किसी इंसान के साथ किस्मत कब-क्या खेल खेलती है कुछ कहा नहीं जा सकता। इसे किस्मत ही नहीं तो और क्या कहेंगे की भारत के आर्मी जनरल जैसे बड़े घर में एक किन्नर पैदा हुई और उसे जिल्ल्त की जिंदगी जीने के लिए हमारे समाज ने मजबूर कर दिया। हमारा समाज उन्हें सारी खूबियों और हर कार्य योग्य होते हुए भी कोई तवज्जो नहीं देता है, जिसके चलते वे ऐसे कार्यों को करने के लिए मजबूर हो जातें है जो एक सभ्य और आधुनिक समाज में कतई स्वीकार्य नहीं हैये कहानी ऐसे ही एक किन्नर सुधा की है जिसका जन्म सीवान (बिहार) में आर्मी जनरल के घर में हुआ था। अपने पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर सुधा ने जब अपनी आपबीती सुनाई तो कलेजा पसीज गया। सुधा कहती है की जब में छठी क्लास में थी तभी पता चलने लगा गया था में दूसरे से अलग हूँ। जब ये बात फैली तो लोग मुझे और मेरे परिवारवालों को तानें मरने लगे जिससे आये दिन मेरे कारण परिवारवालों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता था। आखिर में जब हद हो गयी तो मैंने घर छोड़ने का फैसला किया और 14 साल की उम्र में 1999 में भागकर लखनऊ आ गयी। हालाँकि इस दौरान मेरे पापा और भाइयों का मुझे पूरा स्पोर्ट था।
सुधा आगे कहती है की – लखनऊ में मेरी मुलाकात किन्नर समाज के गुरु संध्या से हुई जिन्होंने मुझे अपने साथ रखा और पिछले 17 सालों से मैं उनके साथ हूँ, और आगे भी रहना चाहती हूँ। आपको बता दें की सुधा रेलवे में नौकरी करना चाहती है ताकि वो भी एक आम जिंदगी जी सके जिसके लिए वे इग्नू के बीपीपी प्रोग्राम में एडमिशन भी ली है जो 6 महीने का कोर्स है और उसके बाद पीजी करेगी। इग्नू लखनऊ के असिस्टेंट रीजनल डायरेक्टर डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह के मुताबिक सुधा लगातार कड़ी मेहनत कर रही है और वह पढाई में मन लगा रही है।
सुधा ने बताया की उनकी परिवार वालों और भाई-बहन से लगातार फोन पर बात होती रहती है, लेकिन पापा से बात नहीं हो पाती है क्यूंकि वे सुधा के घर से भागने वाली बात को लेकर अब तक नाराज है। वे चाहते थे की सुधा घर पर ही रहे।
साभार - http://newstoindia.com/offbeat/after-17-years-he-was-born-in-the-army-generals-house-and-said/