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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022

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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लिखा है :- "पराधीन सपनेहु सुख नाहीं" ! हमारा देश भारत भी पराधीनता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था ! तिरंगे झंडे के नीचे हमारे अमर शहीदों के बलिदान के फलस्वरूप १५ अगस्त सन १९४७ को हमको स्वतंत्रता प्राप्त हुई ! भारत ने नई सुबह में अंगड़ाई ली एवं अंग्रेज मुक्त भारत नवनिर्माण की ओर चल पड़ा ! भारत की स्वतंत्रता एवं स्वतंत्रता संग्राम में हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का बहुत बड़ा महत्व था ! हाथ में तिरंगे को लेकर के अनेकों बलिदानी शहीद हो गए ! हमारी शान , हमारा सम्मान , हमारा अभिमान हमारा तिरंगा है ! प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है कि उनके किसी भी क्रियाकलाप के द्वारा कभी भी तिरंगे का अपमान ना होने पाए ! यद्यपि हमारे देश की शान तिरंगा है परंतु राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा फहराने का अधिकार आम जनमानस को नहीं मिला था ! सरकारी कार्यालयों , शैक्षणिक संस्थानों आदि में ही ध्वजारोहण कर के राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते थे , जिससे आम जनमानस का संबंध इस तिरंगे से औपचारिक रूप से ही रह गया था ! संस्थागत रूप में ही तिरंगे को प्रत्येक भारतवासी देखता था और उसके मन में स्वयं के घर पर तिरंगा फहराने का उल्लास दब जाता था ! समय सदैव एक बराबर नहीं रहता धीरे धीरे स्वतंत्रता प्राप्त किए हमको ७५ वर्ष हो गया ! इन ७५ वर्षों में कभी भी एक आम नागरिक अपने घर के ऊपर तिरंगा फहराने का सपना पूरा नहीं कर सका परंतु वह समय भी आया और प्रत्येक भारतवासी स्वयं को गौरवान्वित मानने लगा , उसे ऐसा लगा जैसे उसका चिरकाल से लंबित अपूर्ण स्वप्न पूरा हो गया हो , क्योंकि आज प्रत्येक भारतवासी अपने घर पर तिरंगा फहराने के लिए स्वतंत्र है !*

*आज हमारे देश भारत को स्वतंत्र हुए ७५ वर्ष व्यतीत हो गए , इस उपलक्ष में आम जनमानस को अपने घर पर तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु "आजादी के अमृत महोत्सव" के रूप में एक अभियान चलाया गया जिसके अंतर्गत प्रत्येक भारतवासी अपने घर पर तिरंगा फहरा करके तिरंगे के साथ अपना लगाव , अपनी आत्मीयता का प्रदर्शन कर रहा है ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" देख रहा हूं कि आज प्रत्येक गांव एवं प्रत्येक शहर में तिरंगा यात्रा बड़े हर्षोल्लास के साथ निकाली जा रही है !  यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि पूरा का पूरा गांव , पूरा का पूरा शहर तिरंगामय दिख रहा है !  प्रत्येक घरों पर लहराते हुए तिरंगे को देख कर के देशभक्ति का एक अप्रतिम आभास हृदय में होता है ! आज के पहले इस तिरंगे झंडे के साथ हमारा संबंध औपचारिक एवं संस्थागत रूप में ही था परंतु आज आजादी के ७५ वर्ष के अंतर्गत एक राष्ट्र के रूप में झंडे को सामूहिक रूप से घर पर लाना ना केवल तिरंगे के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक है वरन यह राष्ट्र निर्माण में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है ! आज जिस प्रकार हमारे देश के कई क्षेत्रों में कुछ लोगों के द्वारा देश को तोड़ने का षडयंत्र चलाया जा रहा है उस को ध्यान में रखते हुए लोगों के हृदय में देशभक्ति की भावना जागृत करने एवं हमारे अभिमान , सम्मान के प्रतीक तिरंगे झंडे के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए "हर घर तिरंगा अभियान" एक महत्वपूर्ण पहल कही जा सकती है ! प्रत्येक भारतवासी को शासन के निर्देशानुसार अपने घर पर सम्मान के साथ तिरंगा फहराना चाहिए और तिरंगे के सम्मान के लिए सदैव मर मिटने के लिए तैयार रहना चाहिए ! तिरंगा हमारी शान है आज "हर घर तिरंगा" अभियान के अंतर्गत एक - एक भारतवासी को अपने घर पर तिरंगा लगाने का अधिकार प्रदान करके भारत सरकार ने सबके हृदय की भावना को समझा एवं सब को गौरवान्वित महसूस करने का एक अवसर प्रदान किया इसके लिए कोटिश: आभार !*

*"आजादी का अमृत महोत्सव" "तिरंगा यात्रा" एवं "हर घर तिरंगा" के अभियान में सम्मिलित प्रत्येक भारतवासी का ह्रदय गदगद हो रहा है ! अपने देश के अभिमान , सम्मान , पहचान तिरंगे झंडे के लिए प्रत्येक भारतवासी के हृदय में एक विशेष स्थान है !*
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रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
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हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

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जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

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बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
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*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

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गुण एवं दोष

26 मई 2022
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*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

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तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
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*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

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मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
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*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

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गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
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*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

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श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
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*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

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धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
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*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

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मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
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*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

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