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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022

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*इस संसार में आदिकाल में जब पृथ्वी पर एकमात्र "सनातन धर्म" ही था तब हमारे महापुरुषों ने सम्पूर्ण धरती को अपना घर एवं सभी प्राणियों को अपना परिवार मानते हुए "वसुधैव - कुटुम्बकम्" का संदेश प्रसारित किया था | चूंकि समय परिवर्तनशील है तो धीरे - धीरे पृथ्वी पर अनेकों धर्मों की आधारशिला रखकर उनके प्रणेताओं ने अपने - अपने धर्मों के नियम बनाये | इन सभी धर्मों में आज भी प्रमुख है मानव धर्म | जिस मनुष्य में मनुष्यता / मानवता का लोप होता है वह किसी भी धर्म का अनुयायी हो ही नहीं सकता | आज प्रत्येक मनुष्य कोई भी कार्य स्वार्थवश ही करता है | जबकि मानवता में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं है | संसार में सदैव से मानव धर्म ही प्रमुख रहा है | यही सनातन धर्म का उद्घोष रहा है | "वसुधैव कुटुम्बकम्" का सर्वोच्च उदाहरण यदि देखना है तो वह सनातन धर्म में ही मिलेगा | भगवान भूतभावन भोलेनाथ का परिवार इसका अभूतपूर्व उदाहरण है | जहाँ परस्पर एक दूसरे के शत्रु भी प्रेमपूर्वक रहते हैं | सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए ही समय समय अवतार लेकर परमशक्तियों ने मानवता का ही पाठ पढाया है | जहाँ मानवता नहीं रह जाती वहाँ शीघ्रता से विनाश होता है |*


*आज के इस भौतिक युग में यदि मनुष्य, मनुष्य के साथ सद्व्यवहार करना नहीं सीखेगा, तो भविष्य में वह एक-दूसरे का घोर विरोधी ही होगा | यही कारण है कि वर्तमान में धार्मिकता से रहित आज की यह शिक्षा मनुष्य को मानवता की ओर न ले जाकर दानवता की ओर लिए जा रही है | जहां एक ओर मनुष्य आणविक शस्त्रों का निर्माण कर मानव धर्म को समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है, वहीं दूसरी ओर अन्य घातक बमों का निर्माण कर अपने दानव धर्म का प्रदर्शन करने पर आमादा है | ऐसी स्थिति में मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यही कहना चाहूँगा कि आखिर आज ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ वाला हमारा स्नेहमय मूलमंत्र कहां चला गया ?? मानवता मनुष्य का धर्म होती है | सभी मनुष्यों में स्नेह करने का मूल पाठ मानव धर्म सिखाता है | जाति, संप्रदाय, वर्ण, धर्म, देश आदि के विभिन्न भेदभाव के लिए यहां कोई स्थान नहीं है | मानव धर्म का आदर्श और इसकी मनोभूमि अत्यंत ऊंची है और इसके पालन में मानव जीवन की वास्तविकता निहित है | मानव धर्म सभ्यता और संस्कृति की एक प्रकार की रीढ़ की हड्डी है इसके बिना सभ्यता व संस्कृति का विकास कल्पना मात्र ही है | मानव धर्म की वास्तविकता और उपादेयता इसी में है कि मनुष्यत्व के विकास के साथ ही साथ विश्व भर के लोग सुख, शांति और प्रेम के साथ रहें। प्राणिमात्र में रहने वाली आत्मा उसी परमपिता परमेश्वर का अंश है | प्रत्येक में एक ही जगतनियंता प्रभु का प्रतिबिंब दिखलाई देता है, यह समझकर मनुष्य की ओर आदर भावना बनाए रखें |* 


*यदि आज किसी के हृदय में किसी का आदर या किसी के लिए प्रेम नहीं है तो वह किसी भी धर्म के उच्चपदों पर ही क्यों न आसीन हो समझ लो कि वह मानवता से हीन है , और उसका जीवन व्यर्थ है |*

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रचनाएँ
हमारी संस्कृति एवं हम
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हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं ! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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चित्र और चरित्र :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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*भारतीय सनातन धर्म में सदैव से चरित्र-निर्माण पर ही बल दिया गया है | और चरित्र का निर्माण वैसे ही हो पाता है जैसा चित्र हमारे मनोमस्तिष्क में स्थापित होता है | सनातन धर्म में मूर्तिपूजा को विशेष महत्व

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मानव धर्म :- आचार्य अर्जुन तिवारी

18 जनवरी 2022
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जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जनवरी 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य सफल , समृद्ध , सार्थक , सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है ,  परंतु यह इतना सहज नहीं है , क्योंकि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भा

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बदलें दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2022
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*हमारा देश भारत आदिकाल से आध्यात्मिक ज्ञान ज्ञान का केंद्र रहा है |  आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है | जीवन के दीपक के बुझने के पहले स्वयं को पहचान लेना

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गुण एवं दोष

26 मई 2022
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*ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि बड़ी ही अलौकिक है ! सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने संतुलन को बनाए रखने के लिए जहां अनेकों गुण बनाए वहीं अनेक प्रकार के दोष भी बनाये हैं ! "जड़ चेतन गुण दोषमय ,

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तुलसी जयन्ती :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अगस्त 2022
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*सनातन हिंदू धर्म में इस संसार का सृष्टिकर्ता , पालनकर्ता एवं संहारकर्ता विविध रूपों में भगवान को माना गया ! भगवान की पहचान हमेंशा भक्तों से हुई है ! यदि भक्त ना होते तो शायद भगवान का भी कोई अस्

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मित्रता अनमोल रत्न है :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

6 अगस्त 2022
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*संसार में आने के बाद मनुष्य अनेकों प्रकार के संबंधों में बंध जाता है ! पारिवारिक संबंध , सामाजिक संबंध , बन्धु - बांधव एवं अनेक प्रकार के रिश्ते नाते उसे जीवन भर बांधे रखते हैं ! यह सभी संबंध म

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सच्ची मित्रता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

7 अगस्त 2022
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*जीवन में जिस प्रकार मनुष्य को आदर्श माता-पिता एवं आदर्श गुरु तथा एक आदर्श समाज उच्चता के शिखर पर ले जाता है उसी प्रकार एक सच्चा एवं आदर्श मित्र मनुष्य को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है ! इस संसा

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हर घर तिरंगा :- आचार्य अर्जुन तिवारी

14 अगस्त 2022
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*इस संसार में जन्म लेने के बाद स्वतंत्र रहने का अधिकार प्रत्येक जीव मात्र को है ! परिस्थिति वश मनुष्य पराधीन हो जाता है ! पराधीनता का दुख वही समझ सकता है जिसने यह कष्ट झेला है ! बाबा जी ने मानस में लि

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गणेश लक्ष्मी का पूजन

27 अक्टूबर 2022
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*सनातन धर्म में पूजा पद्धति को मान्यता दी गई है ! अनेकों प्रकार के अनुष्ठान , यज्ञ एवं दैनिक पूजन सनातन धर्मप्रेमी आदिकाल से करते चले आए हैं ! कोई भी अनुष्ठान हो , कोई भी पूजन हो प्रथम पूजन गणेश गौरी

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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वेदों में समाहित श्री राम नाम :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 नवम्बर 2022
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*सनातन धर्म में समय-समय पर नारायण ने अवतार लेकर के इस धरती का भार उतारा है ! इन सभी अवतारों की चर्चा हमें ग्रंथों में मिलती है परंतु यदि जन् - जन में किसी की चर्चा है तो वह है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री

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प्रतिकार करना आवश्यक है

7 नवम्बर 2022
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*इस संसार में भगवान ने दो तरह की व्यवस्थाओं को समान रूप से स्थान दिया है ! प्रथम ध्वंस एवं दूसरे का नाम है सृजन ! सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों ही आवश्यक है , यदि कोई भवन गलत विधि से निर्मा

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श्रेय एवं प्रेय :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2023
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*इस संसार में प्रायः दो दो शब्दों की जोड़ी देखने को मिलती है जैसे दिन एवं रात , सुख एवं दुख , पाप एवं पुण्य आद

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मानव जीवन श्रेष्ठ है :- आचार्य अर्जुन तिवारी

10 जुलाई 2023
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*ईश्वर की असीम अनुकंपा से जीव मनुष्य योनि प्राप्त करता है और उसे मानव कहा जाता है ! मानव वही है जिसमें मानवता हो ! मानवता का अर्थ है कि संसार के साथ-साथ अपने जीवन का कल्याण कैसे हो इस पर विचार क

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धर्म का महत्त्व: - आचार्य अर्जुन तिवारी

26 अगस्त 2023
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*मानव जीवन में धर्म का होना बहुत आवश्यक है ! बिना धर्म के मनुष्य अमर्यादित हो जाता है ! धर्म क्या है ? इस पर अनेकों विद्वानों के मत मिलते हैं और सब का निचोड़ जो मिलता है उसका यह अर्थ यही निकलता है कि

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रक्षाबन्धन एवं भद्राकाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अगस्त 2023
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*हमारा देश भारत त्योहारों का देश है , जहां समय-समय पर अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जो कि हमारे देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधते हैं ! सनातन धर्म में पर्व एवं त्योहारों का बहुत बड़ा

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मोक्ष के चार द्वारपाल :- आचार्य अर्जुन तिवारी

8 जनवरी 2024
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*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं धर्म अर्थ काम और मोक्ष ! मोक्ष प्राप्त करना हमारे पूर्वजों का परम उद्देश्य रहता था ! बाकी के तीनों पुरुषार्थों का पालन करते हुए अंतिम प

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भगवान शिव एवं नशे का व्यसन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
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*पवित्र श्रावण मास में चारों ओर भगवान शिव की आराधना एवं जयघोष सुनाई पड़ रहा हैं !  भगवान शिव कल्याणस्वरूप , सर्वव्यापी , सर्वेश्वर , सर्वरूप ,  सर्वज्ञ एवं कल्याणमय हैं ! कल्याणकारी भी इतने कि संसार क

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बिल्वपत्र की महिमा - आचार्य अर्जुन तिवारी

1 अगस्त 2024
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*संपूर्ण भारत देश में इस समय पवित्र श्रावण मास के अवसर पर हर हर महादेव / जय शिव शंभू का जयकारा गूंज रहा है ! भक्तजन अपनी मनोकामना के अनुसार प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक / रुद्राभिषेक कर रहे हैं ! भग

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