shabd-logo

अप्रैल फूल

31 मार्च 2022

30 बार देखा गया 30

1 अप्रैल जब भी आता है , न जाने कितनों को अप्रैल फूल बना जाता है । कोई कोई ही ऐसा होगा जो इसकी मार से बच पाता है । उसे पता ही नहीं लगता है कि वह अप्रैल फूल बन रहा है । लोग कहते रह जाते हैं कि कोई उसे अप्रैल फूल बना रहा है । मगर वह उनकी बात नहीं सुनता और अप्रैल फूल बनता रहता है । 

ऐसा ही वाकिया एक बार हमारे साथ हुआ । हम जब कॉलेज में पढ़ते थे तो हमारी क्लास में कई लड़कियां भी थीं । एक लड़की "परी" बिल्कुल परी जैसी थी । इतनी खूबसूरत थी कि जैसे हाथ लगाओ तो मैली हो जाये । दिन रात बस उसी के ख्वाब आते थे । 

हमारा एक साथी भी उसी क्लास में पढ़ता था । नाम था पवन । एक दिन कैंटीन में हमने उसको अपने दिल की बात बता दी । वह तुरंत खड़ा हुआ और एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया हमारे गाल पर । हम कुछ समझ पाते इससे पहले ही वह बोला "साले, भाभी है तेरी वह । भाभी पर बुरी नजर मत डाल वरना ठीक नहीं होगा" । 

हम एकदम से अवाक् रह गए । अबकी बार थप्पड़ मारने की बारी हमारी थी । बोले "साले, पहले क्यों नहीं बताया । पूरा गधा निकला" । 
"क्या बताते ? प्यार हम करते हैं, वो नहीं" । 
"कैसे पता" ? 
"अरे हमें सब पता है" । 
"फिर भी" 
"एक दिन हम उसके रास्ते में खड़े होकर इंतजार करते रहे । जब वह आई तब हमने एक गुलाब का फूल उसे पकड़ाया और 'आई लव यू' बोल डाला। पता है फिर क्या हुआ" ? 
"उसने भी कह दिया होगा । लव यू ठू" । 
"अरे नहीं यार । उसने पहले तो एक कंटाप रसीद किया हमारे गाल पर और फिर हमारे गुलाब के फूल को अपने  पैरों तले रोंदकर चली गईं" । 
"फिर भी तू उससे प्यार करता है" ? 
"हां यार , करता हूं और करता रहूंगा" । 
"तो फिर ये बता कि मैं उसे भाभी बोल सकता हूं या नहीं" ? 
"भाभी बोलने में कोई हर्ज नहीं है । जैसे वो मेरी बीवी वैसे ही वो तेरी भाभी" ! पवन ने हंसते हंसते कहा । और हम दोनों क्लास में आ गये । 

वहां पर अलग ही नजारा था । दो लड़के जिनका नाम प्यारे और सनम था "द्वंद्व युद्ध" कर रहे थे । एक दूसरे को उठा उठा कर फेंक रहे थे । हम सबने बड़ी मुश्किल से उन्हे अलग अलग किया । जब "महाभारत" का कारण पूछा तो यहां पर भी वही कारण बताया गया । यानि "द्रोपदी" । मेरा मतलब है "परी" । दोनों उसे प्यार करने का दावा कर रहे थे । 

इस पर पूरी क्लास खिलखिला कर हंस पड़ी । सबने एक स्वर से कहा कि वे सब भी परी से प्यार करते हैं । पर लाख टके का प्रश्न था कि "परी" किससे प्यार करती है ? 

यह पूछने की हिम्मत किसी ने नहीं की । बल्कि जिस जिस ने प्यार जताया अपने गालों पर परी के हाथ का स्पर्श पाया । उसके बाद फिर किसी ने साहस नहीं दिखाया । इससे हमें बड़ा चैन आया । चलो , एक हमने अकेले ने ही परी से प्रसाद नहीं पाया । यहां तो हर कोई है जो इस गंगा में है नहाया । 

हमें अपना भविष्य उज्ज्वल नजर आया । हमें किसी कवि का कहा एक सूत्र याद आया । "सफल वही होता है जो कभी असफलता से नहीं घबराया" । ऐसा सोचकर हमने उत्साह और दर्शाया । 

अब हम उसके आगे पीछे घूमने लगे । उसके छोटे छोटे काम जैसे फीस जमा करने का , मोबाइल रीचार्ज का, लाइब्रेरी से और बाजार से किताबें लाने का काम करने लगे । इसका फायदा यह हुआ कि अब हम उसके साथ हंस लेते थे । बतिया लेते थे । परी की सहेली "चांदनी" भी हमारे साथ होती थी । 

एक दिन चांदनी हमारे पास आई और एक किताब हमें देते हुये बोली "ये परी ने भेजी है, खास तुम्हारे लिये । लो" । 

हमारा मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया । परी ने खास हमारे लिये किताब भेजी है ! हम खुशी से उछल पड़े । दिल धक धक करने लगा । हमने किस्से कहानियों में पढ़ा था कि कॉलेज में किताबें पढने के काम कम और गुलाब का फूल और प्रेमपत्र भेजने के ज्यादा काम आती हैं । यह बात सच होती दिख रही थी । तो क्या इसमें भी ? और यह सोच सोचकर हम पागल हुए जा रहे थे । हमने एक नजर चांदनी पर डाली । वह भी अर्थपूर्ण मुस्कुराहट उछाल कर चली गईं । 

हमने धड़कते दिल से किताब खोली । हमारा सपना सच हो गया । उसमें एक गुलाब का फूल और एक छोटी सी पर्ची थी जिस पर लिखा था 
आई लव यू 
       परी 

हमने वह पर्ची दसियों बार चूमी । गुलाब के फूल को होठों से लगाकर शर्ट की जेब में रख लिया जिससे दिल को सुकून मिलता रहे । हमको ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हमने पानीपत का युद्ध जीत लिया हो । 

खुशी खुशी हम क्लास में आये । वहां पर पवन बैठा हुआ था । एकदम उदास । हमने उसे बाहों में भर लिया और खुशी से रो पड़े । वह समझ गया कि हमें कोई बहुत बड़ी खुशी मिली है । बोला "क्या नौकरी का बंदोबस्त हो गया है" ? 
"अरे , नौकरी नहीं, छोकरी का बंदोबस्त हुआ है । और मालूम है कि वो छोकरी कौन है " ? 
"कौन है वो बदनसीब" ? 
"परी है यार ! परी के अलावा और कौन होगी" ? 
"क्या सबूत है तेरे पास" ?  

सबूत हमारे साथ ही था । हमने वह किताब, गुलाब का फूल और पर्ची उसे  दिखाई । उन सबको देखकर पवन बहुत जोर से हंसा । काफी देर हंसने के बाद बोला 
"मालूम है उस किताब का नाम क्या है" ? 
"नहीं" 
"इसीलिए तू इतना खुश हो रहा है । पहले किताब का नाम तो पढ़ ले" । उसने हमारा उपहास उड़ाते हुए कहा 

हम एकदम भौंचक से किताब को देखने लगे । नाम "अप्रैल फूल" लिखा था । हमारी समझ में नहीं आया कि नाम क्यों पढ़वा रहा है यह ? यदि और कोई नाम होता तो क्या उससे गुलाब के फूल की सुगंध कम हो जाती या फिर पर्ची का मजमून बदल जाता ? हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा था । हमने मूर्खों की तरह पूछा 
"किताब का नाम अप्रैल फूल है । और अगर कुछ और नाम होता तो उससे क्या फर्क पड़ जाता" ? 
"हां पड़ जाता बुद्धूराम । अरे वो तुझसे कोई प्यार व्यार नहीं करती है । वह तुझे अप्रैल फूल बना गई , साले" । अब हंसने की बारी पवन की थी । 

हमने आस नहीं छोड़ी और कहा "पर वह पर्ची तो असली है । मै उसकी राइटिंग पहचानता हूं । परी की ही राइटिंग है यह । अब तो शक की कोई गुंजाइश नहीं है न" ? 

इतने में क्लास के सारे लड़के हमारे पास आ गये । पवन झुंझलाकर बोला " अरे गिरीश भाई, तुम ही समझाओ इस बुड़बक को" । 
गिरीश कहने लगा "पवन एकदम सही कह रहा है" । 
इतने में बाकी लोग भी जोर जोर से बोलने लगे 
"अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया" 

हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था । तभी पवन ने अपने बैग से एक किताब निकाली । उस पर भी "अप्रैल फूल" लिखा था । उसे खोला तो उसमें से वही एक गुलाब का फूल और पर्ची निकली । पर्ची हमें पकड़ाते हुए उसने कहा "ले पढ़" 

हमने कांपते हाथों से वह पर्ची ली और पढ़ा 
आई लव यू 
       परी 
अब समझा कुछ ? नहीं समझा ना । मैं समझाता हूं । 
"उसने हम सबको अप्रैल फूल बनाया है । सबको यह किताब, गुलाब का फूल और पर्ची भेजी है उसने । अब तो यकीन हो गया ? 

अब सब लड़कों के हाथों में वही किताब, गुलाब का फूल और पर्ची नजर आ रही थी । अब हमें विश्वास हो गया था कि हम अप्रैल फूल बन चुके थे । 

इतने में परी , चांदनी और बाकी लड़कियां भी आ गई । आते ही वे गाने लगीं 
फूलों में है सबसे प्यारा फूल 
अप्रैल फूल अप्रैल फूल अप्रैल फूल 
भूल के सारी बातें हो जाओ कूल 
आज ये साबित हुआ कि तुम हो "फूल" 

सब लड़के जोर से हंस पड़े । सबने एक स्वर में कहा 
"ये भेंट तुम्हारी है हमें कबूल 
बन गये हम आज अप्रैल फूल" । 

फिर तो सब लोग मस्ती करने लग गये । 

हैप्पी "फूल डे" 
😀😀😀💐💐💐🙏🙏🙏 

हरिशंकर गोयल "हरि"
1.4.2022 

(यह कहानी काल्पनिक है । हकीकत से दूर दूर तक संबंध नहीं है) 
😀😀😀😀


18
रचनाएँ
मजेदार कहानियां
0.0
दिल को गुदगुदाने वाली कहानियां हैं इस किताब में
1

प्यार झुकता नहीं और रुकता भी नहीं

8 जनवरी 2022
0
0
0

प्यार झुकता भी नहीं और रुकता भी नहीं यह कहानी तब की है जब देश में कोरोना के कारण पहली बार लॉकडाउन लगा था । जिंदगी जैसे थम सी गई थी । अस्पताल में आज बहुत अफरातफरी मची हुई थी। हर कोई अपने अपने

2

अंतर्वस्त्र

10 जनवरी 2022
0
0
0

प्रथम का अभी अभी स्थानांतरण हैदराबाद से बैंगलोर हुआ था । वह एक एम एन सी में काम करता था और अच्छी पगार पाता था । उसकी पत्नी प्रज्ञा भी उसी कंपनी में जॉब करती थी । प्रज्ञा को भी बैंगलोर ऑफिस में भेज दिय

3

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 1 सन 1993 की बात है । दिल्ली जयपुर के बीच मिडवे पर एक शहर है जिसका नाम है बहरोड़ । राजस्थान के अलवर जिले में आता है । मेरा स्थानान्तरण वहां के राजकीय कॉलेज में हो गया था । तब मैं राजकीय कॉलेज

4

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

5

अंत्याक्षरी

13 जनवरी 2022
0
0
0

भाग 3 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

6

जीना इसी का नाम है

18 जनवरी 2022
2
0
0

जीना इसी का नाम है आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने पनीर सैंडविच बनाई नाश्ते में । बहुत ही स्वादिष्ट थीं बस थोड़ी मिर्च तेज थीं । कह भी नहीं सकते कि मिर्च तेज है वरना हमें पुरुषवादी सोच और नारी उत्पीड़

7

जन्नत और जेल

22 फरवरी 2022
0
0
0

भाग 2 जैसे ही अहमदाबाद की एक अदालत ने 38 आतंकवादियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई जन्नत में मातम पसर गया । मगर जेल में बहार आ गई । पूरी जेल में उत्सव का माहौल था । सब आतंकवादियों के चे

8

आखिरी खत

26 फरवरी 2022
0
0
0

रवि बस में खिड़की वाली सीट पर बैठ गया । उसके आगे वाली सीट खाली थी । उसकी पुश्त पर सिर टिका कर वह आराम करने लगा । पता नहीं कब उसे नींद आ गई । कंडक्टर ने जब टिकिट मांगा तब उसकी आंख खुली । उसने देखा कि उस

9

गंगाजल की कसम

5 मार्च 2022
0
0
0

प्रिया बड़ी बेचैनी से छत पर चहलकदमी कर रही थी । उसके चेहरे से झुंझलाहट साफ झलक रही थी । वह बार बार घड़ी को देखती । फिर मोबाइल को देखती । घड़ी तेज तेज दौड़ी जा रही थी मगर मोबाइल वैसे ही खामोश पड़ा था

10

अनदेखे अनजाने से प्यार

24 मार्च 2022
0
0
0

प्रेमा प्रतिलिपि पर अभी नयी नयी आई थी । बहुत सारे लेखक थे यहां । एक से बढकर एक । लेखिकाएं भी थीं , सब की सब नायाब । प्रेमा को बड़ा अच्छा लगा था यहां आकर । बड़े मनोयोग से वह सब रचनाएं पढ़ती थी । एक द

11

आखिरी बार

27 मार्च 2022
2
1
0

"हैलो" "हां दीदी" "क्या कर रहा है तू ? अगर कोई एग्जाम नहीं हो तो आ जा । मेरी ननद हिना की शादी है । कुछ मदद भी करवा देना और थोड़े दिन हम दोनों भाई बहन साथ भी रह लेंगे" । प्रवीण ने कुछ सोचते

12

समुद्र तट की सैर

29 मार्च 2022
1
0
0

"सुनो, आठ बज गये हैं । अब तो खड़े हो जाओ । आज ऑफिस नहीं जाना है क्या" ? श्रीमती जी की मिसरी सी मीठी आवाज सुनकर हम हड़बड़ा कर उठे । सामने देखा तो श्रीमती जी चाय के दो प्याले हाथ में लिये खड़ी थीं और

13

अप्रैल फूल

31 मार्च 2022
2
1
0

1 अप्रैल जब भी आता है , न जाने कितनों को अप्रैल फूल बना जाता है । कोई कोई ही ऐसा होगा जो इसकी मार से बच पाता है । उसे पता ही नहीं लगता है कि वह अप्रैल फूल बन रहा है । लोग कहते रह जाते हैं कि कोई उसे अ

14

एक मुठ्ठी आसमां

14 अप्रैल 2022
0
0
0

रिया दुल्हन बनी हुई अपने कमरे में साहिल का इंतजार कर रही थी । बड़े करीने से सजाया था उसका कमरा । साहिल की पसंद की मन ही मन दाद दे रही थी वह । शादी की हर रस्म कितनी खूबसूरती के साथ पूरी की गई थी । हर ईव

15

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब

17 अप्रैल 2022
0
0
0

( राजस्थान में भीलवाड़ा जिले की सत्य घटना पर आधारित कहानी ) राजस्थान उच्च न्यायालय में आज एक अजीब सा केस लिस्टेड था । हत्या के अपराध में सजा काट रहे अपराधी की पैरौल का मामला राजस्थान उच्च न्यायालय

16

मैं मां बनना चाहती हूं, जज साहब (भाग 2)

17 अप्रैल 2022
0
0
0

(पहला भाग पढ़कर कुछ पाठकों की प्रतिक्रिया आई कि न्यायालय अक्सर अपराधियों और आतंकवादियों के मानवाधिकार ही देखते हैं और उसी के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं । न्यायालयों को आज तक पीड़ित पक्षकारों के मानवाध

17

अज्ञात व्यक्ति

26 अप्रैल 2022
0
0
0

( यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है )एक अज्ञात व्यक्ति किस तरह किसी की जिंदगी को नर्क बना देता है यह इस कहानी से पता चलेगा । अशोक और आहना की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी । दोनों ही पति पत्नी

18

आपने वादा तोड़ दिया

26 अप्रैल 2022
0
0
0

आपने वादा तोड़ दिया मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी सुधा अपने मैके आगरा गईं। उसके मैके जाते ही अपनी तो जैसे खाट खड़ी हो गई। एक एक पल काटना मुश्किल हो गया । घर में और कोई था नहीं । मम्मी पापा गांव में रहते

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए