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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022

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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसार में जिस प्रकार मानव जीवन का मिलना सौभाग्य की बात है उसी प्रकार एक सच्चे मित्र का मिलना भी किसी सौभाग्य से कम नहीं है ! एक सच्चा मित्र अपने दुख को छुपा कर अपने मित्र के सुख में सुखी हो जाता है और मुश्किल के क्षणों में उसके कंधे से कंधा मिलाकर उसके कष्ट को स्वयं के ऊपर ले लेता है ! मित्रता एक ऐसा संबंध है जिसमें ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं होता , गरीबी अमीरी कोई मायने नहीं रखती ! यह हृदय का संबंध होता है ! जीवन में यदि एक भी सच्चा मित्र मिल जाता है तो वह जीवन में फैले अंधकार को मिटाकर के अपने मित्र को प्रकाश की ओर ले कर जाने का प्रयास करता है ! मित्रता करना तो आसान है परंतु मित्रता को निभाना इतना सरल नहीं होता ! मित्र तो कोई भी बन जाता है परंतु मित्र बनाते समय भी अपने मित्र को समझना एवं जानना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि यदि सकारात्मक मित्र मिल जाता है तो जीवन प्रकाशमान हो जाता है परंतु यदि मित्र के चयन में त्रुटि हो गई और नकारात्मक मित्र मिल गया तो जीवन अंधकारमय हो जाता है ! संगत का प्रभाव अमिट है इसलिए मित्रता करते समय अपने मित्र के सकारात्मक एवं नकारात्मक विचारों पर विधिवत चिंतन करने के बाद ही मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहिए , क्योंकि मित्रता वह संबंध है जिसमें भले ही रक्त संबंध नहीं होता है परंतु हृदय संबंधी इतना मजबूत हो जाता है अपने मित्र के लिए प्राण तक निछावर करने के लिए मनुष्य तैयार हो जाता है !  इसलिए जीवन में सच्चे मित्र के महत्व को नकारा नहीं जा सकता सच्चा मित्र अनमोल रतन की तरह होता है जो बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है !*

*आज के भौतिक जीवन में मनुष्य अनेकों प्रकार के मित्र बनाता है परंतु प्रायः देखने को मिलता है कि जब संकट की घड़ी आती है तो उन मित्रों में से लगभग सभी किनारा कर लेते हैं ! जो मित्र सुख के समय में दिन भर अपने मित्र के साथ रहते हैं , ऐश्वर्य का भोग करते हैं वही मित्र संकट के समय में साथ छोड़ कर निकल जाते हैं , तो विचार करने पर विवश होना पड़ता है कि क्या यही सच्ची मित्रता है ? क्या मित्रता का यही परिभाषा है ? आजकल मनुष्य मित्र बनाने के पहले कोई विचार नहीं करता है इसीलिए उसको पग पग पर अपने मित्रों से धोखा मिलता है ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज समाज में जो देख रहा हूं उसके आधार पर यह कह सकता हूं कि प्रथम तो सच्चे मित्र मिलते नहीं हैं यदि कोई मिल भी जाता है तो हम उसका सम्मान नहीं कर पाते ! जो सच्चा मित्र होता है वह सदैव गलत कार्यों के लिए अपने मित्र को रोकने का प्रयास करता है परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गलत कार्य करते रहते हैं और अपने मित्र के द्वारा रोके जाने पर उसे ही अपना शत्रु समझने लगते हैं ! आज जिस प्रकार अनेकों संबंध बेमानी हो गए हैं उसी प्रकार अनमोल संबंध मित्रता भी इससे अछूती नहीं रह गई है ! मित्रता वह अनमोल रत्न है जिसके लिए अनेकों लोग तरसते रहते हैं और जिनको यह रत्न प्राप्त है वे उसकी कदर करना नहीं जानते ! ऐसे लोगों को तब पछतावा होता है जब उनके सच्चे मित्र उनसे मुंह मोड़ लेते हैं ! जब भी जीवन में असंतुष्टि होती है या मानसिक तनाव होता है तो एक सच्चा मित्र ही मानसिक संतुष्टि प्रदान करने में सहायक सिद्ध होता है ! जो बातें हम अपने मित्र से कर सकते हैं वह शायद परिवार के लोगों को नहीं बता सकते , इसीलिए सभी संबंधों में मित्रता को महान संबंध बताया गया है !  साहित्यकारों ने मित्रता को अनमोल रत्न , अक्षुण्ण पूंजी एवं कोहिनूर हीरा तक की उपाधि दे दी है ! अपनी अक्षुण्ण पूंजी अर्थात मित्रता को जीवन भर सहेजने का प्रयास करते रहना चाहिए क्योंकि यही वह पूंजी है जो संकट के समय से हमको निकाल कर बाहर लाने में सक्षम होती है !*

*एक सच्चा मित्र हमारी कमियों को अनदेखा करके सदैव हमारी भलाई के लिए प्रयत्नशील रहता है इसीलिए सच्चे मित्र को अनमोल रत्न और कीमती संपत्ति कहा गया है ! इस संपत्ति को सहेजना इसलिए आवश्यक है क्योंकि कोई भी संपत्ति खो जाने पर दोबारा कमाई जा सकती है परंतु एक सच्चे मित्र से मित्रता समाप्त हो जाने पर वह पुनः वापस नहीं पाई जा सकती !*article-image
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रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
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हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

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जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

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बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
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*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

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गुण एवं दोष

26 मई 2022
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*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

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तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
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*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

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मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
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*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

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गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
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*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

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श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
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*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

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धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
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*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

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मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
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*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

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