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बाल-साहित्य

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                             (१)बहुत दिन पहले की बात है पूर्वी भारत में एक किसान रहता था, उसका नाम था जॉन। वह बहुत गरीब किसान

एक दिन चीकू टीवी पर चल रहे न्यूज़ को देख कर चौक पड़ा। इंडियन पब्लिक स्कूल के बच्चों से भरी बस पलट गई थी। इस समाचार को सुनते ही जैसे चीकू के होश उड़ गए।ओ माय गॉड यह तो मेरे ही स्कूल की बस है। अरे यह तो

एक दिन एक किसान मेले से अपने लिए सामान लेकर घर लौट रहा था। उसकी पत्नी उसके साथ नहीं थी। कारण लौटने वाला रास्ता जंगली इलाके से भरा हुआ था और किसान नहीं चाहता था कि अकारण ही कोई भी विपदा हो।किसान ने मेल

एक दिन एक जौहरी और एक लौह व्यापारी अपने अपने गधे पर अपने अपने सामान को लेकर व्यापार करने के उद्देश्य से जा रहे थे। जौहरी के गधे की पीठ पर रेशम का कपड़ा था और उसमें स्वर्ण मुद्राएं तथा अनेकों कीमत

एक जंगल में एक सुनहरी चिड़िया रहती थी। उस सुनहरी चिड़िया की विशेषता थी कि जब भी वह गाना गाती थी उसकी चोंच से चमकदार मोती गिरते थे। एक दिन एक बहेलिया ने उसे पकड़ लिया। उसे पकड़ कर अपने घर ले गया औ

भोर भई दिन है निकलादेखो उठ कर आसमान मेंभास्कर की लालिमा है छाईकोयल गाएपपीहा भी बोलेमोर का भी तन मन डोलेभोर भई......उठ कर जल्दी करो स्नानथोड़ा सा व्यायाम करो तुममन लगाओ दो ईश्वर में ध्यान

एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

शिलान्यास सी  खड़ी  एक नार अपने समय की  प्रतीक्षा कर  आज भी जड़ है  अपने चेतन मन के अंतर में  कब होगा  उसका भी प्रादुभाव पुरषों की इस विसंगति में           (राम)  उद्धारक केवल तुम बने  अनुसरण हुई केवल

 एक नदी के किनारे एक मंदिर था. मंदिर के निकट ही एक विशाल पेड़ थे जिस पर बंदरों की एक टोली रहती थी. मोती उस टोली का सरदार था.  हर मंगलवार के दिन मंदिर में खूब भीड़ होती थी. उस दिन पास के गाँव के सभी ल

(गोबर्धन दास को पकड़े हुए चार सिपाहियों का प्रवेश) गोवरधन दास : हाय बाप रे! मुझे बेकसूर ही फाँसी देते हैं। अरे भाइयो, कुछ तो धरम विचारो! अरे मुझ गरीब को फाँसी देकर तुम लोगों को क्या लाभ होगा? अरे मुझ

(गोवर्धन दास गाते हुए आते हैं) (राग काफी) अंधेर नगरी अनबूझ राजा। टका सेर भाजी टका सेर खाजा॥ नीच ऊँच सब एकहि ऐसे। जैसे भड़ुए पंडित तैसे॥ कुल मरजाद न मान बड़ाई। सबैं एक से लोग लुगाई॥ जात पाँत पूछै

(राजा, मन्त्री और नौकर लोग यथास्थान स्थित हैं) 1 सेवक : (चिल्लाकर) पान खाइए महाराज। राजा : (पीनक से चैंक घबड़ाकर उठता है) क्या? सुपनखा आई ए महाराज। (भागता है)। मन्त्री : (राजा का हाथ पकड़कर) नहीं न

(महन्त जी और नारायणदास एक ओर से 'राम भजो इत्यादि गीत गाते हुए आते हैं और एक ओर से गोबवर्धनदास अन्धेरनगरी गाते हुए आते हैं') महन्त : बच्चा गोवर्धन दास! कह क्या भिक्षा लाया? गठरी तो भारी मालूम पड़ती है

कबाबवाला : कबाब गरमागरम मसालेदार-चैरासी मसाला बहत्तर आँच का-कबाब गरमागरम मसालेदार-खाय सो होंठ चाटै, न खाय सो जीभ काटै। कबाब लो, कबाब का ढेर-बेचा टके सेर। घासीराम : चना जोर गरम। चना बनावैं घासी राम।

(महन्त जी दो चेलों के साथ गाते हुए आते हैं) सब : राम भजो राम भजो राम भजो भाई। राम के भजे से गनिका तर गई, राम के भजे से गीध गति पाई। राम के नाम से काम बनै सब, राम के भजन बिनु सबहि नसाई ॥ राम के न

स्थान-गंभीर वन का मध्यभाग (भारत एक वृक्ष के नीचे अचेत पड़ा है) (भारतभाग्य का प्रवेश) भारतभाग्य : (गाता हुआ-राग चैती गौरी) जागो जागो रे भाई। सोअत निसि बैस गँवाई। जागों जागो रे भाई ।। निसि की कौन

   सोन चिड़ियाँ एक बहुत खूबसूरत थी उसके पंख भी बहुत सुंदर थे। उसका स्वाभिमान उसके लिए बहुत प्यारी थी। वो अपने स्वाभिमान के लिए कोई ऐसा काम नही करती जिससे कोई उसे दोषी ठहरा सके।   

एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था। एक दिन जंगल में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा। उसकी बांछे खिल गईं। उसने हाथी के मृत शरीर पर दांत गड़ाया पर चमड़ी मोटी होने की वजह से, वह हाथी को चीरने में नाकाम रह

एक शहर में शुद्धपट नाम का धोबी रहता था । उसके पास एक गधा भी था । घास न मिलने से वह बहुत दुबला हो गया । धोबी ने तब एक उपाय सोचा । कुछ दिन पहले जंगल में घूमते-घूमते उसे एक मरा हुआ शेर मिला था, उसकी खाल

एक जंगल में शेर-शेरनी का युगल रहता था । शेरनी के दो बच्चे हुए । शेर प्रतिदिन हिरणों को मारकर शेरनी के लिये लाता था । दोनों मिलकर पेट भरते थे । एक दिन जंगल में बहुत घूमने के बाद भी शाम होने तक शेर के ह

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