shabd-logo

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022

25 बार देखा गया 25
भाग 3 

जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्त नहीं कर सकतीं हैं । ऐसा उन्होंने मेरे फिल्मी गानों के ज्ञान के आधार पर धारणा बना ली थी । हम लोग जब भी बस या ट्रेन में सफर करते थे तो टाइम पास करने के लिए अंत्याक्षरी खेलते रहते थे । बस, वही अंत्याक्षरी मेरे लिए जी का जंजाल बन गई थी ।

एक बार तो ऐसा हुआ कि हम लोग दीवाली की छुट्टियों के पश्चात अपने गांव से वापस बहरोड़ आ रहे थे । बस में हम दोनों अंत्याक्षरी खेल रहे थे । अंत्याक्षरी खेलने में हम दोनों इतने तल्लीन हो गये थे कि कब बहरोड़ आ गया, हमें पता ही नहीं चला । बस से सारी सवारियां उतर गई थीं । हम दोनों अंत्याक्षरी खेलने में ही व्यस्त रहे थे । कंडक्टर हमारे पास आया और कहने लगा " साहब जी उतरिये " 

कंडक्टर द्वारा अचानक इस प्रकार से कहने पर हम लोग हक्के बक्के रह गए । हमें कुछ समझ ही नहीं आया कि बहरोड़ आ गया है । हड़बड़ाकर  मैंने कहा " पर हमको तो बहरोड़ जाना है और हम लोग रास्ते में नहीं उतरेंगे । आपने ही तो कहा था कि गाड़ी बहरोड़ जायेगी। फिर हमें रास्ते में उतरने के लिये क्यों कह रहे हो " ?
कंडक्टर ने हमारी बात पर हंसते हुये कहा " साहब , ये बहरोड़ ही है । चलिए उतरिए अब" ।हमें काटो तो खून नहीं । शर्म के मारे हमारा हाल बहुत बेहाल हो गया था ।

उतरकर हम लोग अपने आप पर खूब जोर से हंसे । अंत्याक्षरी में इतने खो गये थे कि कुछ भी होश नहीं रहा। बेटा शेखर छोटा था , वह सो गया था । उसे गोदी में लेकर हम लोग रिक्शे से घर आ गये ।

मुझे इस प्रतियोगिता की तैयारी करनी थी लेकिन समस्या यह थी कि इस अंत्याक्षरी में पांच श्रेणी के गाने गाने होंगे । पहली श्रेणी के अनुसार केवल उस अक्षर से प्रारंभ होने वाला गाना गाना है जो आगे वाली टीम ने छोड़ा था । यह तो बहुत आसान था मेरे लिए । सभी लोग घरों में ऐसे ही तो खेलते हैं लेकिन बाकी चार श्रेणियों के अनुसार कोई नहीं खेलता है । विशेष कर धुन और वीडियो राउंड तो मुझे बहुत कठिन लग रहा था । बहुत सी नयी फिल्में और उनके गानों से मैं परिचित नहीं था । पहले मैं रेडियो पर खूब गाने सुनता था इसलिए गानों में सिद्ध हस्त हो गया था मैं । मगर यहां पर श्रीमती जी ने हमारा हौंसला बढ़ाया और कहा ।
 " बाकी लोग कौन से प्रोफेशनल हैं । उनको आप से ज्यादा आता होगा इसकी संभावना बहुत कम है । अतः आप तो बेफिक्र होकर भाग लीजिए । बाकी जो होगा सो देखा जायेगा " ।

इन शब्दों ने मुझ पर जादू का काम किया । मुझे पहली बार ज्ञात हुआ कि मेरे बारे में कितना दृढ़ विश्वास है श्रीमती जी को । मैं तो यही समझता रहा कि इन्हें मुझमें केवल कमियां ही नजर आतीं हैं लेकिन आज पता चला कि ये हमारे फिल्मी ज्ञान के विषय में कितनी आश्वस्त हैं । अब प्रश्र जीत हार का नहीं रहा अब उनके विश्वास को कायम रखने का हो गया था । मन में शंका सी उत्पन्न होती थी कि अगर हार गये तो ना घर के रहेंगे ना घाट के । मतलब अभी तक तो श्रीमती जी थोड़ी बहुत इज्जत कर लेतीं थीं अब तो वो भी खत्म हुई समझो । कॉलेज के विद्यार्थी पता नहीं क्या हाल करेंगे हमारा । हे भगवान, अब तू ही बचा । अंत में बस उसी का तो सहारा रहता है ।

मैंने भी अपने आपको भगवान की शरण में कर लिया । जब और कोई रास्ता नहीं सूझता है तो फिर ऊपरवाले की शरण में जाने का ही एकमात्र रास्ता रह जाता है। और वही रास्ता सर्वश्रेष्ठ है ।

परीक्षा की तिथि पास आ रही थी । श्रीमती जी रोज नयी नयी खबरें लातीं थीं इस प्रतियोगिता के बारे में अपने स्कूल से । ' कोई बाहर से कपल आयेगा । उसको विजेता घोषित किया जायेगा । प्रतियोगिता का परिणाम तो पहले से तय है केवल औपचारिकता निभानी शेष है ।" ऐसा कहकर उन्होंने मुझे हतोत्साहित भी किया ।

मुझे लगता था कि श्रीमती जी स्कूल जातीं हैं या कोई सूचना केन्द्र में जाती हैं ? दुनिया भर के समाचार लेकर आतीं हैं वहां से । मेरा सभी उन गुरुजनों को प्रणाम करने का मन कर रहा था जो स्कूल में पढ़ाते कम हैं और सूचनाओं का आदान-प्रदान ज्यादा करते हैं । इस मामले में अध्यापिकाओं को महारथ हासिल है । ऐसा लगता है कि वे स्कूल शायद गपशप करने और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए ही जाती हैं स्कूल ।

एक दिन श्रीमती जी स्कूल से आकर कहने लगी कि पता नहीं क्या होगा अपना इस प्रतियोगिता में ? उनको चिंतित देखकर मैंने भी श्रीमती जी से कह दिया कि चिंता मत करो । जो होगा सो देखा जायेगा । अगर आप हमारे साथ हैं तो फिर क्या फिक्र है । हर पति की ताकत होती है पत्नी । हर पिता की ताकत होते हैं बच्चे । यदि पूरा परिवार एक साथ हो तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे पराजित नहीं कर सकती है । हमारी बातों से उन्हें बहुत संबल मिला और उनकी चिंता कुछ कम हो गई ।

नवंबर का महीना था । सर्दी पड़ने लग गई थी । उस समय हमारे पास वाहन के नाम पर केवल एक स्कूटर था । शाम की गुलाबी ठंड में हम लोग अपने एल एम् एल वैस्पा स्कूटर से समय पर प्रतियोगिता स्थल पहुंचे । उन दिनों वैस्पा स्कूटर का बड़ा क्रेज हुआ करता था और मुझे उस पर श्रीमती जी को साथ बैठाकर घुमाना बहुत पसंद था । ऐसा लगता था कि हम कोई महाराज हों और शाही सवारी पर महारानी जी के साथ प्रजा के बीच दर्शन देने हेतु कहीं जा रहे हों ।

प्रतियोगिता स्थल पर पहले से ही बहुत से लोग एकत्रित थे । उनमें कुछ हमारी कॉलेज के विद्यार्थी भी थे । वे मुझे देखकर प्रणाम करने लगे । उन्हें वहां पर देखकर एकबारगी तो मैं झेंपा । एक विद्यार्थी मेरे पास आया और उसने कहा " सर, आप अंत्याक्षरी प्रतियोगिता देखने आये हैं ? बहुत मजा आयेगा इसमें । बहुत बढिया टीमें आ रही बताईं " ।
अब उसे मैं क्या कहता कि मैं इस प्रतियोगिता को देखने नहीं बल्कि इसमें भाग लेने आया हूँ । लेकिन मैं चुप ही रहा ।

हमारे कॉलेज की कुछ छात्राएं भी वहां पर आईं हुई थीं और हमारी श्रीमती जी को लगातार देखे जा रहीं थीं और कुछ खुसर-पुसर भी कर रहीं थीं । श्रीमती जी को देखकर हमें फक्र हो रहा था कि हमारे पास कोई  चांद का टुकड़ा नहीं पूरा चांद है और उस चांद से बाकी के सितारे जल भुन रहे हैं । एक दो छात्राओं ने जानबूझकर मेरे पास आकर मुझे और श्रीमती जी को नमस्ते किया और पूछा " सर , आप भी अंत्याक्षरी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आये हैं ? फिर तो मजा आ जायेगा । आज तो आपसे और मैम से गाने सुनने को मिलेंगे" । और वे मुस्कुरा दीं । हम तब भी चुपचाप ही रहे ।

फिर हम लोग एक हॉल में पहुंचे जहां पर वह प्रतियोगिता होने वाली थी । कुछ जोड़े वहां पर पहले से ही विराजमान थे जो इस प्रतियोगिता में भाग लेने आये थे । आयोजकों में कुछ छात्र भी थे जो हमारी कॉलेज के थे । मुझे देखकर उन्होंने मेरे पैर छुए और पूछा "सर , आप प्रतियोगिता में भाग लेने आये हैं या दर्शक दीर्घा में बैठने "? 

" हम दूर बैठकर तमाशा देखने वालों में से नहीं हैं " । हमने मुस्कुरा कर कहा ।
"अरे वाह ! क्या बात है सर । फिर तो मजा आ जायेगा ।  ठीक है सर, आपका और मैम का नाम लिख लेते हैं " 
और उन्होंने हमें अन्य प्रतिभागियों के साथ बैठा दिया । मैं अन्य प्रतिभागियों के चेहरे पढ़ने लगा । कॉलेज में प्रोफेसर होने के कारण चेहरे पढने का यह गुण आ गया था मुझमें । मुझे कोई खास प्रतिभागी नजर नहीं आये थे उनमें। सब लोग साधारण ही लग रहे थे । यद्यपि सभी लोग नहीं आये थे तब तक । इतने में वहां पर एक खूबसूरत सा जोड़ा आया । आयोजकों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ उस जोड़े का स्वागत किया। 

उस जोड़े को देखकर श्रीमती जी बोली " ये लोग अलवर से आये हैं शायद और ये ही संभावित विनर लग रहे हैं। परिणाम तो पहले से ही तय बताया जा रहा है " ।

मैंने उस जोड़े में जो लड़की आई थी उसे गौर से देखा । काफी आश्वस्त नजर आ रही थी वह लड़की । लड़का साधारण सा लग रहा था । ऐसी प्रतियोगिताओं में लड़कियां ज्यादा बढ चढ कर हिस्सा लेती हैं ।  मुझे ऐसा लगा कि वह लड़की उस लड़के को केवल पार्टनर बनाने के लिए साथ लाई है । बाकी तो सारा काम उसे ही करना है । 

रात के आठ बज चुके थे । शेखर चूंकि छोटा सा था इसलिए भीड़भाड़ और शोरगुल से बहुत परेशान हो रहा था । उसे संभालना भी काफी मुश्किल काम था तब  । एक तो घबराहट और उस पर बच्चे की परेशानी । थोड़ा नर्वस हो गया था मैं ।

आयोजकों ने प्रतियोगिता की घोषणा कर दी । सब लोग शांत और सतर्क हो गए । उन्होंने प्रतियोगिता के नियम काफी विस्तृत रूप में बताए । यह कहा कि प्रतियोगिता के दो राउंड होंगे । एक एलीमिनेशन राउंड जिसमें संपूर्ण टीमों को दो समूहों में बांटा जायेगा और पहले समूह से तीन तथा दूसरे से दो टीमों का चयन किया जाएगा । प्रतियोगिता के ड्रा निकाले गये । हमारा नाम प्रथम समूह में था ।


18
रचनाएँ
मजेदार कहानियां
0.0
दिल को गुदगुदाने वाली कहानियां हैं इस किताब में
1

प्यार झुकता नहीं और रुकता भी नहीं

8 जनवरी 2022
0
0
0

प्यार झुकता भी नहीं और रुकता भी नहीं यह कहानी तब की है जब देश में कोरोना के कारण पहली बार लॉकडाउन लगा था । जिंदगी जैसे थम सी गई थी । अस्पताल में आज बहुत अफरातफरी मची हुई थी। हर कोई अपने अपने

2

अंतर्वस्त्र

10 जनवरी 2022
0
0
0

प्रथम का अभी अभी स्थानांतरण हैदराबाद से बैंगलोर हुआ था । वह एक एम एन सी में काम करता था और अच्छी पगार पाता था । उसकी पत्नी प्रज्ञा भी उसी कंपनी में जॉब करती थी । प्रज्ञा को भी बैंगलोर ऑफिस में भेज दिय

3

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 1 सन 1993 की बात है । दिल्ली जयपुर के बीच मिडवे पर एक शहर है जिसका नाम है बहरोड़ । राजस्थान के अलवर जिले में आता है । मेरा स्थानान्तरण वहां के राजकीय कॉलेज में हो गया था । तब मैं राजकीय कॉलेज

4

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

5

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 3 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

6

जीना इसी का नाम है

18 जनवरी 2022
2
0
0

जीना इसी का नाम है आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने पनीर सैंडविच बनाई नाश्ते में । बहुत ही स्वादिष्ट थीं बस थोड़ी मिर्च तेज थीं । कह भी नहीं सकते कि मिर्च तेज है वरना हमें पुरुषवादी सोच और नारी उत्पीड़

7

जन्नत और जेल

22 फरवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जैसे ही अहमदाबाद की एक अदालत ने 38 आतंकवादियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई जन्नत में मातम पसर गया । मगर जेल में बहार आ गई । पूरी जेल में उत्सव का माहौल था । सब आतंकवादियों के चे

8

आखिरी खत

26 फरवरी 2022
0
0
0

रवि बस में खिड़की वाली सीट पर बैठ गया । उसके आगे वाली सीट खाली थी । उसकी पुश्त पर सिर टिका कर वह आराम करने लगा । पता नहीं कब उसे नींद आ गई । कंडक्टर ने जब टिकिट मांगा तब उसकी आंख खुली । उसने देखा कि उस

9

गंगाजल की कसम

5 मार्च 2022
0
0
0

प्रिया बड़ी बेचैनी से छत पर चहलकदमी कर रही थी । उसके चेहरे से झुंझलाहट साफ झलक रही थी । वह बार बार घड़ी को देखती । फिर मोबाइल को देखती । घड़ी तेज तेज दौड़ी जा रही थी मगर मोबाइल वैसे ही खामोश पड़ा था

10

अनदेखे अनजाने से प्यार

24 मार्च 2022
0
0
0

प्रेमा प्रतिलिपि पर अभी नयी नयी आई थी । बहुत सारे लेखक थे यहां । एक से बढकर एक । लेखिकाएं भी थीं , सब की सब नायाब । प्रेमा को बड़ा अच्छा लगा था यहां आकर । बड़े मनोयोग से वह सब रचनाएं पढ़ती थी । एक द

11

आखिरी बार

27 मार्च 2022
2
1
0

"हैलो" "हां दीदी" "क्या कर रहा है तू ? अगर कोई एग्जाम नहीं हो तो आ जा । मेरी ननद हिना की शादी है । कुछ मदद भी करवा देना और थोड़े दिन हम दोनों भाई बहन साथ भी रह लेंगे" । प्रवीण ने कुछ सोचते

12

समुद्र तट की सैर

29 मार्च 2022
1
0
0

"सुनो, आठ बज गये हैं । अब तो खड़े हो जाओ । आज ऑफिस नहीं जाना है क्या" ? श्रीमती जी की मिसरी सी मीठी आवाज सुनकर हम हड़बड़ा कर उठे । सामने देखा तो श्रीमती जी चाय के दो प्याले हाथ में लिये खड़ी थीं और

13

अप्रैल फूल

31 मार्च 2022
2
1
0

1 अप्रैल जब भी आता है , न जाने कितनों को अप्रैल फूल बना जाता है । कोई कोई ही ऐसा होगा जो इसकी मार से बच पाता है । उसे पता ही नहीं लगता है कि वह अप्रैल फूल बन रहा है । लोग कहते रह जाते हैं कि कोई उसे अ

14

एक मुठ्ठी आसमां

14 अप्रैल 2022
0
0
0

रिया दुल्हन बनी हुई अपने कमरे में साहिल का इंतजार कर रही थी । बड़े करीने से सजाया था उसका कमरा । साहिल की पसंद की मन ही मन दाद दे रही थी वह । शादी की हर रस्म कितनी खूबसूरती के साथ पूरी की गई थी । हर ईव

15

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब

17 अप्रैल 2022
0
0
0

( राजस्थान में भीलवाड़ा जिले की सत्य घटना पर आधारित कहानी ) राजस्थान उच्च न्यायालय में आज एक अजीब सा केस लिस्टेड था । हत्या के अपराध में सजा काट रहे अपराधी की पैरौल का मामला राजस्थान उच्च न्यायालय

16

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब (भाग 2)

17 अप्रैल 2022
0
0
0

(पहला भाग पढ़कर कुछ पाठकों की प्रतिक्रिया आई कि न्यायालय अक्सर अपराधियों और आतंकवादियों के मानवाधिकार ही देखते हैं और उसी के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं । न्यायालयों को आज तक पीड़ित पक्षकारों के मानवाध

17

अज्ञात व्यक्ति

26 अप्रैल 2022
0
0
0

( यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है )एक अज्ञात व्यक्ति किस तरह किसी की जिंदगी को नर्क बना देता है यह इस कहानी से पता चलेगा । अशोक और आहना की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी । दोनों ही पति पत्नी

18

आपने वादा तोड़ दिया

26 अप्रैल 2022
0
0
0

आपने वादा तोड़ दिया मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी सुधा अपने मैके आगरा गईं। उसके मैके जाते ही अपनी तो जैसे खाट खड़ी हो गई। एक एक पल काटना मुश्किल हो गया । घर में और कोई था नहीं । मम्मी पापा गांव में रहते

---

किताब पढ़िए