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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023

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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है !  मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार करना ! आत्म कल्याण की ओर अग्रसर रहने वाला ही मानव कहा जा सकता है नहीं तो पशु और मनुष्य में कोई अंतर नहीं है !  खाना , सोना , डरना स्त्री-पुरुष का मिलना , क्रोध करना यह सभी बातें जितनी मनुष्य में हैं उतनी ही पशुओं में भी है ! मनुष्य में केवल एक ही विशेषता है कि वह अपने कल्याण की बात सोच सकता है ,  आत्म कल्याण का साधन कर सकता है और आत्म कल्याण को प्राप्त कर सकता है ! जो इस विवेक से रहित है वह तो मनुष्य के रूप में पशु ही है ! मनुष्य में भगवान की दी हुई बुद्धि-शक्ति है , विवेक शक्ति है और उसको नवीन कर्म के संपादन का अधिकार प्राप्त है ! इस बुद्धि शक्ति और कर्म अधिकार का सदुपयोग करके ही मानव -:महामानव , देवता ही नहीं बल्कि परमात्म स्वरुप को भी प्राप्त कर सकता है और यही मानव जीवन का परम उद्देश्य है , परंतु यदि मनुष्य के द्वारा उसी बुद्धि शक्ति का विपरीत दिशा में प्रयोग होने लगता है तो उसके द्वारा विपरीत कर्म होने लगते हैं और वह असुर बन जाता है ! ऐसे मनुष्य प्रतिपल संसार के प्राणियों का घोर अहित करने लगते हैं ! जिसके कर्मों से प्राणी दुखी होते हैं वह स्वयं कभी प्रसन्न  नहीं रह सकता ! मनुष्य का यदि व्यवहार शुद्ध है तो परमार्थ शुद्ध ही होगा ! व्यवहार को शुद्ध करने के लिए जीवन में सावधान रहना पड़ता है , जहां मानव की सावधानी हटती है वही जीवन में दुर्घटनाएं घटने लगती है , इसलिए प्रतिपल सावधान रहते हुए अपने मानव जीवन के उद्देश्य को कभी नहीं भूलना चाहिए !*

*आज प्रायः लोगों के मुख से सुनने को मिलता है कि मैं इतना धर्म कर्म करता हूं फिर भी भगवान की कृपा नहीं प्राप्त होती है और भगवत्कृपा के लिए मनुष्य नित्य नए-नए प्रयोग करने लगता है ! इतना करने के बाद भी जब उसको लगता है कि भगवत्कृपा नहीं हो रही है तो भगवान से विमुख होने लगता है ! ऐसे सभी लोगों से मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यही कहना चाहता हूं कि उनको वह बात सदैव याद रखनी चाहिए जो वेदव्यास जी ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि "न मानुषात् श्रेष्ठतरं हि किञ्चित्" अर्थात मनुष्य होने से अधिक अच्छा कुछ भी नहीं है ! हमको मानव योनि मिली यह साक्षात भगवत्कृपा है !  अन्य प्राणियों की तुलना में विवेक हमको प्राप्त हुआ यही मानव जन्म की विशेषता है ! उस विवेक का प्रयोग आज मनुष्य आत्म कल्याण के लिए कितना कर रहा है यह विचारणीय विषय है ! आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य आत्म कल्याण के लिए साधन तो करना चाहता है परंतु आत्म कल्याण के सबसे सशक्त साधन सत्संग से उसने दूरी बना ली है ! यही कारण है कि मनुष्य सबसे श्रेष्ठ होते हुए भी पशुवत् व्यवहार कर रहा है ! कोई भी कर्म करने के पहले आज यह विचार नहीं किया जा रहा है कि यह कर्म करने योग्य है या नहीं ! अपने जीवन की श्रेष्ठता को आज का मनुष्य भूल गया है इसीलिए दिनों दिन पतित होता चला जा रहा है ! आवश्यकता है विशेष भगवत्कृपा को समझने की जो भगवान ने मानव योनि प्रदान करके की है !*


*बड़े भाग्य से हमको मानव योनि प्राप्त हुई है ! इस मानव योनि की उपादेयता को समझते हुए हमें अपने कर्म संपादित करने चाहिए जिससे कि हम सभी जीवो से श्रेष्ठ बने रहें !*article-image
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रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
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हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

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जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

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बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
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*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

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गुण एवं दोष

26 मई 2022
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*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

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तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
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*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

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मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
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*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

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गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
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*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

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श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
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*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

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धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
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*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

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मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
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*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

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भगवान शिव एवं नशे का व्यसन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
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*पवित्र श्रावण मास में चारों ओर भगवान शिव की आराधना एवं जयघोष सुनाई पड़ रहा हैं !  भगवान शिव कल्याणस्वरूप , सर्वव्यापी , सर्वेश्वर , सर्वरूप ,  सर्वज्ञ एवं कल्याणमय हैं ! कल्याणकारी भी इतने कि संसार क

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बिल्वपत्र की महिमा - आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
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*संपूर्ण भारत देश में इस समय पवित्र श्रावण मास के अवसर पर हर हर महादेव / जय शिव शंभू का जयकारा गूंज रहा है ! भक्तजन अपनी मनोकामना के अनुसार प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक / रुद्राभिषेक कर रहे हैं ! भग

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