3 फरवरी 2022
गुरुवार
मेरी प्रिय सखी,
समय की आंधी के साथ हम सभी आगे से आगे बढ़ते जा रहे हैं। क्यों सही कह रही हूॅं ना मैं।
आज सभी एक साथ धूप में बैठकर बातें कर रहे थे। कुछ ऐसी बातें जो कई बार दिल को सोचने के लिए मजबूर कर देती है।
वृद्धावस्था जिसका एहसास इंसान को तब होता है जब वह खुद वृद्ध होता है।
कहा भी गया है जब तुम युवा हो वृद्ध का सम्मान करो। क्योंकि 1 दिन ऐसी अवस्था तुम्हारी भी हो सकती है। वृद्ध होकर तुम सक्षम ना होगे।
तुम सक्षम हो तो कमजोर को मत सताओ। सक्षम हो तो कमजोर की सहायता करो।
जरूरी नहीं कि हर बात तुम्हारी सही हो। अर्थात अपनी गलती मानना सीखो। जरूरी नहीं कि हम जिस बात को पकड़ कर बैठे हो सदा वही सही हो। इस मैं सही तू गलत के चक्कर में न जाने कितने ही घर बर्बाद हो गए।
कितने ही पति पत्नी के रिश्ते बिगड़ गए। बाप बेटों से दूर हो गए। बहनों ने भाई को पुनः ना पुकारा। घर परिवार बिछड़न हो गए।
बस यूं ही सोचते सोचते तुमसे बातें करने लगी। अगर ऐसा होता तो अच्छा होता। अगर वैसा ना होता तो शायद ठीक होता।
जब सब गलत हो गया तो शायद यह सब सोचना भी ठीक ना रहा।