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भाग- 16

7 जून 2022

12 बार देखा गया 12

दूसरे दिन यह बात अच्छी तरह से मशहूर हो गई कि वह बाबाजी जिन्हें देख करनसिंह राठू डर गया था, बीरसिंह के बाप करनसिंह थे। उन्हीं की जुबानी मालूम हुआ कि जिस समय राठू ने सुजनसिंह की मार्फत करनसिंह को जहर दिलवाया उस समय करनसिंह के साथियों को राठू ने मिला लिया था। मगर- चार-पाँच आदमी ऐसे भी थे, जो जाहिर में तो मौका देख कर मिल गए थे, पर दिल से उसकी तरफ न थे। जिस समय जहर के असर से करनसिंह बेहोश हो गए, उस समय जान निकलने के पहिले ही उनके मरने का गुल मचा कर राठू ने उन्हें जमीन में गड़वा दिया और तुरत वहाँ से कूच कर गया था। राठू के कूच करते ही धनीसिंह नामी एक राजपूत अपने नौकरों को साथ लेकर जान-बूझ के पीछे रह गया। उसने जमीन खोद कर करनसिंह को निकाला और उनकी जान बचाई।

जहर के असर ने पाँच बरस तक करनसिंह को चारपाई पर डाल रक्खा। वे पाँच बरस तक दूसरे शहर में रहे और फिर फकीर हो गये मगर राठू की फिक्र में लगे रहे। जब नाहरसिंह का नाम मशहूर हुआ तब हरिपुर के पास ही जंगल में आ बसे और नाहरसिंह से मुलाकात पैदा की मगर अपना नाम न बताया।

करनसिंह को बचाने वाला धनीसिंह तो मर गया था मगर उसका छोटा भाई अनिरुद्ध सिंह (रईसों और सरदारों की कमेटी में इसका नाम आ चुका है) इसी शहर में रहता है, जिसकी गिनती रईसों में है। उसको भी इनमें की बहुत-सी बातें मालूम हैं, और वह हमेशा बीरसिंह का पक्षपाती रहा, मगर समय पर ध्यान देकर करनसिंह का हाल उसने किसी से न कहा।

आज बड़ी खुशी का दिन है कि करनसिंह ने अपने दोनों लड़के, लड़की और दामाद को नाती सहित पाया और छोटे लड़के को राजसिंहासन पर देखा। इस जगह लोग पूछ सकते हैं कि करनसिंह सिंहासन पर क्यों नहीं बैठे या बड़े भाई के रहते छोटे भाई को गद्दी क्यों दी गई? इसके लिए थोड़ा-सा यह लिख देना जरूरी है कि जब करनसिंह, खड़गसिंह और बिजयसिंह एकान्त में मिले थे तो इस विषय की बातचीत हो, चुकी थी। करनसिंह ने राज्य करने से इन्कार किया था, बिजयसिंह ने भी कबूल नहीं किया और कहा कि अभी तक मेरी शादी नहीं हुई और न शादी करूँगा ही अस्तु यह बात पहिले ही से पक्की हो चुकी थी कि बीरसिंह को गद्दी दी जाये।

राजमहल से राठू के वे रिश्तेदार जिन्होंने बीरसिंह की शरण चाही, निकाल कर दूसरे मकान में रख दिए गए और उनके खाने-पीने का बन्दोबस्त कर दिया गया। अब राजमहल में वही सुन्दरी जो तहखाने के अन्दर कैद रह कर मुसीबत के दिन काटती थी और तारा जो असली करनसिंह (बाबाजी) के कब्जे में थी रहने लगीं, मगर राठू के लड़के सूरजसिंह का कहीं पता न लगा, न-मालूम वह किसके यहाँ भेज दिया गया था या किस जगह छिपा कर रक्खा गया था। रामदास ने आत्महत्या की। आँखों की तकलीफ से पांच ही सात दिन में राठू यमलोक की तरफ चल बसा और बीरसिंह ने बड़ी नेकनामी से राज्य चलाया।

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रचनाएँ
कटोरा भर खून
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प्रस्तुत उपन्यास कटोरा भर खून चन्द्रकान्ता की ही परम्परा खत्री जी का एक अत्यन्त रोचक और मार्मिक उपन्यास है। इसमें वातावरण सामन्तीय होते हुए भी मानवीय संवेदनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। "काजर की कोठरी एक लघु उपन्यास है। इसका विशेष महत्त्व इसलिए भी है कि स्वयं खत्री जी ने तिलस्मी और ऐय्यारी के चक्करों से निकलकर जीवन के अपेक्षाकृत यथार्थ घटना-क्रम को अपनाने का साहस किया। इसमें घटना-क्रम की रोचकता, उत्सुकता और रहस्यमयता वैसी ही है
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भाग -1

7 जून 2022
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लोग कहते हैं कि नेकी का बदला नेक और बदी का बदला बद से मिलता. है मगर नहीं, देखो, आज मैं किसी नेक और पतिव्रता स्त्री के साथ बदी किया चाहता हूँ। अगर मैं अपना काम पूरा कर सका तो कल ही राजा का दीवान हो जाऊ

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भाग -2

7 जून 2022
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बीरसिंह तारा से विदा होकर बाग के बाहर निकला और सड़क पर पहुंचा। इस सड़क के किनारे बड़े-बड़े नीम के पेड़ थे, जिनकी डालियों के ऊपर जाकर आपस में मिले रहने के कारण, सड़क पर पूरा अंधेरा था। एक तो अंधेरी रात

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भाग -3

7 जून 2022
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आसमान पर सुबह की सुफेदी छा चुकी थी जब लाश लिए हुए बीरसिंह किले में पहुंचा । वह अपने हाथों पर कुंअर साहब की लाश उठाये हुए था। किले के अन्दर की रिआया तो आराम में थी, केवल थोड़े-से बुड्ढे, जिन्हें खांसी

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भाग -4

7 जून 2022
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ऊपर लिखी वारदात के तीसरे दिन आधी रात के समय बीरसिंह के बाग में उसी अंगूर की टट्टी के पास एक लंबे कद का आदमी स्याह कपड़े पहिरे इधर-से-उधर टहल रहा है। आज इस बाग में रौनक नहीं, बारहदरी में लौंडियों और सख

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भाग -5

7 जून 2022
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बेचारे बीरसिंह कैदखाने में पड़े सड़ रहे हैं। रात की बात ही निराली है, इस भयानक कैदखाने में दिन को भी अंधेरा ही रहता है; यह कैदखाना एक तहखाने के तौर पर बना हुआ है, जिसके चारों तरफ की दीवारें पक्की और म

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भाग - 6

7 जून 2022
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किनारे पर जब केवल नाहरसिंह और बीरसिंह रह गए तब नाहरसिंह ने वह चीठी पढ़ी, जो रामदास की कमर से निकली थी। उसमें यह लिखा हुआ था: मेरे प्यारे दोस्त, अपने लड़के के मारने का इल्जाम लगा कर मैंने बीरसिंह को

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भाग -7

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दूसरे दिन शाम को खण्डहर के सामने घास की सब्जी पर बैठे हुए बीरसिंह और नाहरसिंह आपस में बातें कर रहे हैं! सूर्य अस्त हो चुका है, सिर्फ उसकी लालिमा आसमान पर फैली हुई है। हवा के झोंके बादल के छोटे-छोटे टु

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भाग - 8

7 जून 2022
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घटाटोप अंधेरी छाई हुई है, रात आधी से ज्यादा जा चुकी है, बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, मूसलाधार पानी बरस रहा है, सड़क पर बित्ता-बित्ता-भर पानी चढ़ गया है, राह में कोई मुसाफिर चलता हुआ नहीं दिखाई

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भाग -9

7 जून 2022
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आधी रात का समय है। चारों तरफ अंधेरी छाई हुई है। आसमान पर काली घटा रहने के कारण तारों की रोशनी भी जमीन तक नहीं पहुँचती। जरा-जरा बूंदा-बूंदी हो रही है, मगर वह हवा के झपेटों के कारण मालूम नहीं होती। हरिप

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भाग -10

7 जून 2022
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हरिपुर गढ़ी के अन्दर राजा करनसिंह अपने दीवानखाने में दो मुसाहबों के साथ बैठा कुछ बातें कर रहा है। सामने हाथ जोड़े हुए दो जासूस भी खड़े महाराज के चेहरे की तरफ देख रहे हैं। उन दोनों मुसाहबों में से एक क

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भाग -11

7 जून 2022
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अब हम थोड़ा-सा हाल तारा का लिखते हैं, जिसे इस उपन्यास के पहले ही बयान में छोड़ आये हैं। तारा बिल्कुल ही बेबस हो चुकी थी, उसे अपनी जिन्दगी की कुछ भी उम्मीद न रही थी। उसका बाप सुजनसिंह उसकी छाती पर बैठा

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भाग -12

7 जून 2022
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हम ऊपर लिख आये हैं कि जमींदारों और सरदारों को कमेटी में से अपने तीनों साथियों और नाहरसिंह को साथ ले बीरसिंह की खोज में खड़गसिंह बाहर निकले और थोड़ी दूर जाकर उन्होंने जमीन पर पड़ी हुई एक लाश देखी। लालट

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भाग -13

7 जून 2022
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खड़गसिंह जब राजा करनसिंह के दीवानखाने में गये और राजा से बातचीत करके बीरसिंह को छोड़ा लाये तो उसी समय अर्थात जब खड़गसिंह दीवानखाने से रवाने हुए, तभी राजा के मुसाहबों में सरूपसिंह चुपचाप खड़गसिंह के पी

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भाग -14

7 जून 2022
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रात पहर-भर जा चुकी है। खड़गसिंह अपने मकान में बैठे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कल दरबार में क्या-क्या किया जाएगा। यहाँ के दस-बीस सरदारों के अतिरिक्त खड़गसिंह के पास ही नाहरसिंह, बीरसिंह और बाबू साहब

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भाग -15

7 जून 2022
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हरिपुर के राजा करनसिंह राठू का बाग बड़ी तैयारी से सजाया गया, रोशनी के सबब दिन की तरह उजाला हो रहा था, बाग की हर एक रविश पर रोशनी की गई थी, बाहर की रोशनी का इन्तजाम भी बहुत अच्छा था। बाग के फाटक से लेक

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भाग- 16

7 जून 2022
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दूसरे दिन यह बात अच्छी तरह से मशहूर हो गई कि वह बाबाजी जिन्हें देख करनसिंह राठू डर गया था, बीरसिंह के बाप करनसिंह थे। उन्हीं की जुबानी मालूम हुआ कि जिस समय राठू ने सुजनसिंह की मार्फत करनसिंह को जहर दि

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