मशहूर बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना का 70 साल की आयु में निधन हो गया है. वह कैंसर से पीड़ित थे. गुरुवार को मुंबई के अस्पताल में उन्होंने जीवन को अलविदा कह दिया.
बॉलीवुड एक्टर और पंजाब के गुरदासपुर से सांसद विनोद खन्ना का इलाज कई दिनों से मुंबई के सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में चल रहा था. बीच में उनकी कुछ तस्वीरें भी सामने आईं, जिसमें वह बेहद कमजोर दिखाई पड़ रहे थे. इसके बाद उनके परिवार ने कहा कि वह इलाज से बेहतर हो रहे हैं. लेकिन गुरुवार को रूपहले पर्दे का यह गबरू अभिनेता दुनिया को अलविदा कह गया.
अपने फिल्मी करियर के दौरान विनोद खन्ना ने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 1968 में "मन का मीत" फिल्म से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले विनोद खन्ना करीब पांच दशकों तक बॉलीवुड में सक्रिय रहे. शुरुआत में विलेन की भूमिका निभाने वाले विनोद बाद में मुख्यधारा के मजबूत कद काठी वाले हीरो बन गए.
गुरदासपुर से बीजेपी के सांसद भी थे विनोद खन्ना
1980 के दशक में जब उनका करियर शिखर पर था, तभी उन्होंने सबको हैरान करते हुए अचानक फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी. वह ओशो के नाम से मशहूर आध्यात्मिक गुरु रजनीश के आश्रम में चले गए. पांच साल वहां रहने के बाद वह फिल्म इंडस्ट्री में लौटे लेकिन फिर उन्होंने बहुत ज्यादा काम नहीं किया. इसी दौरान विनोद खन्ना ने राजनीति में कदम रखा और पंजाब के गुरुदासपुर से वह कई बार बीजेपी के सांसद चुने गए.
रुपहले पर्दे पर वापसी करते हुए विनोद खन्ना ने सलमान खान के साथ दंबग में काम किया और 2015 में शाह रूखखान के साथ दिलवाले में. बीच बीच में फिल्मों में आकर गुम हो जाने वाले विनोद खन्ना इस बार पूरी तरह अंजान दुनिया में चले गए हैं, ऐसी दुनिया जहां से वह वापस नहीं लौटेंगे.
विनोद खन्ना ने कई हिट फिल्मों में काम किया है। वे न सिर्फ एक्टर के रोले में हिट थे बल्कि खलनायक के किरदार में भी खूब हिट थे। विनोद खन्ना ने 'मन का मीत 'मेरे अपने', 'कुर्बानी', 'पूरब और पश्चिम', 'रेशमा और शेरा', 'हाथ की सफाई', 'हेरा फेरी', 'मुकद्दर का सिकंदर' जैसी कई शानदार और हिट फिल्में की हैं।
कहा जाता है कि विनोद खन्ना जब स्टारडम की ऊंचाई पर थे तो आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक ओशो उनको चमक धमक की दुनिया से दूर आध्यात्म की दुनिया में ले गए।ओशो ने नामचीन बॉलीवुड स्टार विनोद खन्ना की सिर्फ जिंदगी ही नहीं बदली बल्कि उनके सुपर स्टार का तमगा भी छीन लिया। विनोद खन्ना को जानने वाले बताते हैं कि अगर विनोद खन्ना आचार्य रजनीश के चक्कर में न पड़ते तो शायद बॉलीवुड का इतिहास कुछ और ही होता।
एक समय था जब फैमिली को वक्त देने के लिए विनोद संडे को काम नहीं करते थे। ऐसा करने वाले वो शशि कपूर के बाद दूसरे एक्टर थे, लेकिन ओशो से प्रभावित होकर उन्होंने अपना पारिवारिक जीवन तबाह कर लिया था।
कुछ लोगों का मानना है कि अगर विनोद खन्ना फिल्म इंड्रस्टी में लगातार काम करते रहते तो शायद अमिताभ बच्चन इतनी आसानी से सुपर स्टार नहीं बन पाते। 70-80 के दशक में विनोद खन्ना का जादू दर्शकों के सर चढ़ कर बोल रहा था।