shabd-logo

तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022

108 बार देखा गया 108
*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया !  भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्तित्व ना होता ! जिस समय भारत में देश निर्गुण निराकार को लेकर अनेकों प्रकार के मत चल रहे थे ,  मुगलों के द्वारा हिंदू मंदिरों एवं मूर्तियों को ध्वस्त किया जा रहा था , उसी समय एक ऐसे संत का उदय हुआ जिसने घर-घर में भगवान का आदर्श प्रस्तुत किया ! उन महान संत , महान कवि ,  समाज सुधारक , एवं सगुणोपासक तथा  भगवान के परमभक्त को तुलसीदास के नाम से जाना गया ! जिस समय समाज में अनेक प्रकार के आडंबर फैले हुए थे ,  समाज आदर्श विहीन हो गया था , उस समय अपनी रचनाओं के द्वारा अनेक पाखंड एवं आडंबरों को ध्वस्त करते हुए घर-घर में आदर्श स्थापित करने का कार्य कविकुल शिरोमणि प्रातःस्मरणीय परमपूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से किया ! सनातन धर्म में अनेक ग्रंथ हैं  जिनका लाभ समस्त विश्व ले रहा परंतु इन ग्रंथों का मुकुट श्रीरामचरितमानस को ही कहा गया है ! गोस्वामी जी की कालजयी रचना श्रीरामचरितमानस शुद्ध अवधी भाषा में होने के कारण आज घर-घर में पूजित है ! रामचरितमानस के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी ने समाज की प्रथम इकाई परिवार के आदर्शों का विधिवत चित्रण किया !  परिवार में किसका किसके प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए यह रामचरितमानस में स्पष्ट देखने को मिलता है ! सनातन धर्म को गोस्वामी तुलसीदास जी ने जो दिया वह शायद कोई भी नहीं दे पाया !  आज परम संत गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर सभी सनातन प्रेमी गदगद होकर उनके द्वारा समाज को दिए गए आदर्शों को स्थापित करने का संकल्प लेते हैं ! यदि तुलसीदास जी की रामचरितमानस ना होती तो शायद समाज में भगवान श्री राम स्थापित ही ना हो पाते ! अयोध्या के राजकुमार से राजा बने भगवान श्रीराम को यदि जन-जन का राम किसी ने बनाया तो वह थे गोस्वामी तुलसीदास जी ! सनातन धर्म के प्रति किए गए इनके कार्यों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता !*


*आज चार दशक बीत जाने के बाद भी  तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस सभी ग्रंथों में सर्वोपरि बनी हुई है ! कहने को तो श्री रामायण बहुत ही सहज एवं सरल शब्दों में लिखी गई है परंतु मानस की एक-एक चौपाई का इतना गूढ़ अर्थ है कि उसे समझने के लिए विश्व भर के विद्वान उस पर शोध कार्य कर रहे हैं ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" जहां तक समझ पाया हूं उसके अनुसार हिंदी में कोई काव्‍य कृति इतनी लोकप्रिय नहीं हुई, जितना कि तुलसीदासजी द्वारा रचित 'रामचरितमानस' ! आज भी रामचरितमानस श्‍वांस की तरह प्रत्‍येक हिंदू परिवार का अभिन्‍न अंग है ! विशुद्ध अवधी में की गई कविताई घर-घर में बोली जाती है , रामचरितमास का पाठ होता है ! साहित्‍य में तो बहुत कुछ सृजित किया जाता रहा है, लेकिन बहुत कम रचनायें इस तरह बरसों-बरस भारतीय मनीषा में स्‍थायित्‍व पाती हैं , जैसाकि तुलसीदास जी के साथ दिखता है ! तुलसीदास जी एवं उनकी मानस आज भी बुद्धिजीवियों और चिंतकों के प्रिय हैं !  तुलसीदास जी वास्‍तव में सिर्फ रचनाकार नहीं थे बल्कि वे एक संत और दार्शनिक भी थे , जो व्‍यापक समाज की हित चिंता से प्रेरित थे ! तुलसीदास जी अपने आप में अनूठे थे ! न तो उनके पहले और न ही उनके बाद उस कद और ऊर्जा वाला कोई दूसरा व्‍यक्ति हुआ !  तुलसीदास और उनकी कृतियाँ इस बात का यथार्थ प्रमाण है कि समय की गति में वही बच पाता है , जिसकी जड़ें आम जनमानस में गहरी होती हैं ! जो जन-जन का रचनाकार होता है ! तुलसीदास जी ऐसे ही थे ! तुलसीदास जी के द्वारा अपनी कृतियों के माध्यम से समाज को जो दिशा एवं दशा दिखाई गई उसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता !  सनातन धर्म ऐसे महान व्यक्तित्व , परम भक्त तथा समाज को दिशा प्रदान करने वाले महान संत तुलसीदास जी का सदैव ऋणी रहेगा ! उन्होंने समाज में शासकों के द्वारा प्रजा को दिए जा रहे कष्ट का विरोध करते हुए उन शासकों को स्पष्ट चेतावनी देते हुए लिख दिया :- जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी ! सो नृप अवसि नरक अधिकारी !! इस प्रकार निर्भीक होकर राजा के विषय में लिखकर उन्होंने राजा का आदर्श तो प्रस्तुत किया ही साथ ही समाज में अनेक पाखंडी गुरुओं को भी चेतावनी देते हुए लिख दिया था :- हरइ शिष्य धन शोक न हरई ! सो  गुरू घोर नरक महुं परई !! कहने का तात्पर्य है कि तुलसीदास जी ने समाज के किसी भी अंग को नहीं छोड़ा जिसके आदर्श प्रस्तुत करने के विषय में उन्होंने सावधान ना किया हो ! ऐसा व्यक्तित्व बार-बार इस धरा धाम पर नहीं आता ! ऐसे महान व्यक्तित्व को शत-शत नमन एवं दंडवत प्रणाम !*

*तुलसीदास जी महाराज जन-जन के हृदय में बसने वाले भगवान श्री राम को जन जन तक पहुंचाने का कार्य करने वाले महान संत थे ! आज यदि घर घर में रामचरितमानस का पाठ करके लोग भगवान श्रीराम को भगवान तथा उनके आदर्शों को आदर्श मान रहे हैं तो उसका कारण गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज है ! लेखनी में इतनी क्षमता नहीं है कि गोस्वामी जी के चरित्रों एवं उनके महान कार्यों का वर्णन कर सके ! अतः जय जय सियाराम !*article-imagearticle-image
20
रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
0.0
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
1

चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
3
0
0

*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

2

मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

3

जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

4

बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
1
1
2

*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

5

गुण एवं दोष

26 मई 2022
0
0
0

*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

6

तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
1
0
0

*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

7

मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
4
0
1

*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

8

सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
2
1
0

*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

9

हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
2
0
0

*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

10

गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

11

वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

12

वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

13

प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
0
0
0

*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

14

श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
0
0
0

*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

15

मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
0
0
0

*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

16

धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
0
0
0

*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

17

रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
1
0
0

*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

18

मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
0
0
0

*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

19

भगवान शिव एवं नशे का व्यसन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
1
1
1

*पवित्र श्रावण मास में चारों ओर भगवान शिव की आराधना एवं जयघोष सुनाई पड़ रहा हैं !  भगवान शिव कल्याणस्वरूप , सर्वव्यापी , सर्वेश्वर , सर्वरूप ,  सर्वज्ञ एवं कल्याणमय हैं ! कल्याणकारी भी इतने कि संसार क

20

बिल्वपत्र की महिमा - आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
0
0
0

*संपूर्ण भारत देश में इस समय पवित्र श्रावण मास के अवसर पर हर हर महादेव / जय शिव शंभू का जयकारा गूंज रहा है ! भक्तजन अपनी मनोकामना के अनुसार प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक / रुद्राभिषेक कर रहे हैं ! भग

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए