रिया दुल्हन बनी हुई अपने कमरे में साहिल का इंतजार कर रही थी । बड़े करीने से सजाया था उसका कमरा । साहिल की पसंद की मन ही मन दाद दे रही थी वह । शादी की हर रस्म कितनी खूबसूरती के साथ पूरी की गई थी । हर ईवेंट को नये तरीके से तैयार किया गया था । कितनी भाग्यशाली है वह जो उसे साहिल जैसा पति मिला था । इतना बड़ा अधिकारी और इतना सरल ? विश्वास को भी शायद विश्वास नहीं हो , मगर जो चीज सामने है उसे कैसे झुंठला सकता है कोई ? वह आत्म मुग्ध भी हो रही थी कि आखिर साहिल ने उसे पसंद किया है । इन्हीं विचारों में डूबती रही थी रिया ।
अचानक उसकी निगाह घड़ी पर पड़ी । "अरे, एक बज गया । साहिल अभी तक नहीं आये ? क्या कर रहे हैं वे ? इतना भी नहीं पता कि आज हमारी सुहागरात है ? इस रात का कितनी बेसब्री से इंतजार करते हैं लोग । और इन्हें इसका महत्व ही नहीं पता । एक हुस्न परी अपना सर्वस्व लुटाने को बेताब बैठी है यहां और पता नहीं साहब किस जंगल में भटक रहे हैं कस्तूरी मृग की तरह । अब बहुत हो गया साहिल , आ भी जाओ ना । ये बांहें कबसे तरस रही हैं गले का हार बनने के लिए । ये आंखें कब तक मय को अपने अंदर समेटकर रखेंगी ? कहीं ऐसा ना हो कि इन सुर्ख लबों की लाली ये बेईमान मौसम ही ना ले उड़े ? ये बदन अकड़ रहा है मिलन के लिए । जल्दी से इसकी हड्डियां चटका दो ना, साहिल" ? और न जाने कब उसकी आंख लग गई ।
अचानक दरवाजा खुलने की आवाज से उसकी तंद्रा भंग हुई । साहिल दरवाजा बंद कर रहा था । रिया साहिल का स्वागत करने के लिए खड़ी होने को हुई तो साहिल ने उसे बांहों में थाम कर रोक दिया । "अरे अरे, ये क्या कर रही हो ? अब कौन छूता है पांव ? तुम मेरी पत्नी नहीं सहचरी, संगिनी हो "। साहिल उसे पलंग पर बैठाते हुए बोला । फिर उसके चेहरे पर एक निगाह डालकर कहने लगा "
आज की रात चांद बांहों में होगा, कभी सोचा न था
हुस्न इश्क की पनाहों में होगा , कभी सोचा न था
नैनों को नैन से , लबों को लबों से बातें करने भी दो
इस रात का एक एक पल गुनाहों में होगा, सोचा न था ।
ऐसी दिलकश शायरी सुनकर रिया मचल उठी और उसने अपने मदभरे नैनों के भरपूर वार साहिल पर किये । साहिल उसकी मय को नजरों से ही पीने लगा । रिया के शहद भरे लब थरथराने लगे । वे कब तक शहद को संभाल कर रखते ? कह रहे थे कि अब और.सब्र नहीं हो रहा है , इन्हें चूस कर रिक्त कर दो । मगर साहिल पता नहीं किस पत्थर का बना था वह आगे बढ़ ही नहीं रहा था ।
रिया भी कम लड़ाकू नहीं थी । उसे पता था कि दुश्मन को कैसे आमंत्रण देना है और जब वह उसकी गिरफ्त में आ जाये तो उसे कैसे पटकनी देनी है । इसलिए वह कहने लगी "उफ ! कितनी गरमी है ? अब ये भारी भारी लंहगा नहीं सुहा रहा है" । और उसने पल्लू गिरा दिया । अब उसका उन्नत यौवन साहिल को आमंत्रित कर रहा था । मगर साहिल उस आमंत्रण को स्वीकार ही नहीं कर रहा था ।
"अब रात बहुत हो गई है । ऐसा करो , कपड़े चेंज कर लो और सो जाओ" । बिना उसका जवाब सुने वह अपने ड्रेसिंग रूम में चला गया ।
रिया अवाक् होकर उसे देखती ही रह गई । "तो क्या आज सुहागरात नहीं होगी" ?
"अब भी कोई संशय है क्या" ?
"नहीं, संशय तो नहीं है मगर अफसोस जरूर है । कितने दिनों से इस रात का इंतजार था उसे । उसने यह बदन आज की रात के लिए ही तो "अक्षुण्ण" रखा था । मगर ..."
"अरे तो क्या हो गया , आज न सही कल सही । कचूमर तो निकलना ही है । कब तक बचेगा आखिर" ?
रिया मन ही मन प्रश्न करती और मन ही मन उत्तर दे रही थी । वह भी चेंज करने चली गई । जब वह वापस आई तो साहिल सोफे पर बैठा था । रिया को थोड़ा आश्चर्य हुआ मगर वह चुप रही ।
"अच्छा, अब तुम सो जाओ । मैं भी सोऊँगा" । साहिल ने कहा ।
रिया पलंग पर एक तरफ लेट गई ।
"अरे, आराम से सोइये । पूरे पलंग पर । मैं यहां सोफे पर सोऊंगा" ।
रिया को लगा कि जैसे वह आसमान से धड़ाम से गिरी हो ।
"ऐसा क्यों कह रहे हैं आप ? क्या मुझसे कोई अपराध हुआ है"? रिया ने डरते डरते पूछा ।
"कैसी बातें करती हो रिया ? तुमसे कोई अपराध नहीं हुआ है । तुम आराम से सो जाओ । कल बातें करेंगे । गुड नाइट" ।
और साहिल ने लाइट ऑफ कर दी । रिया की आंखों में नींद कहां थी , मगर वह आंखें बंद कर लेटी रही । पता नहीं कब नींद आ गई । दरवाजा खटखटाने पर उनकी नींद खुली ।
दिन भर गहमागहमी रहने के कारण वह कुछ सोच नहीं पाई । मम्मी का फोन भी आया था पूछ रही थी कि रात कैसी गुजरी ? क्या बताती ? कह दिया कि कल तो थके होने के कारण उसे नींद आ गई थी और साहिल ने उसे जगाना उचित नहीं समझा । तब मम्मी ने हंसते हुये कहा था "बड़ा धीरज वाला है साहिल । मैं भी सो गई थी उस रात । मगर तेरे पापा ने तो जगा दिया था यह कहते हुये कि सोने के लिए तो बहुत सारी रातें मिल जायेंगी मगर जागने के लिए ये एक ही रात होती है" । और मम्मी जोर जोर से हंसने लगीं । रिया ने चिढकर फोन रख दिया ।
रात को रिया धड़कते दिल से साहिल का इंतजार करने लगी । साहिल आया और थोड़ी देर गुमसुम बैठा रहा । रिया को बड़ा आश्चर्य हो रहा था साहिल के इस व्यवहार पर । मगर वह खामोश रही ।
अचानक साहिल उठा और रिया के चरणों में लेट गया । इस अप्रत्याशित घटना से रिया हक्की बक्की रह गई । वह कुछ समझती इससे पहले ही साहिल कहने लगा " रिया , मैं तुम्हारा गुनहगार हूं । मैंने तुम्हें धोखा दिया है । मैं अपराधी हूं । मुझे मारो रिया , मुझे मारो" ।
रिया चौंक पड़ी । कैसा धोखा ? कैसा अपराध ? कौन सा गुनाह ? उसकी कुछ समझ नहीं आ रहा था । उधर , साहिल रिया के पैर पकड़ कर अपना माथा उन पैरों पर पटक रहा था । रिया ने अपने पैर छुड़ाने चाहे, मगर छुड़ा ना सकी । खुद को असहाय पा रही थी वह । थोड़ी देर तक यह नौटंकी चलती रही तब रिया ने चीखकर कहा "ये क्या कर रहे हैं आप ? ऐसा क्यों कर रहे हैं ? कौन सा गुनाह ? कैसा अपराध ? ये क्या अनाप शनाप बोले जा रहे हैं आप ? मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूं" । वह उद्विग्न हो उठी थी ।
"मैं सब समझाता हूं । मैं सब कुछ सच सच बताता हूं । थोड़ा संयम से मेरी बात सुनना फिर कोई फैसला करना । बोलो करोगी ना" ?
रिया साहिल के चेहरे को देखती रही । बोली कुछ नहीं । उसके दिल में भयंकर हलचल मची हुई थी । पता नहीं क्या सच सामने आने वाला है ? वह बुरी तरह घबरा रही थी ।
"रिया, सच बात तो यह है कि मैं एक नामर्द इंसान हूं । दूसरे शब्दों में कहें तो नपुंसक । मुझे "इरेक्शन" नहीं होता है और मैं सेक्स करने में सक्षम नहीं हूं । यह बात मेरे सिवाय और कोई नहीं जानता है । मेरे मम्मी पापा भी नहीं । अगर वो जानते तो मेरी शादी तुमसे नहीं करते । मैं पहले तुम्हें बताना चाहता था । मगर जब पहली बार तुम्हें देखा था तब मैं तुम पर अपना दिल हार गया था । मुझे तुम इतनी पसंद आईं कि मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था । मैं आज बड़ा सरकारी अफसर हूं । मेरे पास सब कुछ है । मान मर्यादा, धन दौलत , परिवार । सब कुछ । अगर कुछ नहीं है तो वह है सेक्स पॉवर । मैं थोड़ा लोभी हो गया था , इसलिए तुम्हें नहीं बताया । पर मेरा जमीर नहीं माना और मैंने आज तुम्हें यह नंगा सच बता दिया है । अब फैसला तुम्हारे हाथ में है । अगर तुम मेरा त्याग करती हो तो मैं एक दिन भी जिंदा नहीं रहूंगा । उसी दिन यह दुनिया छोड़ दूंगा । और यदि तुम मेरे साथ रहती हो तो तुम्हें जिंदगी की समस्त खुशियां दूंगा । तुम्हें किसी भी व्यक्ति से सेक्स करने की स्वतंत्रता भी दूंगा । बस, मेरी यही कामना है कि तुम मेरी पत्नी बनकर मेरे साथ रहो । मेरी मान मर्यादा बढ़ाती रहो । अब फैसला तुम्हारे हाथ में है । कोई जल्दी नहीं है । आराम से सोच समझ कर निर्णय लेना । मैं तुम्हारे फैसले का स्वागत करूंगा" ।
यह कहकर साहिल ने अपना चेहरा ऊपर उठाया । उसका चेहरा आंसुओं से नहाया हुआ था । रिया बेहोशी की हालत में थी । वह कुछ बोल नहीं पाई और पलंग पर ही एक ओर लुढ़क गई । साहिल ने ठंडे पानी के कुछ छींटे उसके मुंह पर मारे तो वह होश में आ गई । इस स्थित पर उसे बहुत जोर का रोना आ रहा था मगर गले से आवाज और आंखों से आंसू निकल ही नहीं पा रहे थे । साहिल ने उसे बांहों में भर लिया और थपकी देकर सुलाने लगा । रिया को नींद आ गई ।
दूसरे दिन रिया के मायके से उसे ले जाने के लिए उसके भाई आ गये । रिया एकदम खामोश हो गई । चुपचाप शून्य में देखती रहती थी वह । वह अपने भाइयों के साथ मैके आ गई । उसकी मम्मी ने उसकी जब यह हालत देखी तो वह घबरा गई । उसे अस्पताल ले जाया गया । दो चार बोतलें चढाईं । कोई बीमारी तो थी नहीं बस, आघात लगा था । इसलिए जल्दी ही छुट्टी दे दी गई ।
उसकी मम्मी ने खोद खोद कर पूछा मगर उसने कुछ नहीं बताया । साहिल का फोन रोज आता था मगर वह उठाती ही नहीं थी । पंद्रह बीस दिनों में वह नॉर्मल हो गई । साहिल का फोन बेनागा आता था , मगर वह उठाती नहीं थी । एक दिन उसने उठा लिया मगर बोली कुछ नहीं और ना कुछ सुना । अगले दिन फोन उठा लिया, सुना भी मगर वह बोली कुछ नहीं । इस तरह दस दिन बीत गए ।
एक दिन जब साहिल का फोन आया तब उसने पहली बार बात की थी । उसने कहा कि वह उसकी पत्नी ही बने रहना चाहती है । उस दिन साहिल की खुशियों का कोई ओर छोर नहीं था । एक दिन साहिल उसे लिवा ले गया ।
रिया ने समझौता कर लिया था । साहिल उसे खुश रखने के जितने प्रयास हो सकते थे, सब कर रहा था । दोनों ने अच्छा सामंजस्य बैठा लिया था ।
एक दिन साहिल ने कहा " रिया, मैं अपने वादे पर कायम हूं । तुम अगर किसी से भी शारीरिक संबंध बनाना चाहो तो तुम स्वतंत्र हो" ।
"ये कैसी बात कर रहे हैं आप ? मैं भारतीय स्त्री हूं जो अपने सतीत्व के लिए जानी जाती हैं न कि व्यभिचार के लिए । मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है और मुझे शारीरिक संबंधों की कोई इच्छा भी नहीं है । प्लीज, आगे से ऐसा मत कहना" ।
"तुम समझ नहीं रही हो रिया, बिना काम क्रीडा के यौवन अवस्था गुजारना असंभव है । मैंने सब व्यवस्था कर ली है । हम बॉम्बे चलेंगे । वहां पर "मेल सर्विसेज" बहुतायत में उपलब्ध हैं । जितने दिन चाहो उतने दिन उनकी सेवाएं लेना । हर रात दूसरा पार्टनर होगा जिससे पहचाने जाने का झंझट भी ना हो । सब व्यवस्था हो चुकी है । बस, तुम्हारी हां का ही इंतजार है " ।
रिया ने अपने दोनों कान बंद कर लिए और कहा "प्लीज । भगवान के नाप पर बंद कीजिए यह सब । मैं सुन नहीं पाऊंगी अब और" । साहिल ने वह विषय वहीं छोड़ दिया ।
दिन बीतते रहे । शादी को दो साल हो गए । मम्मी पापा भी अब तो पोते पोती की डिमांड करने लग गये थे । एक दिन साहिल ने कहा "रिया, तुमने मुझे एक नई जिंदगी दी है । यह अहसान मैं कभी नहीं चुका सकता हूँ । मेरी एक ख्वाहिश और है , अगर वचन दो तो कहूँ" ?
"आप कहिये तो । मुझे आपकी हर बात मंजूर है" ।
"पहले वचन चाहिए"
"दिया । अब तो कहिए" । ः
"रिया, मुझे एक बच्चा चाहिए और वह भी तुम्हारी कोख से जन्मा । महाभारत काल में अंबिका और अंबालिका ने "नियोग" के द्वारा बच्चा पैदा किया था । उसी तरह तुम भी एक बच्चा पैदा करो ना, मेरे लिए । मैं सब व्यवस्था कर दूंगा । बस, तुम हां कह दो । और अब तो तुम्हारे पास विकल्प भी नहीं है । तुमने मुझे वचन दे रखा है " । साहिल ने मुस्कुराते हुए कहा ।
रिया के पास कोई विकल्प नहीं था । उसने हां कह दिया मगर एक वचन ले भी लिया कि वह बच्चा पहला और आखिरी होगा । साहिल ने उसकी बात मान ली ।
साहिल ने ऑनलाइन "मेल सर्विस" की व्यवस्था कर ली । मुम्बई में एक पांच सितारा होटल में दो कमरे बुक करवा दिये ।
ऋतु स्नान के पांच दिन बाद रिया और साहिल मुंम्बई आ गये । पांच दिन तक ठहरने का कार्यक्रम था । साहिल ने पांच दिनों के लिए पांच अलग अलग "मेल सर्विस" की व्यवस्था कर दी थी । रिया दूसरे कमरे में चली जाती थी । रात भर वह वहां रहती और दूसरे दिन स्नान करने के बाद वापस आती थी । इस तरह पांच दिनों तक "नियोग" होता रहा । रिया ने तो एक रात के लिए ही कहा था मगर साहिल कोई जोखिम उठाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने ये पांच दिन चुने थे । इन दिनों में गर्भ ठहरने की सर्वाधिक संभावना रहती है ।
अपनी यात्रा पूरी करने के बाद वे वापस आ गये । ईश्वर की लीला देखिए , रिया का ऋतु समय गुजर गया । मासिक स्त्राव नहीं हुआ । फिर टेस्ट करवाया गया और रिपोर्ट सकारात्मक आई । पूरे घर में उत्सव मनाया गया । आखिर वारिस आने की घोषणा जो हो गई थी । साहिल की खुशी देखकर रिया बहुत खुश थी । नियत समय पर एक सुंदर सी लड़की ने रिया की कोख से जन्म लिया । रिया ने उसका नाम रखा "आकांक्षा" । रिया और साहिल की जिंदगी खुशियों से भर गई थी ।
हरि शंकर गोयल "हरि"
14.4.2022