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भाग -10

7 जून 2022

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हरिपुर गढ़ी के अन्दर राजा करनसिंह अपने दीवानखाने में दो मुसाहबों के साथ बैठा कुछ बातें कर रहा है। सामने हाथ जोड़े हुए दो जासूस भी खड़े महाराज के चेहरे की तरफ देख रहे हैं। उन दोनों मुसाहबों में से एक का नाम शंभूदत और दूसरे का नाम सरूपसिंह है।

राजा : रामदास के गायब होने का तरद्दुद तो था ही मगर हरीसिंह का पता लगने से और भी जी बेचैन हो रहा है।।

शंभू : रामदास तो भला एक काम के लिए भेजे गए थे, शायद वह काम अभी तक नहीं हुआ, इसलिए अटक गए होंगे। मगर हरीसिंह तो कहीं भेजे भी नहीं गए।

सरूप० : जितना बखेड़ा है, सब नाहरसिंह का किया हुआ है।

राजा : बेशक, ऐसा ही है, न-मालूम हमने उस कमबख़्त का क्या बिगाड़ा है, जो हमारे पीछे पड़ा है। वह ऐसा शैतान है कि हरदम उसका डर बना रहता है और वह हर जगह मौजूद मालूम होता है। बीरसिंह को कैदखाने से छुड़ा ले जाकर उसने हमारी महीनों की मेहनत पर मिट्टी डाल दी, और बच्चन के हाथ से मोहर छीन कर बनी-बनाई बात बिगाड़ दी, नहीं तो रिआया के सामने बीरसिंह को दोषी ठहराने का पूरा बन्दोबस्त हो चुका था, उस मुहर के जरिए बड़ा काम निकलता और बहुत सच्चा जाल तैयार होता।

सरूप० : सो सब तो ठीक है मगर कुंअर साहब को आप कब तक छिपाए रहेंगे, आखिर एक-न-एक दिन भेद खुल ही जायेगा।

राजा : तुम बेवकूफ हो, जिस दिन सूरजसिंह को जाहिर करेंगे, उस दिन अफसोस के साथ कह देंगे कि भूल हो गई और बीरसिंह को कत्ल करने का महीनों अफसोस कर देंगे, मगर वह किसी तरह हाथ लगे भी तो! अभी तो नाहरसिंह उसे छुड़ा ले गया।

सरूप : यहाँ की रिआया बीरसिंह से बहुत ही मुहब्बत रखती है, उसे इस बात का विश्वास होना मुश्किल है कि बीरसिंह ने कुमार सूरजसिंह को मार डाला!

राजा : इसी विश्वास को दृढ़ करने के लिए तो मोहर चुराने का बन्दोबस्त किया गया था, मगर वह काम ही नहीं हुआ।

शंभू : यहाँ की रिआया ने बड़ी धूम मचा रखी है, एक बेचारा हरिहरसिंह आपका पक्षपाती है, जो रिआया की कमेटी का हाल कहा करता है, अगर आप बड़े-बड़े सरदारों और जमींदारों का जो आपके खिलाफ कमेटी कर रहे हैं, बन्दोबस्त न करेंगे, तो जरूर एक दिन वे लोग बलवा मचा देंगे।

राजा : उनका क्या बन्दोबस्त हो सकता है? अगर उन लोगों पर बिना कुछ दोष लगाये जोर दिया जाए, तो भी तो गदर होने का डर है! हाय, यह सब खराबी नाहरसिंह की बदौलत है! अफसोस, अगर लड़कपन ही में हम बीरसिंह को खतम करा दिये होते तो काहे को यह नौबत आती! क्या जानते थे कि वह लोगों का इतना प्रेमपात्र बनेगा? उसने तो हमारी कुल रिआया को मुट्ठी में कर लिया है। अब नेपाल से खड़गसिंह तहकीकात करने आये हैं, देखें वे क्या करते हैं। हरिहर की जुबानी तो यही मालूम हुआ कि यहाँ के रईसों ने उन्हें अपनी तरफ मिला लिया।

सरूप : आज की कमेटी से पूरा-पूरा हाल मालूम हो जायेगा।

राजा : बच्चनसिंह बीस-पचीस आदमियों को साथ लेकर उसी तरफ गया हुआ है, देखें वह क्या करता है।

सरूप : खड़गसिंह तीन-चार सौ आदमियों के साथ हैं, अगर अकेले-दुकेले होते तो खपा दिये जाते।

राजा : (हँस कर) तो क्या अब हम उन्हें छोड़ देंगे? अजी महाराज नेपाल तो दूर हैं, खड़गसिंह के साथियों तक को तो पता लगेगा ही नहीं कि वह कहाँ गया या क्या हुआ। महाराज नेपाल को लिख देंगे कि हमारी रिआया को भड़का कर भाग गया। हाँ, सुजनसिंह के बारे में भी अब हमको पूरी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए।

सलाह-विचार करते-करते रात का ज्यादा हिस्सा बीत गया और केवल घण्टे-भर रात बाकी रह गई। महाराज की बातें खतम भी न हुई थीं कि सामने का दरवाजा खुला और एक लाश उठाए हुए चार आदमी कमरे के अन्दर आते हुए दिखाई पड़े।

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रचनाएँ
कटोरा भर खून
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प्रस्तुत उपन्यास कटोरा भर खून चन्द्रकान्ता की ही परम्परा खत्री जी का एक अत्यन्त रोचक और मार्मिक उपन्यास है। इसमें वातावरण सामन्तीय होते हुए भी मानवीय संवेदनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। "काजर की कोठरी एक लघु उपन्यास है। इसका विशेष महत्त्व इसलिए भी है कि स्वयं खत्री जी ने तिलस्मी और ऐय्यारी के चक्करों से निकलकर जीवन के अपेक्षाकृत यथार्थ घटना-क्रम को अपनाने का साहस किया। इसमें घटना-क्रम की रोचकता, उत्सुकता और रहस्यमयता वैसी ही है
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भाग -1

7 जून 2022
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लोग कहते हैं कि नेकी का बदला नेक और बदी का बदला बद से मिलता. है मगर नहीं, देखो, आज मैं किसी नेक और पतिव्रता स्त्री के साथ बदी किया चाहता हूँ। अगर मैं अपना काम पूरा कर सका तो कल ही राजा का दीवान हो जाऊ

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भाग -2

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बीरसिंह तारा से विदा होकर बाग के बाहर निकला और सड़क पर पहुंचा। इस सड़क के किनारे बड़े-बड़े नीम के पेड़ थे, जिनकी डालियों के ऊपर जाकर आपस में मिले रहने के कारण, सड़क पर पूरा अंधेरा था। एक तो अंधेरी रात

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भाग -3

7 जून 2022
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आसमान पर सुबह की सुफेदी छा चुकी थी जब लाश लिए हुए बीरसिंह किले में पहुंचा । वह अपने हाथों पर कुंअर साहब की लाश उठाये हुए था। किले के अन्दर की रिआया तो आराम में थी, केवल थोड़े-से बुड्ढे, जिन्हें खांसी

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भाग -4

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ऊपर लिखी वारदात के तीसरे दिन आधी रात के समय बीरसिंह के बाग में उसी अंगूर की टट्टी के पास एक लंबे कद का आदमी स्याह कपड़े पहिरे इधर-से-उधर टहल रहा है। आज इस बाग में रौनक नहीं, बारहदरी में लौंडियों और सख

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भाग -5

7 जून 2022
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बेचारे बीरसिंह कैदखाने में पड़े सड़ रहे हैं। रात की बात ही निराली है, इस भयानक कैदखाने में दिन को भी अंधेरा ही रहता है; यह कैदखाना एक तहखाने के तौर पर बना हुआ है, जिसके चारों तरफ की दीवारें पक्की और म

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भाग - 6

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किनारे पर जब केवल नाहरसिंह और बीरसिंह रह गए तब नाहरसिंह ने वह चीठी पढ़ी, जो रामदास की कमर से निकली थी। उसमें यह लिखा हुआ था: मेरे प्यारे दोस्त, अपने लड़के के मारने का इल्जाम लगा कर मैंने बीरसिंह को

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भाग -7

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दूसरे दिन शाम को खण्डहर के सामने घास की सब्जी पर बैठे हुए बीरसिंह और नाहरसिंह आपस में बातें कर रहे हैं! सूर्य अस्त हो चुका है, सिर्फ उसकी लालिमा आसमान पर फैली हुई है। हवा के झोंके बादल के छोटे-छोटे टु

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भाग - 8

7 जून 2022
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घटाटोप अंधेरी छाई हुई है, रात आधी से ज्यादा जा चुकी है, बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, मूसलाधार पानी बरस रहा है, सड़क पर बित्ता-बित्ता-भर पानी चढ़ गया है, राह में कोई मुसाफिर चलता हुआ नहीं दिखाई

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भाग -9

7 जून 2022
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आधी रात का समय है। चारों तरफ अंधेरी छाई हुई है। आसमान पर काली घटा रहने के कारण तारों की रोशनी भी जमीन तक नहीं पहुँचती। जरा-जरा बूंदा-बूंदी हो रही है, मगर वह हवा के झपेटों के कारण मालूम नहीं होती। हरिप

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भाग -10

7 जून 2022
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हरिपुर गढ़ी के अन्दर राजा करनसिंह अपने दीवानखाने में दो मुसाहबों के साथ बैठा कुछ बातें कर रहा है। सामने हाथ जोड़े हुए दो जासूस भी खड़े महाराज के चेहरे की तरफ देख रहे हैं। उन दोनों मुसाहबों में से एक क

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भाग -11

7 जून 2022
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अब हम थोड़ा-सा हाल तारा का लिखते हैं, जिसे इस उपन्यास के पहले ही बयान में छोड़ आये हैं। तारा बिल्कुल ही बेबस हो चुकी थी, उसे अपनी जिन्दगी की कुछ भी उम्मीद न रही थी। उसका बाप सुजनसिंह उसकी छाती पर बैठा

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भाग -12

7 जून 2022
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हम ऊपर लिख आये हैं कि जमींदारों और सरदारों को कमेटी में से अपने तीनों साथियों और नाहरसिंह को साथ ले बीरसिंह की खोज में खड़गसिंह बाहर निकले और थोड़ी दूर जाकर उन्होंने जमीन पर पड़ी हुई एक लाश देखी। लालट

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भाग -13

7 जून 2022
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खड़गसिंह जब राजा करनसिंह के दीवानखाने में गये और राजा से बातचीत करके बीरसिंह को छोड़ा लाये तो उसी समय अर्थात जब खड़गसिंह दीवानखाने से रवाने हुए, तभी राजा के मुसाहबों में सरूपसिंह चुपचाप खड़गसिंह के पी

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भाग -14

7 जून 2022
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रात पहर-भर जा चुकी है। खड़गसिंह अपने मकान में बैठे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कल दरबार में क्या-क्या किया जाएगा। यहाँ के दस-बीस सरदारों के अतिरिक्त खड़गसिंह के पास ही नाहरसिंह, बीरसिंह और बाबू साहब

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भाग -15

7 जून 2022
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हरिपुर के राजा करनसिंह राठू का बाग बड़ी तैयारी से सजाया गया, रोशनी के सबब दिन की तरह उजाला हो रहा था, बाग की हर एक रविश पर रोशनी की गई थी, बाहर की रोशनी का इन्तजाम भी बहुत अच्छा था। बाग के फाटक से लेक

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भाग- 16

7 जून 2022
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दूसरे दिन यह बात अच्छी तरह से मशहूर हो गई कि वह बाबाजी जिन्हें देख करनसिंह राठू डर गया था, बीरसिंह के बाप करनसिंह थे। उन्हीं की जुबानी मालूम हुआ कि जिस समय राठू ने सुजनसिंह की मार्फत करनसिंह को जहर दि

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