रैल 2022
0
0
0

( यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है )एक अज्ञात व्यक्ति किस तरह किसी की जिंदगी को नर्क बना देता है यह इस कहानी से पता चलेगा । अशोक और आहना की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी । दोनों ही पति पत्नी

18

आपने वादा तोड़ दिया

26 अप्रैल 2022
0
0
0

आपने वादा तोड़ दिया मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी सुधा अपने मैके आगरा गईं। उसके मैके जाते ही अपनी तो जैसे खाट खड़ी हो गई। एक एक पल काटना मुश्किल हो गया । घर में और कोई था नहीं । मम्मी पापा गांव में रहते

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए