इस साल स्वतंत्रता दिवस के दिन एक तस्वीर इंटरनेट पर ज़बरदस्त वायरल हुई थी. बाढ़ के पानी में दो बच्चे लगभग गले तक डूबे थे. इन दो बच्चों के साथ ही दो और व्यस्क लोग झंडे को सलामी दे रहे थे. जहां लाखों लोगों ने इसे देशभक्ति के तौर पर सराहा था, वहीं कुछ ऐसे भी थे जो आज़ादी के 70 साल बाद भी लोगों की बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हालातों को देखकर निराश और हताश थे.
हाल ही में मुंबई में हुई भयावह बारिश के बाद इंटरनेट पर एक और तस्वीर वायरल हो रही है. ख़ास बात ये है कि ये तस्वीर जून 2015 की है, लेकिन इस तस्वीर में जो संदेश है, उसके चलते इसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है और शायद आने वाले सालों में भी बनी रहेगी.
इस तस्वीर को द वॉयस ऑफ़ नॉर्थ ईस्ट इंडिया नाम के फ़ेसबुक पेज पर शेयर किया गया है. इस तस्वीर में एक लड़की प्लेकार्ड लिए खड़ी है और इस प्लेकार्ड पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है,
मुंबई : बारिश आने पर फुल मी़डिया कवरेज
असम : हर साल बाढ़ का प्रकोप, हर साल सैंकड़ों, हज़ारों लोगों की मौत, लेकिन किसी को परवाह नहीं
हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां कम से कम 30 ऐसे चैनल हैं जो 24 घंटे चलते हैं, जो आपको आपका हॉरोस्कोप दिखा सकते हैं, लेकिन असम की भयावह आपदा को लेकर चुप रहते हैं.
सोशल मीडिया ने हमारे देश के उन कई क्षेत्रों को आवाज़ देने का काम किया है जिनकी आवाज़ पारंपरिक तौर पर मीडिया या सरकारों तक नहीं पहुंच पाती है. मुंबई में बारिश की वजह से आम ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो चुकी है और चूंकि मुंबई को देश की बिज़नेस कैपिटल के तौर पर भी तौर पर जाना जाता है, ऐसे में मीडिया का कवरेज जायज़ भी है. लेकिन ये भी सच है कि देश केवल मुंबई या दिल्ली नहीं है और सालों से सरकार की अवहेलना झेल रहे नॉर्थ ईस्ट जैसे ही कई क्षेत्रों को लेकर सरकार और जनता का भी रवैया बदलना ज़रूरी है. सोशल मीडिया ने भले ही एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया हो, लेकिन सरकार की तरफ़ से इन क्षेत्रों में भी संजीदगी और संवदेनशीलता दिखाने की ज़रूरत है.
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