*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है , परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भारी चुनौतियां हैं | अनगिनत संघर्ष हैं | चुनौतियों और संघर्षों से भरे दुर्गम जीवन पथ पर चलकर सफलता एवं समृद्धि अर्जित करना और साथ ही मन की शांति भी प्राप्त करना सहज कार्य नहीं है | सफलता तो मिल सकती है परंतु सफलता के साथ मन की शांति भी प्राप्त हो जाए यह आवश्यक नहीं है | जीवन में समग्र सफलता एवं शांति का समन्वय केवल आध्यात्मिक विचारों एवं चिंतन से ही संभव हो सकता है | यही हमारे पूर्वजों ने किया है ! हमारे पूर्वज आध्यात्मिक चिंतन में अपना समय अधिक से अधिक व्यतीत करते थे , क्योंकि बिना अध्यात्म के जीवन में शांति का मिलना असंभव है | जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने का सबसे सफल साधन आध्यात्म ही रहा है | आध्यात्मिक चिंतन के बिना जीवन में शांति की कल्पना करना भी व्यर्थ है | मन को शांत करने के लिए सबसे सरल साधन संत - महापुरुषों के सद्विचारों का अध्ययन एवं आध्यात्मिक तथा धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय ही है , क्योंकि संसार के अनेक झंझावातों से बचने एवं उनसे निपटने का मार्ग इन ग्रंथों में ही मिलता है | लगभग सभी विषय हमारे ग्रंथों में मिलते हैं जिन का अध्ययन करके मनुष्य विषम से विषम परिस्थितियों से भी स्वयं को बाहर निकाल ही लाता है और उसके मन को शांति जी प्राप्त हो जाती है |*
*आज की भागदौड़ भरे जीवन में अनेकों संघर्षों के बीच मनुष्य का चित्त सदैव व्यग्र ही बना रहता है | एक पल के लिए भी उस को शांति नहीं मिल पा रही है | लोग भौतिक क्षेत्र में सफल तो हो रहे हैं परंतु यदि देखा जाय तो उनको शांति का अनुभव कदापि नहीं हो पाता | अनेक सफलताएं अर्जित करने के बाद भी मनुष्य अंतर्मन के द्वन्दों से स्वयं को घिरा पाता है | मेरा "आचार्य अर्जुन तिवारी" का मानना है की इन मानसिक द्वंदों से बचने का एकमात्र साधन है समुचित मार्गदर्शन , और वह मार्गदर्शन हमें आध्यात्मिक विचारों एवं चिंतन से ही प्राप्त हो सकता है | जीवन में लौकिक सफलता एवं समृद्धि तथा मन की शांति प्राप्त होती रहे और हमारा जीवन पूर्णतय: सार्थक बने इसके लिए हमें समुचित मार्गदर्शन हमारे आध्यात्मिक एवं धार्मिक ग्रंथ ही प्रदान कर सकते हैं , क्योंकि हमारे आध्यात्मिक वांग्मय में वेद , उपनिषद , पुराण , गीता , रामायण सहित ऐसे अनेक ग्रंथरत्न हैं जो सफल एवं शांतिपूर्ण जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्र प्रदान करते हैं | परंतु आज हमारी अशांति का एक ही कारण है कि हमने अपने धर्मग्रंथों / आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना ही बंद कर दिया है , और जीवन में अनेक ताप - संतापों से उलझ कर रह गए हैं | उलझने सबके जीवन में होती हैं परंतु इन उलझनों से बाहर निकलने का एकमात्र मार्ग है ग्रंथों का अध्ययन क्योंकि हमें वहां समुचित मार्गदर्शन प्राप्त होता है |*
*यदि जीवन के इन द्वन्दों से बचना है , मन में एक स्थाई शांति की स्थापना करनी है तो अपने ग्रंथों का अध्ययन करने के अतिरिक्त और कोई सरल मार्ग शायद कोई नहीं है |*