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भाग 4

24 अगस्त 2022

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रचनाएँ
जिनसे वजूद है
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ये पुस्तक स्वतंत्रता सेनानी, स्वर्गीय श्री बनारसी दास गोटे वाले की जीवन गाथा है। मै रश्मि गुप्ता इस पुस्तक की लेखिका, सौभाग्यशाली हूँ कि मैं उनकी पुत्री हूँ । जितना करीब से जाना, देखा है, उसे सब के समक्ष रखना चाहती हूँ । मुझे पूर्ण आशा है कि उनके जीवन से हम सब कुछ न कुछ प्रेरणा अवश्य लेंगे।
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प्रस्तावना

24 अगस्त 2022
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ये पुस्तक स्वतंत्रता सेनानी, स्वर्गीय श्री बनारसी दास गोटे वाले की जीवन गाथा है। मै रश्मि गुप्ता इस पुस्तक की लेखिका, सौभाग्यशाली हूँ कि मैं उनकी पुत्री हूँ  । जितना करीब से जाना, देखा है, उसे सब के

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समर्पण

24 अगस्त 2022
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मैं ये पुस्तक "जिनसे वजूद है" अपने स्वर्गीय पिता स्वतंत्रता सेनानी लाला बनारसी दास गोटे वाले को समर्पित करती हूँ। उन्ही की बदौलत इस तिरंगे का वजूद है और मेरा भी।  सारी उम्र जो देश सेवा, जन सेवा और सम

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भाग 1

24 अगस्त 2022
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आज कोई भी शब्द काफी नहीं है मेरी प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए । आज मैं अपने श्रृद्धा सुमन अपने पिता, स्वर्गीय श्री (बनारसी दास गोटेवाले) को अर्पित करने जा रही हूँ जो सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे

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भाग 2

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सुबह 5 बजे उठते . कुल्ला मंजन करते, एक कप चाय पीते और लग जाते अपनी शांति की देख रेख में । शांति हमारी गाय का नाम था । वो उसको अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार करते। सुबह 6 बजे उसकी साफ़ सफाई करते और उसक

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भाग 3

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मैं बता रही थी बाद में पिता जी ने गोटे का काम किया।  राजस्थान के साथ लगता शहर है रिवाड़ी। राजस्थान में गोटे किनारी का बड़ा रिवाज है । शादी हो या त्यौहार हो या कोई बच्चा पैदा हुआ हो । गोटे की साड़ी तो

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भाग 4

24 अगस्त 2022
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खैर छप्पर तो डल ही गया था ।  हम बच्चे तो बहुत खुश थें। बड़े बहन भाई तो अब बड़े हो गये थे और मैं छोटे बहन भाईयों की सरदार खूब जम कर शैतानी करते। हमारी शैतानी के किस्से भी मशहूर हो गये थे आप सोच भी न

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भाग 5

24 अगस्त 2022
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पिता जी ने 3 साल उस जमीन में फसल उगाई और पाया कि, जी तोड़ मेंहनत करने पर भी छोटे किसानों को बस परिवार चलाने लायक फायदा ही होता है और वो भी जब मौसम अनुकूल हो। अब उन्हें किसानों की कठनाईयों के बारे में

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