यह कविता गांव से शहर जाकर पढ़ने वाले बच्चों के उत्साह उत्पात और उत्थान को देखते हुए मनोरंजक परिदृश्य में लिखी गई है। कही कुछ यथार्थ बाते भी है फिर भी मैं कोई संदेश देने का दावा नहीं करता हूं। जो भी किसी कस्बे या शहर जाकर पढ़े बढ़े वो पढ़े और संबद्ध ह
गंडई के पास के जगलों मे एक समय शेर बहुत थे और वे पास के गावों में घुसकर जानवरों को मार डालते थे। एक गांव के चरवाहे के बच्चे ने अपने जानवरों की सुरक्षा का ऐसा इंतजाम किया कि शेर के हमले से उनके जानवर सुरक्षित रहे।