shabd-logo

जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022

83 बार देखा गया 83


article-image

*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भारी चुनौतियां हैं | अनगिनत संघर्ष हैं | चुनौतियों और संघर्षों से भरे दुर्गम जीवन पथ पर चलकर सफलता एवं समृद्धि अर्जित करना और साथ ही मन की शांति भी प्राप्त करना सहज कार्य नहीं है | सफलता तो मिल सकती है परंतु सफलता के साथ मन की शांति भी प्राप्त हो जाए यह आवश्यक नहीं है | जीवन में समग्र सफलता एवं शांति का समन्वय केवल आध्यात्मिक विचारों एवं चिंतन से ही संभव हो सकता है | यही हमारे पूर्वजों ने किया है ! हमारे पूर्वज आध्यात्मिक चिंतन में अपना समय अधिक से अधिक व्यतीत करते थे ,  क्योंकि बिना अध्यात्म के जीवन में शांति का मिलना असंभव है | जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने का सबसे सफल साधन आध्यात्म ही रहा है |  आध्यात्मिक चिंतन के बिना जीवन में शांति की कल्पना करना भी व्यर्थ है | मन को शांत करने के लिए सबसे सरल साधन संत - महापुरुषों के सद्विचारों का अध्ययन एवं आध्यात्मिक तथा धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय ही है , क्योंकि संसार के अनेक झंझावातों से बचने एवं उनसे निपटने का मार्ग इन ग्रंथों में ही मिलता है | लगभग सभी विषय हमारे ग्रंथों में मिलते हैं जिन का अध्ययन करके मनुष्य विषम से विषम परिस्थितियों से भी स्वयं को बाहर निकाल ही लाता है और उसके मन को शांति जी प्राप्त हो जाती है |*


*आज की भागदौड़ भरे जीवन में अनेकों संघर्षों के बीच मनुष्य का चित्त सदैव व्यग्र ही बना रहता है | एक पल के लिए भी उस को शांति नहीं मिल पा रही है | लोग भौतिक क्षेत्र में सफल तो हो रहे हैं परंतु यदि देखा जाय तो उनको शांति का अनुभव कदापि नहीं हो पाता | अनेक सफलताएं अर्जित करने के बाद भी मनुष्य अंतर्मन के द्वन्दों से स्वयं को घिरा पाता है | मेरा "आचार्य अर्जुन तिवारी" का मानना है की इन मानसिक द्वंदों से बचने का एकमात्र साधन है समुचित मार्गदर्शन , और वह मार्गदर्शन हमें आध्यात्मिक विचारों एवं चिंतन से ही प्राप्त हो सकता है | जीवन में लौकिक सफलता एवं समृद्धि तथा मन की शांति प्राप्त होती रहे और हमारा जीवन पूर्णतय: सार्थक बने इसके लिए हमें समुचित मार्गदर्शन हमारे आध्यात्मिक एवं धार्मिक ग्रंथ ही प्रदान कर सकते हैं ,  क्योंकि हमारे आध्यात्मिक वांग्मय में वेद , उपनिषद , पुराण , गीता , रामायण सहित ऐसे अनेक ग्रंथरत्न हैं जो सफल एवं शांतिपूर्ण जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्र प्रदान करते हैं | परंतु आज हमारी अशांति का एक ही कारण है कि हमने अपने धर्मग्रंथों / आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना ही बंद कर दिया है , और जीवन में अनेक ताप - संतापों से उलझ कर रह गए हैं |  उलझने सबके जीवन में होती हैं परंतु इन उलझनों से बाहर निकलने का एकमात्र मार्ग है ग्रंथों का अध्ययन क्योंकि हमें वहां समुचित मार्गदर्शन प्राप्त होता है |*


*यदि जीवन के इन द्वन्दों से बचना है ,  मन में एक स्थाई शांति की स्थापना करनी है तो अपने ग्रंथों का अध्ययन करने के अतिरिक्त और कोई सरल मार्ग शायद कोई नहीं है |*

18
रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
0.0
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
1

चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
3
0
0

*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

2

मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

3

जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

4

बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
1
1
2

*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

5

गुण एवं दोष

26 मई 2022
0
0
0

*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

6

तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
1
0
0

*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

7

मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
4
0
1

*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

8

सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
2
1
0

*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

9

हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
2
0
0

*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

10

गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

11

वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

12

वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

13

प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
0
0
0

*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

14

श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
0
0
0

*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

15

मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
0
0
0

*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

16

धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
0
0
0

*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

17

रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
1
0
0

*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

18

मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
0
0
0

*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए