मैम! आप गाड़ी को यही किनारे पर खड़ा कर दीजिए। हमारे यहां की गलियां बहुत सकरी हैं। आपकी गाड़ी शायद बाद में निकल नहीं पाएगी। पायल ने संकोच करते हुए कहा।
हां तुम ठीक कह रही हो मैंने कि ध्यान नहीं दिया। चलो चलते हैं कहती हुई वह गाड़ी से उतर पड़ी।
अभी भी माइली को बुखार था। उसके सिरहाने बैठी हुई पड़ोस की विमला चाची ने कहा पायल अब मैं चलती हूं घर का पूरा काम पड़ा है।
पायल ने कहा- चाची बहुत-बहुत आभार आपका, आप इतनी देर तक यहां बैठी रही। मैं और जल्दी आ जाती लेकिन...
बीच में ही विमला चाची ने कहा- कोई बात नहीं बेटा, बाहर निकलने पर वैसे भी कई बार पता ही नहीं रहता जाने-अनजाने देरी हो ही जाती है और वैसे भी तुमने चला कर तो ऐसा किया नहीं है ना। कहती हुई माइली के सिर पर हाथ फेर कर वह उठकर अपने घर की तरफ चलने लगी।
चाची मैं चाय बना रही थी पीकर जाती!
नहीं बेटा, अब तो जाकर घर पर खाना ही खाऊंगी, कहकर वह कमरे से निकल गई।
श्रीविद्या ने माइली को गोद में लिया और कमरे से बाहर निकल आई। पायल ने भी ताला निकाला। दरवाजे से बाहर निकल कर छिटकनी लगाई और उस पर ताला लगा दिया। साथ ही श्रीविद्या के पीछे-पीछे उसकी गाड़ी की तरफ चल पड़ी।
श्रीविद्या माइली को पायल की कॉलोनी के पास के ही श्री राम नर्सिंग होम ले गई। ताकि आने जाने में पायल को परेशानी ना हो। रिसेप्शन पर उसने माइली के नाम की पर्ची लिखवाई और लाइन में खड़ी हो गई। पायल को वही नजदीकी ही बैठने के लिए कह दिया।
तकरीबन आधा घंटे बाद पायल अपनी जगह से उठकर आई और उसने श्रीविद्या से कहा कि अब थोड़ी देर तुम आराम कर लो, मेरी जगह जाकर तुम बैठ जाओ। माइली को लेकर मैं खड़ी रहती हूं। तुम भी थकी हुई हो। श्रीविद्या ने माइली को पायल की गोद में दे दिया। ज्वर से अभी भी माइली का शरीर तप रहा था। अब तो पल-पल की देरी भी श्रीविद्या को अधीर कर रही थी।
गाण्धारवी हि्दयेश के हाथों के ऊपर हाथ रखे वहां बैठी बैठी चांदनी को, साथ ही साथ ताजमहल को निहार रही थी।
आज तो पूर्णिमा होने के कारण चांदनी अपने पूरे शबाब पर थीं। ताजमहल भी उसकी रोशनी में नहाया हुआ मानो चांद से कह रहा था आज तो मेरी खूबसूरती और तुम्हारी खूबसूरती दोनों में बराबर की टक्कर है। लगभग 12:30 बजे वे दोनों बाहर की तरफ निकल पड़े।
चपरासी की आवाज लगाते ही पायल माइली को लेकर डॉक्टर की केबिन के अंदर गई।
स्टेस्कोप से माइली को देखते हुए डॉक्टर ने कहा इसके सीने में कफ जमा हुआ है। आप इसका ब्लड टेस्ट भी करवा लीजिए और अभी अभी के लिए मैं कुछ दवाइयां लिख देता हूं। इस बच्ची को कुछ खिला कर जल्दी से वे दवाइयां पिला दीजिए।
ब्लड रिपोर्ट आते ही तुरंत मुझे दिखाइएगा। आगे का इलाज रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा।
रिपोर्ट 3 दिन बाद आनी थी। श्रीविद्या ने पायल और माइली को घर पहुंचा दिया।
उसने पायल को कड़े निर्देश दे दिए थे। जैसा कि डॉक्टर ने कह दिया था कि माइली को 1 मिनट के लिए भी अकेला ना छोड़े।
कोई भी परेशानी हो तो मुझे बताना या फोन कर लेना कहकर श्रीविद्या अपने घर में चली गई।
गाण्धारवी और हि्दयेश अगले ही दिन वापस लौट रहे थे। उन लोगों ने तय कर रखा था सुबह 6:00 बजे तैयार होकर वापस लौटेंगे। लेकिन रात करीब 1:00 बजे तब ही वे लोग सो पाए थे।
सुबह 6:00 बजे दोनों एक दूसरे को जगाते रहे। तुम उठो तुम उठो के चक्कर में दोनों को पुनः नींद आ गई और उनकी आंख खुली तब तक 11:00 बज चुके थे। दोनों एक दूसरे पर दोषारोपण करते करते तैयार होने लगे।
गाड़ी में बैठने तक एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे। गाड़ी में बैठते ही हि्दयेश ने सीट बेल्ट लगाई और गाड़ी चलाने लगा। फिर अचानक उसकी नजर गुस्से में बैठी गाण्धावी पर पड़ी। जिसने सीट बेल्ट नहीं लगाया था। हि्दयेश ने कहा गुस्से में हो बहुत अच्छी बात है। लेकिन सीट बेल्ट तो लगा, कहकर गाण्डारवी के सिर पर हल्की सी चपत मारी और पुनः गाड़ी चलाने लगा।