1 फरवरी 2022
मंगलवार
समय 10:20
मेरी प्यारी सखी,
मौसम में अभी भी सर्दी का शुमार बरकरार है। लेकिन सूरज के निकलने से गर्मी भी महसूस हो रही है। अभी बीमारी बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं। मौसम की वजह से गर्मी सर्दी के मिश्रित प्रभाव से।
हमारा भारत "वसुदेव कुटुंबकम्" की धारणा पर आधारित माना जाता है। सभी खुश रहें, सभी प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ हो, सभी का कल्याण हो यही भावना हमारे भारत में आज तक पाई जाती है। लेकिन शायद समय के साथ ही साथ परिस्थितियां बदलती जा रही हैं।
जहां माता-पिता गुरुजनों का सम्मान, इंसान का कर्तव्य माना जाता रहा है। वहां आज परिस्थितियां कहीं-कहीं बदलती नजर आ रही हैं। तभी तो वृद्ध आश्रम खुल गए हैं।
हमारा परिवार जो कि संयुक्त परिवार हुआ करता था। गांव में शायद आज भी इक्के दुक्के परिवारों को छोड़कर संयुक्त परिवार ही पाए जाते हैं। लेकिन शहरों में मनोवृति के बदलने की वजह से लोग एकल परिवार में रहना पसंद करते हैं।
हम चाहते हैं कि हम सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार के साथ रहे। शायद यही प्रवृति हमारे बच्चों में भी आ जाती है, जब भी बड़े होते हैं। वे भी अपना ही परिवार चाहते हैं और माता-पिता से दूरी बनाए रखते हैं।
जब तक हम अपनी प्रवृत्ति नहीं बदलेंगे। जब तक हम सभी लोगों को अपने साथ लेकर नहीं चलेंगे, तब तक यह प्रवृत्ति बच्चों में भी नहीं आएगी।
हमें ना सिर्फ अपने परिवार को, वरन् समाज को और साथ ही साथ अपने देश को तथा विश्व को भी अपना मान कर चलना है। तब यह प्रवृत्ति हमारे आगामी आने वाली पीढ़ियां सीखेंगी।
समाज से अलग होकर हम सिर्फ अवसाद ग्रस्त हो सकते हैं। अपनी उन्नति नहीं कर सकते। इस बात को जितनी जल्दी हो सके हमें और हमारी आगे आने वाली पीढ़ी को समझने की दरकार है। समाज से बिखर हमारी मानसिक प्रवृत्ति कैसी होती है?
सखी देखो हमें किस प्रकार का समाज गढ़ना है यह हमें खुद ही निश्चित करना होगा।