22 फरवरी 2022
मंगलवार
समय- 11:10 (रात)
मेरी प्यारी सखी,
आज महिला संगीत में जाना था। भाभी जी ने खासकर हाथ पकड़कर कहा था, 3:00 बजे ही आ जाना। गाना बजाना 3:00 बजे से पूरी तरह शुरू हो जाएगा। मैं भी अनुशासनप्रिय बिल्कुल सही समय पर पहुंच गई। जाकर देखा ना कोई तैयारी, ना कुछ। यहां तक कि घर के लोग सजे धजे भी नहीं थे। तब थोड़ा गुस्सा भी आया।
लेकिन तभी दिमाग में कौंधा, भारत में जो भी समय बताओ सभी लोग आधा घंटा देर से ही आते हैं। कुछ किया भी नहीं जा सकता या शायद लोग संभलना नहीं चाहते।
खाना पीना खा आने के बाद, घर आकर कई बार खाना बनाने का मन भी नहीं करता। लेकिन फ्रिज में रखा हुआ सामान भी खत्म करना था। कुछ दिनों के लिए शादी में जो जा रहे हैं।
तो दही रखी हुई थी सो कड़ी बना ली। वैसे तो हमेशा गुरुवार को ही मैं कड़ी बनाती हूॅं लेकिन परसों निकलना है तो फ्रीज का सारा सामान खाली भी तो करना था।
घर में कड़ी बनते ही सभी की रोटियां 1-1 बढ़ जाती है। सभी को मेरे हाथ की बनी कड़ी बेहद पसंद है।
सबके लिए रोटी बना कर परात धोने लगी। तब तक बेटे ने आकर कहा- मम्मी अम्मा को तीन रोटी और चाहिए। जल्दी-जल्दी दोबारा आटा मांड़ा और रोटी बनाने लगी। बेटे ने कहा अम्मा ने शिकायत की है आज कड़ी में उन्हें बड़े कम मिले हैं।
हंसते हुए मैंने कहा आज बिटिया ने थाली परोसी है। अम्मा को कड़ी में बड़े ज्यादा चाहिए होते हैं। मुझे पता है बिटिया को नहीं और हंसती हुई दो तीन बड़े और रखें अम्मा ने भी खुशी-खुशी रोटियां खा ली।
यही बात पतिदेव ने भी आकर कहा तुम कड़ी बनाती हो तो ना चाहते हुए भी 1-2 रोटियां ज्यादा खाने का मन कर ही जाता है।
सब कुछ समेट कर अब जाकर तुमसे बात करने का मौका मिला है। सो बतियाने लग गई तुमसे।
अब सोती हूॅं थक गई हूॅं।
शुभरात्रि
प्रतिलिपि लेखिका
पापिया