shabd-logo

बिल्वपत्र की महिमा - आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024

8 बार देखा गया 8

*संपूर्ण भारत देश में इस समय पवित्र श्रावण मास के अवसर पर हर हर महादेव / जय शिव शंभू का जयकारा गूंज रहा है ! भक्तजन अपनी मनोकामना के अनुसार प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक / रुद्राभिषेक कर रहे हैं ! भगवान शिव का रुद्राभिषेक एवं उनका पूजन सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला कहा गया है ! भगवान शिव को परमप्रिय सामग्रियों में सबसे प्रमुख सामग्री है बेलपत्र ! बेलपत्र के विषय में लिखा गया है कि भगवान शिव को बेलपत्र समर्पित करने से तीन जन्मों के पापों का संहीर हो जाता है ! एक बेलपत्र चढ़ाने पर करोड़ों कन्यादान का फल मिल जाता हैं ! किस प्रकार का और कैसा बेलपत्र भगवान शिव को समर्पित करना चाहिए इसके विषय में बताया गया है कि "त्रिशाखै: बिल्वपत्रैश्च अछिद्रै: कोमलै: शुभम् ! अर्थात्: - तीन पत्तियों वाला , कोमल और जिसमें कोई छिद्र न हो , कटा फटा ना हो ऐसा बेलपत्र भगवान शिव के लिए शुभ कहा गया है !  बिल्व पत्र के दर्शन एवं स्पर्श करने मात्र से सभी प्रकार के पापों का शमन हो जाता है ! अखंड बिलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने वाला सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है ! दस हजार अश्वदान करने का , करोड़ों अश्वमेध यज्ञ करने का , एक करोड़ सवत्सा गोदान करने का जो फल मिलता है वह फल एक बिलपत्र भगवान शिव को समर्पित करने से मिल जाता है ! यह बेलपत्र जिस वृक्ष में होता है उसके लिए हमारे पुराण बताते हैं कि संसार के जितने भी प्रसिद्ध तीर्थ हैं वह सब तीर्थ बिल्व के मूल में निवास करते हैं ! जो भी पुण्यात्मा बिल्ववृक्ष के मूल में लिंगरुपी महादेव की पूजा करता है वह निश्चित रूप से शिव को प्राप्त कर लेता है ! जो प्राणी बिल्ववृक्ष के मूल में शिव जी के मस्तक पर अभिषेक करता है वह समस्त तीर्थो में स्नान करने का फल प्राप्त कर लेता है और पृथ्वी पर पवित्र हो जाता है ! बिल्ववृक्ष के मूल में बने हुए उत्तम थाले को जल से हमेशा परिपूर्ण रखना चाहिए क्योंकि उस थाले को जल से परिपूर्ण देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं ! बिल्वपत्र साक्षात महादेव का स्वरूप कहा गया है ! बिल्वपत्र के महत्व इसके माहात्म्य एवं रहस्य को जान लेना परम आवश्यक है !*


*आज सोशल मीडिया पर अनेको विद्वान भगवान शिव के रुद्राभिषेक , उनके निर्माल्य , नैवेद्यभक्षण एवं बिल्व पत्र को लेकर अनेकों प्रकार की दिशा निर्देश दे रहे हैं , जिससे आम जनमानस भ्रमित हो रहा है ! क्या करें क्या ना करें ? इस उहापोह में लोग देखे जा सकते हैं ! कुछ तथाकथित विद्वान पता नहीं कहां किस ग्रंथ से ऐसे ऐसे विषय लेकर आ जाते हैं जिसे सुनकर आज लोग भ्रमित हो रहे हैं ! कुछ लोग तो यह भी कहते हुए एक सुने जा रहे हैं कि कटे फटे बिल्व पत्र भी भगवान शिव को समर्पित किया जा सकता हैं जबकि ऐसा नहीं हैं ! स्पष्ट लिखा है - "अखण्डै: बल्वपत्रैश्च" !  मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इतना ही कहना चाहता हूं कि यदि रुद्राभिषेक की संपूर्ण सामग्री ना इकट्ठा हो सके तो मात्र बिल्वपत्र से ही भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है ! बिल्ववृक्ष की तो बात ही क्या है ! जो भी मनुष्य गंध पुष्पादि से बिल्ववृक्ष की जड़ का पूजन करता है वह शिवलोक को प्राप्त करता है और उसकी संतान और सुख दोनों में वृद्धि होती है ! जो भी मनुष्य इसकी जड़ में दीपमालाओं का दान करता है वह तत्व ज्ञानी होकर के भगवान शिव को प्राप्त हो जाता है ! बिल्ववृक्ष के नीचे किसी एक शिवभक्त को यदि भोजन कर दिया जाय तो भोजन कराने वाले को करोड़ों मनुष्यों के भोजन कराने का पुण्य प्राप्त हो जाता है ! बिल्ववृक्ष कोई साधारण वृक्ष नहीं है इसका फल ,  पत्तियां एवं शाखाएं सब कुछ शिवमय हैं उनके विषय में जानने के लिए हमें अपने सब ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए क्योंकि सब कुछ सोशल मीडिया एवं गूगल से नहीं प्राप्त किया जा सकता है ! परंतु आज हम अपने ग्रन्थों को अलमारी से उतारना ही नहीं चाहते हैं ! जो ग्रंथ आज लोगों को पढ़ने चाहिए उसे अलमारी में बैठकर प्रेम से चूहे पढ रहे हैं ! उसके बाद हम कहते हैं कि हम भ्रमित हैं ! अगर आज भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है तो उसका कारण यही है कि हमने अपने ग्रन्थों का अवलोकन करना बंद कर दिया है ! किसी के द्वारा दिए गए वक्तव्य की पुष्टि हमारे ग्रंथ ही कर सकते हैं अतः ग्रन्थों का अवलोकन करते रहना चाहिए !*


*बिल्ववृक्ष साक्षात महादेव का स्वरूप है !:देवताओं के द्वारा भी इस पवित्र वृक्ष की वंदना की गई है !:बिल्ववृक्ष की महिमा को जान पाना साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं है !*

article-image


20
रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
0.0
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
1

चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
3
0
0

*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

2

मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

3

जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

4

बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
1
1
2

*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

5

गुण एवं दोष

26 मई 2022
0
0
0

*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

6

तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
1
0
0

*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

7

मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
4
0
1

*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

8

सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
2
1
0

*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

9

हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
2
0
0

*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

10

गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

11

वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

12

वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

13

प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
0
0
0

*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

14

श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
0
0
0

*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

15

मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
0
0
0

*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

16

धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
0
0
0

*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

17

रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
1
0
0

*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

18

मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
0
0
0

*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

19

भगवान शिव एवं नशे का व्यसन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
1
1
1

*पवित्र श्रावण मास में चारों ओर भगवान शिव की आराधना एवं जयघोष सुनाई पड़ रहा हैं !  भगवान शिव कल्याणस्वरूप , सर्वव्यापी , सर्वेश्वर , सर्वरूप ,  सर्वज्ञ एवं कल्याणमय हैं ! कल्याणकारी भी इतने कि संसार क

20

बिल्वपत्र की महिमा - आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
0
0
0

*संपूर्ण भारत देश में इस समय पवित्र श्रावण मास के अवसर पर हर हर महादेव / जय शिव शंभू का जयकारा गूंज रहा है ! भक्तजन अपनी मनोकामना के अनुसार प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक / रुद्राभिषेक कर रहे हैं ! भग

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए