बर्रा जरौली फेस टू निवासी एक युवक ने लकड़ी के 32 बोर्ड पर गीता के 706 श्लोक लिख डाले।
संदीप दो साल से प्रधानमंत्री से मिलने को प्रयासरत था। बीते शनिवार को पीएमओ से फोन आया जिसमें उसे गीता के साथ बुलाया गया है। यह सुनकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मूलरूप से रायबरेली तिवारीपुर गांव निवासी 30 वर्षीय संदीप सोनी वर्तमान में बर्रा जरौली फेस-2 में मां सरस्वती, पत्नी पूजा व दो बच्चों के साथ रहते हैं। 2002 में पिता की मौत के बाद संदीप के कंधों पर दो बहनों की शादी के साथ पूरे परिवार के पालन पोषण का भार आ गया। संदीप ने हार न मानते हुए अखबार बांटने के साथ होटलों में साफ सफाई का काम कर बहनों की शादी करने के साथ 2008 में आईटीआई से कारपेंटर का कोर्स किया। आसपास के लोग उन्हें बढ़ई कहकर मजाक उड़ाने लगे तभी से संदीप ने सफल कारपेंटर बनकर कुछ अलग कर दिखाने की ठान ली। उन्होंने घर पर ही फर्नीचर की दुकान खोल दी। 2009 में संदीप पास के एक मंदिर में हो रहे गीता पाठ को सुना जहां से इनके मन में गीता लिखने की इच्छा ने जन्म ले लिया। घर आकर संदीप ने फर्नीचर बनाने से बचने वाली लकड़ी के टुकड़ों से हर रोज दो घंटे गीता के 18 अध्यायों के 706 श्लोकों के लिखना शुरू कर दिया। जिसके लिए उन्हें एक श्लोक लिखने में पांच दिन का समय लगा जिसके चलते 2013 में शुरू किया काम 42 माह बाद लकड़ी के बने 32 पेजों में पूरी गीता लिख दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक संदीप ने यह उन्हें भेंट करने की इच्छा जताई। इसके चलते नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह 26 जून 2014 को दिल्ली पहुंच गए। जहां पीएमओ कार्यालय में लेटर देकर वापस लौट आए। कोई जवाब न आने पर 2 अगस्त 2014 को आरटीआई डाली। जिसके जवाब में पीएम के निजी सचिव को लेटर भेजने को कहा गया। इसके बाद संदीप ने सचिव को भी लेटर भेजा। जहां से 20 फरवरी 2016 को संदीप के मोबाइल पर फोन आया कि उसे 26 फरवरी को गीता लेकर पीएमओ कार्यालय पहुंचना है। इसके बाद से संदीप समेत पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। संदीप ने गीता के श्लोकों को सनील के कपड़े में लपेटकर प्रधानमंत्री को भेंट करने की तैयारी शुरू कर द्््ी्््
ये #कानपुर के लिए गर्व के क्षण हैं