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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022

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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्माण हो जाय तो वहां नए निर्माण करने से पूर्व पुराने को तोड़ना आवश्यक हो जाता है ! ध्वंस की आवश्यकता , प्रतिकार की आवश्यकता इसलिए पड़ती है ताकि अवांछनीय तत्वों को , अनर्गल तत्वों को हटाया जा सके !  बिना पुराने का ध्वंस किये नए का निर्माण नहीं हो सकता ! हमारे ग्रंथों में बताया गया है कि धर्म का आचरण करो , सदा सत्य बोलो , दूसरों के साथ बुराई का कार्य न करो परंतु इन शिक्षाओं का पालन करने वाले बहुत कम मिलता है ! यदि संसार का प्रत्येक व्यक्ति इन शिक्षाओं का पालन करना सीख गया होता तो इनका विध्वंस करने के लिए भगवान श्री राम को लंका जाकर युद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती और ना ही भगवान श्री कृष्ण को महाभारत कराने की आवश्यकता पड़ती ! प्रत्येक युग में ऐसे व्यक्ति जन्म लेते रहे हैं जिनको सुधारने के लिए उनके संहार के अतिरिक्त और कोई साधन नहीं बचता !  प्रत्येक मनुष्य को प्रतिकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए ! बिना किसी मोह के , चाटुकारिता एवं दिखावेपन से स्वयं को बचाते हुए गलत व्यक्तियों का प्रतिकार करते रहना चाहिए ! प्रत्येक मनुष्य के अंतरंग में दैवी एवं आसुरी दोनों प्रकार की शक्तियां कार्य करती हैं ,  आसुरी वृत्तियां नकारात्मक बना करके मनुष्य को नीचे गिराती रहती हैं , वही दैवी प्रवृत्तियां मनुष्य को सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचा देती है !  नकारात्मक व्यक्ति तब अधिक नकारात्मक हो जाता है जब उसका प्रतिकार करने वाला , उसका विरोध करने वाला कोई नहीं होता ! उसके आसपास रहने वाले लोग उसके प्रत्येक कार्य की बड़ाई ही करते हैं तो उसको अहंकार हो जाता है और वह निरंतर नकारात्मक गतिविधियों में लिप्त हो जाता है ! ऐसे में प्रत्येक मनुष्य को प्रतिकार का प्रतीक बन जाना चाहिए !  गलत बातों का विरोध निसंकोच करके आप किसी को नकारात्मक होने से बचा सकते हैं ! यदि कोई भी गलत आचरण करता दिखाई पड़े तो वह तो दोषी है ही उसके साथ में वह कहीं अधिक दोषी हो जाता है जो उसकी हां में हां मिलाता रहता है , ऐसा करके वह नकारात्मक कार्य करने की खुली छूट अपने प्रिय जन को दे देता है ! यदि इसी समय नकारात्मक कार्यों का विरोध कर दिया जाय तो शायद मनुष्य का पतन होने से बच जाय परंतु लोग ऐसा ना करके चाटुकारिता के वशीभूत होकर नकारात्मकता का साथ प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से देते रहते हैं यही कारण उनके पतन का बन जाता है !*

*आज परिस्थितियों की भीषणता ,  भयावहता से प्रत्येक व्यक्ति परिचित है !  जिस प्रकार की परिस्थितियां आज मानवता के सम्मुख प्रस्तुत हो गई हैं वे एक तरह से महासमर की परिस्थितियां हैं ! आज ऐसा समय प्रस्तुत हो गया है कि नकारात्मक एवं सकारात्मक दो में से एक विकल्प का चयन करना अनिवार्य हो गया है ! आज लोग बाहरी चमक को पाने की अंधी दौड़ में अांतरिक संतोष , आत्मिक प्रगति एवं आध्यात्मिक विकास को पूरी तरह भूल गए हैं ! बाहरी चमक को पाने की इस समाज की नासमझ दौड़ में हृदय की दरिद्रता और भावनाओं का जो भिखारी पर देखने को मिल रहा है उससे कोई भी अपरिचित नहीं है ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इसका एक प्रमुख कारण यह मानता हूं कि हमारे अगल-बगल रहने वाले प्रतिकार करना भूल गए हैं ! क्या ठीक है क्या नहीं ? इसका विचार करना लोगों ने छोड़ दिया है ! आज मनुष्य के पास भले ही सुख सुविधाओं के अनेक संसाधन हैं परंतु इन सुख-सुविधाओं के होते हुए भी आज मनुष्य के पास परस्पर स्नेह और विश्वास में अभूतपूर्व कमी आई है ! आज एक दूसरे के प्रति विश्वास का स्थान संदेह और कठोरता ने ले लिया है !  जिस प्रकार आज आधुनिक संसाधनों के कारण संसार के एक देश दूसरे देश से समीप होते जा रहे हैं उसी प्रकार लोग अपने हृदय से एक दूसरे से दूर होते चले जा रहे हैं ! वह समय आ गया है कि प्रत्येक मनुष्य इन अवांछनीय तत्वों से लड़ने के लिए अपने भीतर एक प्रकाश पैदा करें और गहनता से विचार करें कि हम गलत बातों का प्रतिकार ना करके ,  उनका साथ दे करके किस दिशा में जा रहे हैं ! आज जब सब ओर अनीति -  अन्याय और अवांछनीयता का साम्राज्य बिखरा दिखाई पड़ता है तो हमें ऐसे समय में विषम परिस्थितियों के निवारण के लिए प्रतिकार का प्रतीक बनने की परम आवश्यकता है ! जिस दिन हम प्रतिकार के प्रतीक बन जाएंगे उसी दिन परिस्थितियों सुधरने लगेंगी , अन्यथा बिना विचार किये किसी का सदैव प्रत्येक कार्य में साथ देते रहने से वह व्यक्ति तो पतन की ओर जाएगा ही साथ ही साथ हम भी पतित होते चले जाएंगे ,  जैसा कि वो भी रहा है ! इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है !*

*हम किसी की गलत बात का प्रतिकार ना करके उसके साथ-साथ स्वयं को भी नकारात्मकता के घोर अंधकार की ओर लेकर जा रहे हैं ! किसी का साथ देना बहुत अच्छी बात है परंतु हम जिस का साथ दे रहे हैं वह यदि गलत कर रहा है तो उसके प्रतिकार करने का साहस भी हममें होना चाहिए अन्यथा भविष्य बहुत सुखद एवं उज्जवल नहीं हो सकता !*
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रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
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हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित

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जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

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बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
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*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

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गुण एवं दोष

26 मई 2022
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*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

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तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
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*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

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मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
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*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

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गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
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*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

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श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
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*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

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धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
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*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

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मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
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*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

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