संबित पात्रा अपने घर पहुंचे तो नौकर ने कहा :- "मालिक वो टयूब लाइट फ्यूज....
" संबित (उसकी बात बीच में ही काटते हुए) :- "सबसे पहले तो मैं आपको नमस्कार कहना चाहूँगा, आप हमारे बहुत अच्छे नौकर हैं और अपनी जिम्मेवारी का बहुत ही अच्छी तरह से वहन कर रहे हैं ... कृपया मुझे पांच मिनट समय दीजिये अपनी बात रखने का, मैं आपकी हर बात का जवाब दूँगा" '... आप बात कर रहे हैं 'टयूब लाइट' फ्लॉप होने की ... क्या इससे पहले कोई फिल्म फ्लॉप नहीं हुई है क्या .... मोदी के दौर में 'टयूब लाइट' फ्लॉप हुई तो लगे सवाल करने .... आप तब कहाँ थे जब कांग्रेस के समय में 'मेरा नाम जोकर' को लोगों ने नकार दिया था ..'बोनी कपूर' की 'रूप की रानी चोरों का राजा' फ्लॉप हुई थी .... 'राम गोपाल वर्मा' की 'आग' बुझ गई थी ....'शाहरुख' की 'रा वन' पिट गई थी .... तब कभी आपने इटली वाली माता जी से पूछा था कि कांग्रेस के राज में इतनी बड़ी फ्लॉप हुई हैं? अरे उनकी तो खुद के देश के नाम की फिल्म इटालियन जॉब की रीमेक 'अब्बास मस्तान' की 'प्लेयर' पिट गई थी ...."
नौकर -- "साब वो मैं कह रहा था...." संबित-- "नहीं नहीं, मुझे बोलने दीजिये .... जब आप बोल रहे थे तो मैं बीच में नहीं बोल रहा था ... अब आप मुझे एक मिनट दें, मुझे अपनी बात पूरी करने दें ... अगर आज आप 'टयूब लाइट' के फ्लॉप होने की बात कर रहे हो तो आज़ादी के बाद से अब तक हर फ्लॉप फिल्म का हिसाब लिया जाएगा .... अरे आप किस मुँह से सिनेमा की बात करते हैं ... इमरजेंसी में आपने तो 'गुलजार' की 'आंधी' पर सिर्फ इसलिय रोक लगा दी थी क्योंकि 'सुचित्रा सेन' का गेटअप 'इंदिरा जी' से मिलता था और 'किशोर' के गाने आकाशवाणी पे इसलिए नही बजने दिए गए क्योंकि उन्होंने 'संजय गांधी' की पार्टी में गाने से मना कर दिया था और आज आपको 'ट्यूबलाइट' याद आ गई ...आ हा हा हा"
नौकर :- "साब मैं ये कह रहा था.. कि बेडरूम की ट्यूबलाइट फ्यूज हो गई है। पैसे दे दीजिए, नयी ले आता हूं।
चित्रा त्रिपाठी की वाल से