*संपूर्ण भारत देश में इस समय पवित्र श्रावण मास के अवसर पर हर हर महादेव / जय शिव शंभू का जयकारा गूंज रहा है ! भक्तजन अपनी मनोकामना के अनुसार प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक / रुद्राभिषेक कर रहे हैं ! भगवान शिव का रुद्राभिषेक एवं उनका पूजन सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला कहा गया है ! भगवान शिव को परमप्रिय सामग्रियों में सबसे प्रमुख सामग्री है बेलपत्र ! बेलपत्र के विषय में लिखा गया है कि भगवान शिव को बेलपत्र समर्पित करने से तीन जन्मों के पापों का संहीर हो जाता है ! एक बेलपत्र चढ़ाने पर करोड़ों कन्यादान का फल मिल जाता हैं ! किस प्रकार का और कैसा बेलपत्र भगवान शिव को समर्पित करना चाहिए इसके विषय में बताया गया है कि "त्रिशाखै: बिल्वपत्रैश्च अछिद्रै: कोमलै: शुभम् ! अर्थात्: - तीन पत्तियों वाला , कोमल और जिसमें कोई छिद्र न हो , कटा फटा ना हो ऐसा बेलपत्र भगवान शिव के लिए शुभ कहा गया है ! बिल्व पत्र के दर्शन एवं स्पर्श करने मात्र से सभी प्रकार के पापों का शमन हो जाता है ! अखंड बिलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने वाला सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है ! दस हजार अश्वदान करने का , करोड़ों अश्वमेध यज्ञ करने का , एक करोड़ सवत्सा गोदान करने का जो फल मिलता है वह फल एक बिलपत्र भगवान शिव को समर्पित करने से मिल जाता है ! यह बेलपत्र जिस वृक्ष में होता है उसके लिए हमारे पुराण बताते हैं कि संसार के जितने भी प्रसिद्ध तीर्थ हैं वह सब तीर्थ बिल्व के मूल में निवास करते हैं ! जो भी पुण्यात्मा बिल्ववृक्ष के मूल में लिंगरुपी महादेव की पूजा करता है वह निश्चित रूप से शिव को प्राप्त कर लेता है ! जो प्राणी बिल्ववृक्ष के मूल में शिव जी के मस्तक पर अभिषेक करता है वह समस्त तीर्थो में स्नान करने का फल प्राप्त कर लेता है और पृथ्वी पर पवित्र हो जाता है ! बिल्ववृक्ष के मूल में बने हुए उत्तम थाले को जल से हमेशा परिपूर्ण रखना चाहिए क्योंकि उस थाले को जल से परिपूर्ण देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं ! बिल्वपत्र साक्षात महादेव का स्वरूप कहा गया है ! बिल्वपत्र के महत्व इसके माहात्म्य एवं रहस्य को जान लेना परम आवश्यक है !*
*आज सोशल मीडिया पर अनेको विद्वान भगवान शिव के रुद्राभिषेक , उनके निर्माल्य , नैवेद्यभक्षण एवं बिल्व पत्र को लेकर अनेकों प्रकार की दिशा निर्देश दे रहे हैं , जिससे आम जनमानस भ्रमित हो रहा है ! क्या करें क्या ना करें ? इस उहापोह में लोग देखे जा सकते हैं ! कुछ तथाकथित विद्वान पता नहीं कहां किस ग्रंथ से ऐसे ऐसे विषय लेकर आ जाते हैं जिसे सुनकर आज लोग भ्रमित हो रहे हैं ! कुछ लोग तो यह भी कहते हुए एक सुने जा रहे हैं कि कटे फटे बिल्व पत्र भी भगवान शिव को समर्पित किया जा सकता हैं जबकि ऐसा नहीं हैं ! स्पष्ट लिखा है - "अखण्डै: बल्वपत्रैश्च" ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इतना ही कहना चाहता हूं कि यदि रुद्राभिषेक की संपूर्ण सामग्री ना इकट्ठा हो सके तो मात्र बिल्वपत्र से ही भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है ! बिल्ववृक्ष की तो बात ही क्या है ! जो भी मनुष्य गंध पुष्पादि से बिल्ववृक्ष की जड़ का पूजन करता है वह शिवलोक को प्राप्त करता है और उसकी संतान और सुख दोनों में वृद्धि होती है ! जो भी मनुष्य इसकी जड़ में दीपमालाओं का दान करता है वह तत्व ज्ञानी होकर के भगवान शिव को प्राप्त हो जाता है ! बिल्ववृक्ष के नीचे किसी एक शिवभक्त को यदि भोजन कर दिया जाय तो भोजन कराने वाले को करोड़ों मनुष्यों के भोजन कराने का पुण्य प्राप्त हो जाता है ! बिल्ववृक्ष कोई साधारण वृक्ष नहीं है इसका फल , पत्तियां एवं शाखाएं सब कुछ शिवमय हैं उनके विषय में जानने के लिए हमें अपने सब ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए क्योंकि सब कुछ सोशल मीडिया एवं गूगल से नहीं प्राप्त किया जा सकता है ! परंतु आज हम अपने ग्रन्थों को अलमारी से उतारना ही नहीं चाहते हैं ! जो ग्रंथ आज लोगों को पढ़ने चाहिए उसे अलमारी में बैठकर प्रेम से चूहे पढ रहे हैं ! उसके बाद हम कहते हैं कि हम भ्रमित हैं ! अगर आज भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है तो उसका कारण यही है कि हमने अपने ग्रन्थों का अवलोकन करना बंद कर दिया है ! किसी के द्वारा दिए गए वक्तव्य की पुष्टि हमारे ग्रंथ ही कर सकते हैं अतः ग्रन्थों का अवलोकन करते रहना चाहिए !*
*बिल्ववृक्ष साक्षात महादेव का स्वरूप है !:देवताओं के द्वारा भी इस पवित्र वृक्ष की वंदना की गई है !:बिल्ववृक्ष की महिमा को जान पाना साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं है !*