9 फरवरी 2022
बुधवार
मेरी प्यारी सखी,
आज वर्कशॉप में कितना कुछ सीखने को मिला। कई बार हम प्रशिक्षण द्वारा बहुत कुछ सीखते हैं। अगर सीखने का उद्देश्य हो तो।
लेकिन जैसा कि प्रीति मैम ने बताया। हम सदैव ही कुछ बोलने के लिए सुनते हैं। आज हर कोई सुनाने के लिए तत्पर रहता है सुनना तो शायद कोई चाहता ही नहीं, है ना!
हम लोग भी जब छोटे थे तब हमारे पास जानने का कोई जरिया नहीं था। लेकिन आज नेट में हर छोटी से छोटी बात की जानकारी दे दी है। विद्यार्थियों से लेकर हर किसी के पास हर चीज की सामग्री मिल जाती है। चाहे किसी बीमारी के बारे में जानना हो, चाहे कुछ भी।
जिसकी वजह से आज कोई भी अनुभव का लाभ ही लेना नहीं चाहता।
बड़ी मेहंदी बता रही थी आज हर कोई जानकार है। बड़े बूढ़े तकनीकी ज्ञान के अभाव में युवा पीढ़ी को कुछ भी कहने से डरते हैं।
वही युवा पीढ़ी अनुभव को अर्जित करना नहीं चाहती। उसे लगता है कि बड़े बूढ़े जो भी बताएंगे वह सब नेट से निकाल ही सकते हैं तो फिर बड़े बूढ़ों की क्या जरूरत।
कई बार मन को बहुत अफसोस होता है शायद पीढ़ी का अंतर मन में खलबली मचा जाता है।
कई बार मैंने दादियों को देखा है कि उनकी खाली आंखें बच्चों का साथ चाहती है लेकिन बच्चे कहां बैठना चाहते हैं अपनी दादी के साथ।
कल की ही बात है हम लोग राजेश के लिए लड़की देखने गए। लड़की की मां बताती रही लड़की बहुत पढ़ी लिखी है। उसे स्कूल कॉलेज में अनेकों इनाम मिले हुए हैं और भी ना जाने क्या-क्या। मेरी मासी ने पूछा- खाना वगैरह बना लेती है?
उसकी मां ने कहा सिखाने की क्या जरूरत है नेट है ना। नेट खोल कर जो भी बनाना होगा बना लेगी, सीख लेगी। उनकी बातों को सुनकर ऐसा लगा सच में आज वे दिन लद चुके हैं जब लड़कियां मां चाची से बहुत कुछ सीखती थी। कल और आज के समय में बहुत अंतर आ गया है मानसिकता बदल गई है।
शादियों की लिए भी बच्चे खुद ही अपनी पसंद का जीवन साथी चुन लेते हैं और माॅं वाप को बता देते हैं। वैसे भी आजकल के मां बाप सोचते है बच्चों की राय को ही अपना लिया जाए।
5 फरवरी को एक शादी में गए थे। लड़का रस्तोगी तो वही लड़की जैन थी। लव कम अरेंज थी। वैसे भी शादी के बाद बहु कौन सी सांस के साथ रहेंगी? तो सभी बच्चों की बात मान ही लेते हैं।
चलों फिर मिलती हूॅं।
पापिया