28 फरवरी 2022
सोमवार
समय-08:37
मेरी प्यारी सखी,
कैसी हो? लगता है नाराज हैं गई हो।
क्या करुं? कल तो तुमसे बात करने का मौका ही नहीं मिला। सारा दिन घूमना और घूमना। फिर बस में बैठ कर पुनः दूसरे स्थान के लिए रवाना हो गए।
घूमने का भी अपना एक अलग ही मजा है। शायद प्रकृति को समझने का, अनुभव बटोरने का एक नया अंदाज।
हालांकि घूमते घूमते बीच राह से ही हम लोग लाली के ससुराल भी पहुंचे। उसकी सास बहुत दिनों से कह रही थी हमारे घर नहीं आते। तो सोचा समय निकालकर उनके घर भी जाया जाए।
हालांकि उसके बेटे के जनेऊ संस्कार में मैं गई थी। लेकिन हम लोग इस बार जाते हुए रास्ता ही भूल गए। फिर कल उस स्थान पर चुनाव भी हो रहे थे।
चुनाव होने की वजह से सारी दुकाने लगभग बंद थी। मिठाई खरीदने के लिए भी दुकानें खुली ना थी। फिर टोटो वाले से कहा, टोटो अर्थात ऑटो रिक्शा का एक दूसरा रूप, वहां तो टोटो बोला जाता है।
टोटो वाला हमें एक लंबी दूरी तय कर एक मिठाई वाले की दुकान पर लेकर गया। वहां से मिठाई खरीद ली और लाली के ससुराल पहुंच गए।
मासीमां तो देखते ही बहुत खुश हो गई। उनकी तबीयत खराब होने की वजह से बहुत दुबली हो गई थी। हमें देखकर उनका उत्साह एक छोटे बच्चे की तरह दिखाई दिया। बहुत खुश हो रही थी, बच्चे खुशी में नाचते गाते हैं। उछल,कूद भी लेते हैं। मासी जी की चाल से पता चल रहा था कि वो खुश है।
दोपहर को खाना वगैरह खाकर थोड़ा आराम करने के पश्चात उठकर चाय की चुस्की लेने के बाद हम लोगों ने मासी जी से विदाई ली और पुनः एक लंबी दूरी तय कर बस में बैठे।
बस रात के 11:30 बजे की थी। अब सुबह आकर हम लोग होटल में पहुंचे हैं तो सोचा तुमसे थोड़ी देर बतिया लूं।
सभी बाथरूम में स्नान कर रहे हैं। अंत में मेरा नंबर है तो सोचा अच्छा मौका है कि तुमसे थोड़ी बातें करूं।
समय मिलते ही फिर बातें होंगी। तब तक के लिए नमस्ते राम राम।
प्रतिलिपि लेखिका
पापिया