14 फरवरी 2022
सोमवार
मेरी प्रिय सखी,
आजकल पुनः शादी का माहौल चल पड़ा है हर जगह से गाजे-बाजे की ही आवाजें आने लगी है।
कभी गुलाब डे तो कभी टेडी डे, कभी चॉकलेट डे पर दूसरों को उपहार देने का चलन आजकल आम हो गया है। स्कूल कॉलेजों में laila majnu की जोड़ी आज कल आम तौर पर दिखाई पड़ जाते हैं।
समाज में प्रेम का मतलब सिर्फ पुरुष और स्त्री का प्रेम ही क्यों माना जाता है? हो सकता है मैं गलत हूॅं। लेकिन कई बार किसी और के सामने इस तरह के प्रश्न पूछने पर मेरे प्रश्नों को दबा दिया जाता है।
लेकिन क्यों हम अपने प्यार का इजहार अपने माता-पिता से नहीं कर पाते हैं? क्या वे हमारे वैलेंटाइन नहीं हो सकते? क्या एक पिता अपनी लड़की के लिए उसके पहले बॉयफ्रेंड नहीं है? क्या एक लड़के के लिए उसकी मां उसकी गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती?
हमेशा वैलेंटाइन हम उम्र के लड़के लड़कियां एक दूसरे के प्रति क्यों आकर्षण प्रदर्शित करते हैं आखिर क्यों? क्या हमारी संस्कृति हमें यही सिखाती है?
कहीं भी इन दिनों कॉलेज के बाहर देखने पर इस तरह के नजारे देखने को मिलते हैं कि कुछ ना पूछो।
शायद श्रवण कुमार, राम जैसे उदाहरण किताबों में पढ़ने और सुनने के लिए ही रह गए हैं। वास्तविक जीवन में इन आदर्शों को कोई भी बताना नहीं चाहता। शायद पाश्चात्य करण की हवा बह निकली है। न जाने इस हवा में क्या-क्या तबाह हो जाए क्या पता?
पापिया