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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023

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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा महत्व है प्रत्येक पर्व/त्यौहार के पीछे कोई ना कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी है ! इन्हीं त्योहारों में मानव जीवन को रक्षित करने का पर्व रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है !  आचार्य के द्वारा रक्षा सूत्र का पूजन करके अपने यजमान की रक्षा के लिए उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधा जाता है ! यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम के लिए भी जाना जाता है ! जहां बहिनें अपने भाई की लंबी आयु के लिए उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधती हैं ! यह पर्व बड़े ही धूमधाम से भारतवर्ष में मनाया जाता है ! कोई भी पर्व हो , कोई भी त्यौहार हो , कोई भी पूजन हो या जीवन का कोई भी कार्य हो उसे करने के पहले उसके विषय में जान लेना परम आवश्यक होता है ! किस नियम के अंतर्गत कौन सा कार्य करना है इसको जाने बिना वह कार्य करने से परिणाम सुखद नहीं हो सकता ! हमारे पर्व / त्यौहार सब नियमों में बंधे हैं इन विशेष नियमों को जाने बिना इन त्योहारों को मनाना या कोई भी पूजन करना सार्थक फल नहीं प्रदान कर सकता ! रक्षाबंधन में भद्रा काल का उपस्थित होना और उसके विषय में जानना तथा उसका त्याग करना कितना आवश्यक है इसको जानने के लिए हमें अपने पौराणिक ग्रन्थों का अवलोकन करने की आवश्यकता है , परंतु लोग सुनी सुनाई बातों पर अधिक ध्यान देते हैं क्योंकि उनके पास आज समय नहीं है कि अपने ग्रन्थों का अवलोकन करें ! यही कारण है कि आज समाज में अनेक प्रकार की भ्रांतियां फैल गई हैं जो कि कदापि उचित नहीं कही जा सकती ! साधारण लोगों की बात ही क्या की जाय अनेक विद्वान एवं पुरोहित भी भ्रम की स्थित उत्पन्न करते देखे जा रहे हैं !*

*आज रक्षाबंधन का पावन पर्व है परंतु आज हम भ्रमित दिखाई पड़ रही हैं ! हमारे भ्रमित होने का एक विशेष कारण है कि हमने अपनी सनातन काल गणना को भुला दिया है ! आज हम अंग्रेजी तारीख के गुलाम हो गए हैं ! हमने भरणी - भद्रा , पूर्णिमा - अमावस्या , परिवा - अष्टमी , ग्राह्य - त्याज्य आदि को जानना छोड़ दिया है ! आज हमें मात्र अंग्रेजी तारीख याद रह गई है !  रक्षाबंधन के विषय में अनेक विद्वानों का तर्क है कि :- उदयातिथि की पूर्णिमा पूरे दिन मानी जाएगी इसलिए ३१ तारीख को पूरे दिन रक्षाबंधन मनाया जा सकता है ! ऐसे सभी विद्वानों से मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इतना ही कहना चाहूंगा की कोई भी पर्व या त्योहार मनाने के लिए सूर्योदय व्यापिनी पूर्णिमा का मान कम से कम तीन मुहूर्त होना चाहिए ! उदयातिथि की पूर्णिमा मात्र स्नान ध्यान एवं दान के लिए ही मान्य है !  भद्रा काल में रक्षाबंधन एवं होलिका दहन कदापि नहीं करना चाहिए कुछ लोग यह भी कहते हैं की रात्रि में रक्षाबंधन नहीं होना चाहिए उनको हमारे निर्णय सिंधु , धर्म सिंधु , व्रतराज आदि ग्रन्थों का अवलोकन करना चाहिए , जहां पर स्पष्ट लिखा है की रात्रि में रक्षाबंधन का निषेध नहीं है यदि भद्र रात्र तक है और दूसरे दिन पूर्णिमा तीन मुहूर्त नहीं मिल रही है तो रक्षाबंधन रात्रि में ही कर लेना चाहिए ! यह सारी स्थिति आज बन रही है इसलिए आज का रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति के उपरान्त रात्रि ८: ५७ से प्रारंभ होगा ! अपनी अपनी सुविधा के अनुसार सभी रक्षा सूत्र का पूजन करके अपनी कलाई पर रक्षा सूत्र का बन्धन करें ! यद्यपि कल प्रातः काल ७:४६  तक पूर्णिमा है परंतु यह पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम मिल रही है इसलिए कल ३१ तारीख को रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए ! यही हमारे शास्त्रों के वचन हैं ! मानना या ना मानना अपने अधिकार में है ! अपने शास्त्रकारों के निर्णय को न मानने के कारण ही आज हम इस स्थिति में पहुंच गए हैं आगे कहां जाएंगे यह कह नहीं सकते !*

*रक्षाबंधन का पर्व बहुत ही पावन एवं पवित्र है अतः इसको शास्त्र नियम के विरुद्ध कदापि नहीं बाँधना चाहिए ! इसलिए सभी बहनों से निवेदन है कि आज रात्रि में ही रक्षाबंधन का पावन पर्व मना कर अपने भाई की कलाइयों में रक्षा सूत्र बाँधें !*
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रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
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हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

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जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

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बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
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*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

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गुण एवं दोष

26 मई 2022
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*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

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तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
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*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

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मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
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*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

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गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
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*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

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श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
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*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

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धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
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*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

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मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
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*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

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