shabd-logo

अनदेखे अनजाने से प्यार

24 मार्च 2022

33 बार देखा गया 33
प्रेमा प्रतिलिपि पर अभी नयी नयी आई थी । बहुत सारे लेखक थे यहां । एक से बढकर एक । लेखिकाएं भी थीं , सब की सब नायाब । प्रेमा को बड़ा अच्छा लगा था यहां आकर । बड़े मनोयोग से वह सब रचनाएं पढ़ती थी । 

एक दिन एक रचना बड़ी अच्छी लगी थी उसे । किसी "अनाम" लेखक की थी । प्रोफाइल में कोई विवरण भी नहीं और कोई फोटो भी नहीं । उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह कौन बंदा है या बंदी है जिसका ना तो कोई नाम है और ना ही कोई फोटो । उसे थोड़ी उत्सुकता हुई । उसने उन लेखक महोदय की समस्त रचनाएं पढ़ डालीं । उन रचनाओं को पढ़ने से यह तो स्पष्ट हो गया था कि वह कोई पुरुष है, महिला नहीं । मगर है कौन , यह पता नहीं चला । 

प्रेमा ने एक बार सोचा कि मैसेज भेजकर पता किया जाये । मगर उसे लगा कि "अनाम" साहब पता नहीं क्या क्या सोचेंगे उसके बारे में ? उसने अपनी उत्कंठा को अपने मन में ही दबा लिया । मगर वह उनकी रचनाएं नियमित रूप से पढ़ती रही और समीक्षाएं भी लिखती रही । 

थोड़े ही दिनों में उन दोनों में एक अनजाना सा रिश्ता बन गया । प्रेमा को वह लेखक पसंद आ गया । हालांकि वह उसके लिए अनदेखा अनसुना सा था मगर अपरिचित नहीं । उसकी रचनाओं के माध्यम से प्रेमा ने जान लिया था कि वह "लंपट" तो नहीं है । 

कमेंट सैक्शन में ही कभी कभार उन दोनों में चैट हो जाती थी । प्रेमा "अनाम" को अपना दिल दे बैठी । वह अपने इश्क का इजहार करना भी नहीं चाहती थी । लड़कियों की ये समस्या पैदाइशी है । इश्क भी करेंगी मगर इजहार नहीं । लड़कों से यह अपेक्षा करतीं हैं कि वे ही इजहार करें , पहल करें । ना इजहार करते बन रहा था और ना इनकार । करे तो क्या करे प्रेमा ?  बड़ी मुसीबत हो गई । 

प्रेमा के दिन का चैन हराम हो गया और रातों की नींद बरबाद । कैसे होंगे ये "अनाम" महाशय ? पता नहीं कितनी उम्र है ? शादीशुदा तो नहीं हैं ना ? वो भी प्यार करते हैं या नहीं ? 
इन सबके लिए बात तो करनी पड़ेगी न । आखिर दिल दा मामला था । सब्र की भी एक सीमा होती है न । 

आखिर एक दिन उसने मैसेज भेज दिया 
"गुड मॉर्निंग, सर" 
उधर से जवाब आ गया । और धीरे धीरे दोनों में मैसेज बॉक्स के माध्यम से बात होने लगी । प्रेमा तो अब उन पर जान देने लगी थी । मगर अनाम महाशय तो कुछ बताते ही नहीं थे । कोई हिंट भी नहीं दिया उन्होंने । प्रेमा परेशान । आखिर उसने मैसेज बॉक्स में एक दिन लिख ही दिया 
"आई लव यू, सर" 

उधर से दो दिन तक कोई मैसेज नहीं । कोई रचना भी पोस्ट नहीं की अनाम साहब ने । प्रेमा तो जैसे पागल थी अनाम के लिए । उसकी जान हलक में आ गई थी । 

उसे लगा कि उसने अपने इश्क का इजहार करके अच्छा नहीं किया है । उसने एक अच्छा "दोस्त" खो दिया है । अगर वो इजहार नहीं करती तो कम से कम वह दोस्त तो बना रह सकता था । इसी बहाने हंसी मजाक हो जाया करता था दोनों में । लेकिन अब क्या हो सकता है ? उसकी जल्दबाजी ने सब मटियामेट कर.दिया । आखिर उसने एक मैसेज और डाला 

"सॉरी सर, आपको बुरा लगा होगा मेरी मूर्खता पढ़कर । मगर मैं दिल के हाथों मजबूर थी । अब भी हूं । मगर आप जैसे हीरे को खोना नहीं चाहती हूं । इसलिए मेरी धृष्टता के लिए मुझे क्षमा करिये और कम से कम मेरे दोस्त तो बने रहिये । बस, इतना काफी है मेरे लिए । आप चाहे प्यार ना करते हों , मगर मैं तो करती हूँ और करती रहूंगी , हमेशा के लिए । प्यार के बदले प्यार हासिल हो, जरूरी तो नहीं । मैंने किसी प्रतिफल की आशा से प्यार किया भी नहीं है । मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए , बस यही ख्वाहिश है कि मैं आपकी रचनाएं पढ़ती रहूं और उन पर समीक्षा भी लिखती रहूं और आप उन समीक्षाओं पर पहले की तरह टिप्पणी करते रहें । यदि मैंने आपका दिल दुखाया हो तो मैं माफी चाहती हूँ" । 

दो दिन और बीत गए । ना कोई जवाब और ना कोई पोस्ट । प्रेमा उदासी में डूब गई । ऐसे ही कई दिन और गुजर गए । 

एक दिन वह किसी नये लेखक की रचना पढ रही थी । उसे वह रचना अच्छी लगी । प्रेमा ने उसकी प्रोफाइल में जाकर उसकी और रचनाएं भी पढ़ी । एक रचना को पढ़कर वह चौंकी । रचना प्रारंभ होने से पहले लिखा था 
"मेरे अनाम दोस्त को समर्पित जिसकी मृत्यु अभी कुछ दिन पहले कोरोना से हो गई" । 
अब प्रेमा को सारा माजरा समझ में आ गया था । मगर दिल है कि मानता नहीं । अनदेखे अनजाने अनसुने आदमी से प्यार का क्या यही परिणाम होता है, वह सोचती ही रह गई । 
हरिशंकर गोयल "हरि"
24.3.22 
18
रचनाएँ
मजेदार कहानियां
0.0
दिल को गुदगुदाने वाली कहानियां हैं इस किताब में
1

प्यार झुकता नहीं और रुकता भी नहीं

8 जनवरी 2022
0
0
0

प्यार झुकता भी नहीं और रुकता भी नहीं यह कहानी तब की है जब देश में कोरोना के कारण पहली बार लॉकडाउन लगा था । जिंदगी जैसे थम सी गई थी । अस्पताल में आज बहुत अफरातफरी मची हुई थी। हर कोई अपने अपने

2

अंतर्वस्त्र

10 जनवरी 2022
0
0
0

प्रथम का अभी अभी स्थानांतरण हैदराबाद से बैंगलोर हुआ था । वह एक एम एन सी में काम करता था और अच्छी पगार पाता था । उसकी पत्नी प्रज्ञा भी उसी कंपनी में जॉब करती थी । प्रज्ञा को भी बैंगलोर ऑफिस में भेज दिय

3

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 1 सन 1993 की बात है । दिल्ली जयपुर के बीच मिडवे पर एक शहर है जिसका नाम है बहरोड़ । राजस्थान के अलवर जिले में आता है । मेरा स्थानान्तरण वहां के राजकीय कॉलेज में हो गया था । तब मैं राजकीय कॉलेज

4

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

5

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 3 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

6

जीना इसी का नाम है

18 जनवरी 2022
2
0
0

जीना इसी का नाम है आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने पनीर सैंडविच बनाई नाश्ते में । बहुत ही स्वादिष्ट थीं बस थोड़ी मिर्च तेज थीं । कह भी नहीं सकते कि मिर्च तेज है वरना हमें पुरुषवादी सोच और नारी उत्पीड़

7

जन्नत और जेल

22 फरवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जैसे ही अहमदाबाद की एक अदालत ने 38 आतंकवादियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई जन्नत में मातम पसर गया । मगर जेल में बहार आ गई । पूरी जेल में उत्सव का माहौल था । सब आतंकवादियों के चे

8

आखिरी खत

26 फरवरी 2022
0
0
0

रवि बस में खिड़की वाली सीट पर बैठ गया । उसके आगे वाली सीट खाली थी । उसकी पुश्त पर सिर टिका कर वह आराम करने लगा । पता नहीं कब उसे नींद आ गई । कंडक्टर ने जब टिकिट मांगा तब उसकी आंख खुली । उसने देखा कि उस

9

गंगाजल की कसम

5 मार्च 2022
0
0
0

प्रिया बड़ी बेचैनी से छत पर चहलकदमी कर रही थी । उसके चेहरे से झुंझलाहट साफ झलक रही थी । वह बार बार घड़ी को देखती । फिर मोबाइल को देखती । घड़ी तेज तेज दौड़ी जा रही थी मगर मोबाइल वैसे ही खामोश पड़ा था

10

अनदेखे अनजाने से प्यार

24 मार्च 2022
0
0
0

प्रेमा प्रतिलिपि पर अभी नयी नयी आई थी । बहुत सारे लेखक थे यहां । एक से बढकर एक । लेखिकाएं भी थीं , सब की सब नायाब । प्रेमा को बड़ा अच्छा लगा था यहां आकर । बड़े मनोयोग से वह सब रचनाएं पढ़ती थी । एक द

11

आखिरी बार

27 मार्च 2022
2
1
0

"हैलो" "हां दीदी" "क्या कर रहा है तू ? अगर कोई एग्जाम नहीं हो तो आ जा । मेरी ननद हिना की शादी है । कुछ मदद भी करवा देना और थोड़े दिन हम दोनों भाई बहन साथ भी रह लेंगे" । प्रवीण ने कुछ सोचते

12

समुद्र तट की सैर

29 मार्च 2022
1
0
0

"सुनो, आठ बज गये हैं । अब तो खड़े हो जाओ । आज ऑफिस नहीं जाना है क्या" ? श्रीमती जी की मिसरी सी मीठी आवाज सुनकर हम हड़बड़ा कर उठे । सामने देखा तो श्रीमती जी चाय के दो प्याले हाथ में लिये खड़ी थीं और

13

अप्रैल फूल

31 मार्च 2022
2
1
0

1 अप्रैल जब भी आता है , न जाने कितनों को अप्रैल फूल बना जाता है । कोई कोई ही ऐसा होगा जो इसकी मार से बच पाता है । उसे पता ही नहीं लगता है कि वह अप्रैल फूल बन रहा है । लोग कहते रह जाते हैं कि कोई उसे अ

14

एक मुठ्ठी आसमां

14 अप्रैल 2022
0
0
0

रिया दुल्हन बनी हुई अपने कमरे में साहिल का इंतजार कर रही थी । बड़े करीने से सजाया था उसका कमरा । साहिल की पसंद की मन ही मन दाद दे रही थी वह । शादी की हर रस्म कितनी खूबसूरती के साथ पूरी की गई थी । हर ईव

15

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब

17 अप्रैल 2022
0
0
0

( राजस्थान में भीलवाड़ा जिले की सत्य घटना पर आधारित कहानी ) राजस्थान उच्च न्यायालय में आज एक अजीब सा केस लिस्टेड था । हत्या के अपराध में सजा काट रहे अपराधी की पैरौल का मामला राजस्थान उच्च न्यायालय

16

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब (भाग 2)

17 अप्रैल 2022
0
0
0

(पहला भाग पढ़कर कुछ पाठकों की प्रतिक्रिया आई कि न्यायालय अक्सर अपराधियों और आतंकवादियों के मानवाधिकार ही देखते हैं और उसी के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं । न्यायालयों को आज तक पीड़ित पक्षकारों के मानवाध

17

अज्ञात व्यक्ति

26 अप्रैल 2022
0
0
0

( यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है )एक अज्ञात व्यक्ति किस तरह किसी की जिंदगी को नर्क बना देता है यह इस कहानी से पता चलेगा । अशोक और आहना की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी । दोनों ही पति पत्नी

18

आपने वादा तोड़ दिया

26 अप्रैल 2022
0
0
0

आपने वादा तोड़ दिया मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी सुधा अपने मैके आगरा गईं। उसके मैके जाते ही अपनी तो जैसे खाट खड़ी हो गई। एक एक पल काटना मुश्किल हो गया । घर में और कोई था नहीं । मम्मी पापा गांव में रहते

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए